सरदार वल्लभभाई पटेल का जीवन परिचय
वल्लभभाई पटेल का जन्म 31अक्टूबर 1875 को गुजरात में स्थित नाडियाड में हुआ था। नाडियाड इनका ननिहाल था। तथा मृत्यु 18 दिसम्बर 1950 को बॉम्बे में हुई थी। इनके पिता का नाम झावेरभाई पटेल था तथा इनकी माता का नाम लाड़बाई नाम था। वल्लभभाई पटेल अपने माता-पिता की चौथी सन्तान थे। इनके पिता किसान थे। इनके तीन बड़े भाई थे नरसीभाई, विट्ट्लभाई और सोमाभाई इनकी एक बहन भी थी । वल्लभभाई पटेल का विवाह बचपन में ही करा दिया गया । जब वल्लभभाई पटेल का विवाह कराया गया तब उनकी उम्र केवल 16 वर्ष ही थी। उनकी दो संतानें थीं दहयाभाई और मणिबेन पटेल।
वल्लभभाई पटेल का जीवन-
भारत को गुलामी से आजाद कराने के लिए इन्होंने अपना पूरा जीवन ही समर्पित कर दिया। वल्लभभाई पटेल भारत के पहले गृह मंत्री और भारत के स्वतंत्रता सेनानी थे इनको लोग लौह पुरुष के नाम से भी जानते हैं। इनके द्वारा किए गए साहयिक कार्यों की वजह से इनको लौह पुरुष की उपाधि दी गई। जब भारत को आजादी मिली उस समय देश में कुल 562 रियासतें थी और उस समय सब बिखरा हुआ था। भारत के कुछ राजा विलय को तैयार थे पर कुछ एक साथ नहीं रहना चाहते थे । फिर सरदार वल्लभभाई पटेल जी ने सबको बुलाकर समझाया कि सबके एक साथ रहने में ही अच्छाई हैं, इसलिए सब साथ रहे और सब समझ गए उन्ही की वजह से ही आज सब एक सूत्र में बंधे हैं । आज कश्मीर से कन्याकुमारी तक फैले इस विशाल भारत को हम एक साथ देख रहे हैं तो वो सिर्फ सरदार वल्लभभाई की वजह से ही संभव हो पाया है क्योंकि उन्होंने ही भारत के छोटे बड़े गांव और राजघरानों को एकजुट रखने में अपनी भूमिका निभाई है । भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और भारतीय एकता की कभी भी अगर बात होती है तो उसमें सबसे पहले सरदार वल्लभभाई पटेल का ही नाम लिया जाता है ।
वल्लभभाई पटेल की शिक्षा –
सरदार वल्लभभाई पटेल जी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा एक गुजराती स्कूल से प्राप्त की ।1897 में जब इनकी आयु १२ साल की थी तो इन्होंने 10वीं कक्षा पास की । इनके परिवार की हालत सही नहीं थी, इसलिए ये किताबें उधार लेकर ही घर में पढ़ाई किया करते थे। इन्होंने अपनी जिलाधिकारी की तैयारी घर पर ही की । वल्लभभाई पटेल पढ़ाई में अच्छे थे, और हर परीक्षा में सफलता हासिल करते थे। और सबसे ज्यादा अंक लाते थे।1910 में इन्होंने LAW की डिग्री हासिल करने के लिए इंग्लैंड चले गए। इनको कालेज का कोई अनुभव नहीं था पर ये पढ़ाई में बहुत अच्छे थे इसलिए उन्होंने 36 महीने का कोर्स सिर्फ 30 महीने में पूरा किया। 1913 में इन्होंने अपनी LAW की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद उन्होंने भारत आकर गुजरात के गोधरा में LAW की प्रेक्टिस शुरू की। इनकी कानून के प्रति जागरूक और ज्ञान देखकर ब्रिटिश सरकार के द्वारा कई प्रस्ताव आए पर वल्लभभाई पटेल ने कोई भी प्रस्ताव स्वीकार नहीं किए। क्योंकि उनको ब्रिटिश सरकार के कानून बिल्कुल पसंद नहीं थे। इसके बाद उन्होंने अहमदाबाद में एक सफल बेरिस्टर के रूप में काम किया और वो गुजरात क्लब के मेम्बर बने और इसी दौरान उनकी भेंट महात्मा गांधी जी से हुई और वल्लभभाई पटेल महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित हुए और उन्होंने गाँधीवादी सिद्धांतों पर चलने का फैसला किया।
