महात्मा गांधी का जन्म कब हुआ था ? | When was the birth of Mahatma Gandhi?
महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 में पोरबंदर गुजरात में हुआ था । गांधी जी के पिता का नाम करमचंद गांधी था तथा इनकी माता का नाम पुतलीबाई था । गांधी जी के पिता पोरबंदर और राजकोट के दीवान थे । गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था । ये तीन भाईयों में सबसे छोटे थे । गांधी जी ने सादा जीवन जिया और इसकी प्रेरणा उनको उनकी मां से मिली थी । गांधी जी का पालन पोषण वैष्णव धर्म को मानने वाले परिवार में हुआ था । इसी की वजह से वह हमेशा सत्य और अहिंसा में अटूट विश्वास रखते थे और उन्होंने इसका पूरे जीवन पालन भी किया है ।

महात्मा गांधी की प्रारंभिक शिक्षा –
गांधी जी ने पोरबंदर में ही अपनी प्रारम्भिक शिक्षा प्राप्त की । पोरबंदर में गांधी जी ने Middle school तक ही शिक्षा प्राप्त की , फिर इसके बाद गांधी जी के पिता का Transfer राजकोट हो गया इसलिए गांधी जी की आगे की पढ़ाई राजकोट में पूरी हुई । 1887 में गांधी जी ने राजकोट हाई स्कूल से मैट्रिक परीक्षा पास की और आगे के पढ़ाई के लिए गांधी जी ने भावनगर के सामलदास कालेज में दाखिला लिया । पर घर से दूर रहने की वजह से उनका ध्यान पढ़ाई में नहीं लग पाया ,और वे अस्वस्थ हो गये जिसकी वजह से उन्होंने पोरबंदर वापस लौटना पड़ा । फिर 4 सितंबर 1888 में गांधी जी इंग्लैंड चले गए। गांधी जी ने लंदन में Vegetarian Society की सदस्यता को ग्रहण किया और इसके एक कार्यकारी सदस्य बन गए । अब गांधी जी लंदन की Vegetarian Society के सम्मेलनों में भाग लेने लगे और पत्रिका लिखने लगे । लंदन में ही गांधी जी ने 3 साल (1888-1891) तक रहकर अपनी पढ़ाई बैरिस्टरी की पढ़ाई पूरी की । और 1891 में भारत वापस आ गए ।
गांधी जी का वैवाहिक जीवन कैसा था ?
गांधी का विवाह 1883 में 13 वर्ष की आयु में ही हो गया था । गांधी जी की पत्नी का नाम कस्तूरबा गांधी था । गांधी जी की पत्नी को लोग ‘बा’ कहकर बुलाते थे । कस्तूरबा गांधी को शादी से पहले पढ़ना – लिखना नहीं आता था पर शादी के बाद गांधी जी ने उनको पढ़ना – लिखना सिखाया था । कस्तूरबा गांधी ने एक आदर्श पत्नी की तरह गांधी जी के हर काम में साथ दिया । 1885 में गांधी जी की पहली संतान आई , पर कुछ ही दिनों में उसकी मृत्यु हो गई ।
महात्मा गांधी की मृत्यु –
30 जनवरी 1948 में शाम 5:17 पर गांधी जी की हत्या कर दी गई थी । गांधी जी की हत्या नाथूराम गोडसे और उनके सहयोगी गोपालदास ने बिरला House में गोली मारकर की थी । गांधी जी की मौत गोली लगने से हुई थी । और अंतिम समय में उनके मुख से ‘ हे राम ‘ ही निकला था । नई दिल्ली के राजघाट में गांधी जी की मौत के बाद बना समाधि स्थल बनाया गया था ।
गांधी जी पहली बार जेल कब गए थे –
इतिहासकारों के मुताबिक गांधी जी दमनकारी रौलट एक्ट के खिलाफ सत्याग्रह करने पर 10 अप्रैल को पलवल रेलवे स्टेशन से ब्रिटिश पुलिस के द्वारा गिरफ्तार किए गए थे । ब्रिटिश सरकार के द्वारा स्वाधीनता आंदोलन को कुचलने के लिए रोलर एक्ट को पास किया गया था । और गांधी जी ने इसके खिलाफ जनमानस को लेकर आंदोलन किया । 6 अप्रैल को हुई हड़ताल पूरे देश में और विशेष रूप से पंजाब में बहुत सफल रही । गांधी जी हड़ताल के बाद का जायजा लेने के लिए मुम्बई से लाहौर गए थे । और गांधी जी के पंजाब प्रवास की खबर जैसे ही ब्रिटिश सरकार को लगी उन्होंने घबराकर गांधी जी के पंजाब में प्रवेश करने पर ही रोक लगा दी थी । तब गांधी जी ने ब्रिटिश सरकार की इस हरकत को नजरंदाज करते हुए मुम्बई से लाहौर जाने के लिए ट्रेन से रवाना हो गए । और जैसे ही गांधी जी की ट्रेन पलवल स्टेशन पर पहुंची तभी उनको ब्रिटिश सरकार ने गिरफ्तार कर लिया । गांधी जी की गिरफ्तारी के विरोध में पूरा पंजाब जल उठा क्योंकि उस समय पलवल भी पंजाब प्रदेश में ही आता था । अब पंजाब में जगह जगह पर जलूस , धरना प्रदर्शन तथा रैलियां होने लगी |
गांधी जी की गिरफ्तारी की याद में स्वाधीनता सेनानियों ने पलवल में एक आश्रम की स्थापना की थी । और इस आश्रम को महात्मा गांधी सेवा आश्रम नाम दिया गया । इस आश्रम की नींव हमारे भारत की आज़ादी के महान् सपूत नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने रखी थी । लोगों के धरना प्रदर्शन के भय से आखिर ब्रिटिश सरकार को महात्मा गांधी को पलवल से मुम्बई ले जाकर रिहा करना ही पड़ा ।
महात्मा गांधी के द्वारा किए गए आंदोलन –
1. चम्पारण और खेड़ा आंदोलन (1917-1918)
1917 में बिहार के चम्पारण जिले के किसानों के हक के लिए गांधी जी ने आंदोलन किया था । यह गांधी जी का भारत में प्रथम आंदोलन था । और इस आंदोलन में गांधी जी को पहली राजनैतिक सफलता मिली थी । इस आंदोलन में गांधी जी ने अहिंसात्मक सत्याग्रह को अपना हथियार बनाया । 19वीं शताब्दी के अन्त तक गुजरात के खेड़ा जिले के सभी किसान अकाल के कारण असहाय हो गए थे क्योंकि उस समय उपभोग वस्तुओं के दाम बहुत बड़ गए थे जिसकी वजह से किसान इन करों का भुगतान नहीं कर पा रहे थे । इसलिए इस मामले को फिर गांधी जी ने अपने हाथ में लिया, और Survey Of India Society के द्वारा पूरी जांच कराई । जांच के बाद अंग्रेजों से बात भी की, कि किसान इतना ज्यादा कर नहीं दे पा रहे । पर जो किसान कर दे सकते हैं वो देंगे पर शर्त ये है कि सरकार को गरीब किसानों का लगान माफ करना होगा । और सरकार ने गांधी जी की बात मानी और गरीब किसानों का लगान माफ कर दिया ।
2. 1918 में अहमदाबाद मिल के मजदूरों के हक के लिए की गई भूख–हड़ताल
अहमदाबाद की मिल का मालिक कीमत बढ़ाने के बाद भी 1917 में दिये जाने वाले Bonus को भी कम करने की फिराक में था । और मिल के मजदूरों की मांग थी कि Bonus की जगह पर मजदूरी में 35% की वृद्धि की जाए । पर मिल का मालिक 35% की वृद्धि करने को तैयार नहीं था इसलिए फिर गांधी जी ने इस मामले को संभाला । पर मिल के मालिक ने वादा खिलाफी की और सिर्फ 20% की ही वृद्धि की । इसलिए गांधी जी ने पहली बार भूख हड़ताल की । और भूख-हड़ताल के कारण मिल के मालिक को मजबूरन मजदूरों की बात को मानना पड़ा ।
3. खिलाफत आन्दोलन (1919 – 1924) –
यह तुर्की के खलीफा के पद की दोबारा स्थापना करने हेतु देशभर के मुसलमानों के द्वारा चलाया गया आन्दोलन में एक राजनीतिक – धार्मिक आंदोलन था जो अंग्रेजों पर दबाव डालने के लिए चलाया गया था । गांधी जी ने इस आंदोलन का पूरा समर्थन किया, क्योंकि इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य था स्वतंत्रता आंदोलन में मुस्लिमों का सहयोग करना ।
4. असहयोग आंदोलन (1919 – 1918) –
यह आंदोलन प्रथम विश्व युद्ध के दौरान प्रेस पर लगे प्रतिबंधों और बिना जांच किए गिरफ्तारी के वे आदेशों को सर सिडनी रोलेंट की अध्यक्षता वाली समिति के द्वारा कड़े निर्देश को जारी रखा । जिसको Roller act के नाम से जाना जाता है । इसका पूरे भारत में व्यापक रूप से विरोध भी किया गया था । असहयोग आंदोलन का मुख्य कारण था Roller act और जलियांवाला बाग हत्याकांड । इसलिए गांधी जी की अध्यक्षता में 30 मार्च 1919 और 6 अप्रैल 1919 को एक देश व्यापी हड़ताल की गई । जिसकी वजह से चारों तरफ के सरकारी काम बंद पड़े गए थे । तब अंग्रेज अधिकारी इस असहयोग आंदोलन के कारण बेवस हो गए । 1920 में गांधी जी को कांग्रेस अध्यक्ष बनाया गया और उन्होंने इस आंदोलन में भाग लेने के लिए भारतीय जनमानस को भी प्रेरित किया । और गांधी जी से प्रेरित होकर भारतीय लोगों ने इसमें बढ़ – चढ़ कर हिस्सा भी लिया ।
5. चौरीचौरा काण्ड जो 1922 में हुआ था –
यह आंदोलन 1922 तक आते आते देश का सबसे बड़ा आंदोलन बन गया था । यह एक हड़ताल की शांतिपूर्ण रैली के दौरान अचानक एक हिंसात्मक रूप में परिवर्तित हो गई । और इस विरोध रैली के दौरान पुलिस के कुछ प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार करके जेल में डालने से भीड़ और भड़क गई । और किसानों के एक समूह ने गुस्से में आकर चौरीचौरा नाम के एक पुलिस स्टेशन में आग लगा दी । इस घटना में पुलिस स्टेशन में मौजूद की पुलिसकर्मियों की मृत्यु हो गई थी । इस घटना से गांधी जी को बहुत दुःख हुआ और उन्होंने इस आंदोलन को वापस ले लिया । और गांधी जी ने Young India में इस घटना के लिए लिखा भी था कि ” आंदोलन को हिंसक होने से बचाने हेतु मैं हर एक अपमान और हर एक यातनापूर्ण बहिष्कार , यहां तक मौत भी सहन करने को तैयार हूं ” ।
6. सविनय अविज्ञा आंदोलन (12 मार्च 1930) –
इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य स्वाधीनता प्राप्त करना था । गांधी जी को और अन्य अग्रणी नेताओं को अंग्रेजों पर शक हुआ कि क्या वे अपनी औपनिवेशिक स्वराज्य प्रदान करने की घोषणा को पूरा करेंगे या नहीं ? इसलिए गांधी जी ने अंग्रेजों पर दबाव डालने के लिए 6 अप्रैल 1930 में एक और आंदोलन शुरू किया जिसका नाम सविनय अविज्ञा आंदोलन रखा गया । इस आंदोलन को दांडी मार्च या नमक कानून के नाम से भी जाना जाता है । यह दांडी मार्च साबरमती आश्रम से शुरू हुई थी । इस आंदोलन का उद्देश्य सामूहिक रूप से कुछ विशिष्ट गैर – कानूनी कार्य करके सरकार को झुकना था । और यह आंदोलन इतना बढ़ गया कि अंत में सरकार ने तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन को समझौते के लिए भेजा, और गांधी जी ने समझौते को स्वीकार करते हुए आंदोलन को वापस ले लिया ।
7. भारत छोड़ो आंदोलन (8 अगस्त 1942 )-
Crisp mission की विफलता के बाद यह गांधी जी का तीसरा सबसे बड़ा आंदोलन था । और इस आंदोलन का उद्देश्य तुरंत स्वतंत्रता प्राप्त करना था । इसलिए 8 अगस्त 1942 में कांग्रेस के बम्बई अधिवेशन में अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा दिया गया था । और 9 अगस्त 1942 में पूरा देश गांधी जी का साथ देने के लिए इस आंदोलन में शामिल हो गया । इस आंदोलन के खिलाफ ब्रिटिश सरकार का रवैया बहुत ही सख्त था, पर सरकार को इस आंदोलन को दबाने के लिए एक साल लगा था ।
8. भारत का विभाजन और आजादी
अंग्रेजों ने भारत को जाते जाते दो हिस्सों में बांट दिया । क्योंकि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अंग्रेजों की स्थिति इतनी खराब हो गई थी कि उन्हें अंत में भारत को आजाद करना ही पड़ा । भारत की आज़ादी के साथ ही जिन्ना के नेतृत्व में एक अलग राज्य पाकिस्तान की मांग होने लगी । पर गांधी जी ऐसा नहीं होने देना चाहते थे पर स्थित को देखते हुए उन्हें इस बात में समझौता कर लिया ।