पॉलिटिकल करियर-
भारत की आज़ादी के महानायक महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित व प्रेरित होकर उन्होंने जातिवाद, छुआछूत, महिलाओं पर होते अत्याचारों के खिलाफ आवाज़ उठाई और सामाजिक बुराईयों को दूर करने की भी कोशिश की। 1917 में खेड़ा आन्दोलन में अपनी भूमिका निभाई है। अंग्रेज सरकार किसानों की मांग पूरी नहीं कर रही थी और उनकी मांग को अस्वीकार कर रही थी तब वल्लभभाई पटेल ने ‘No Tax Campaign ‘का नेतृत्व किया तथा अपने संघर्ष से इन्होंने ब्रिटिश सरकार को झुकने पर मजबूर कर दिया। 1920 में इन्होंने असहयोग आंदोलन में स्वदेशी खादी को अपनाकर विदेशी कपड़ों की होली जलाई।
सरदार की उपाधि-
अपनी बोलने की कला से लोगों को प्रभावित करने वाले पटेल जी ने 1928 में बारडोली सत्याग्रह के दौरान अपने विचारों से लोगों को बहुत प्रभावित किया ,और अंग्रेजी सरकार द्वारा बढ़ाए गए कर को देने से भी लोगों ने मना कर दिया और अंग्रेजों को हार का सामना करना पड़ा। इसी आन्दोलन से वल्लभभाई पटेल मशहूर हो गए और बारडोली में लोग उनको सरदार कह कर पुकारने लगे तभी से इनके नाम के आगे सरदार लगने लगा।
सरदार वल्लभभाई पटेल के विचार –
* शक्ति के अभाव में किसी पर विश्वास करना व्यर्थ है क्योंकि विश्वास और शक्ति दोनों के बिना कोई भी काम नहीं किया जा सकता हैं ।
* ऐसे बच्चे जो मेरे साथ समय बिताते हैं मैं उनके साथ हंसी मज़ाक करता हूं क्योंकि कहते हैं ना कि हमें अपने अंदर के बचपन को हमेशा जिन्दा रखना चाहिए । इसी बचपने के कारण हम दुनिया की अंधकारमयी दुनिया से लड़ पाएंगे ।
* उनका कहना था कि हमनें चाहे कितनी भी बड़ी दौलत क्यों ना गवा दी हो पर हमें हमेशा हंसते हुए और ईश्वर पर विश्वास रखकर काम करना चाहिए ।
* मनुष्य को कभी भी क्रोध नहीं करना चाहिए उसे हमेशा शान्त रहना चाहिए । क्योंकि लोहा भले ही गर्म हो पर हथोड़े को हमेशा खड़ा ही रहना चाहिए वरना वो स्वयं का नुक्सान कर लेगा ।
* आप जानते हैं कि आपकी अच्छाई हमेशा आपको नुक्सान पहुँचाती हैं तो दुश्मन के सामने हमेशा क्रोध में रहे और मजबूत बनकर हमेशा अन्याय का सामना करें ।
* हमारे जीवन की डोर ईश्वर के हाथ में है इसलिए कभी कुछ बुरा हो ही नहीं सकता जो होगा अच्छा ही होगा ।
* काम करने का मजा तब ही आता है जब उसमें बाधाएं आती हैं क्योंकि जो बाधाओं से डरते हैं वो कभी भी आगे नहीं बढ़ पाते इसलिए हमेशा ही बहादुर बनके सभी बाधाओं का सामना करें बिना किसी से डरें ।
* एकता के बिना कोई भी काम नहीं हो सकता जब तक कोई भी काम समाजस्य में एकजुट होकर ना किया जाए इसलिए हमेशा एकजुट होकर ही काम किया जाना चाहिए ।
* हमारे देश के हर नागरिक का यह पता होना चाहिए कि अब वह स्वतंत्र है और इस उसका यह फ़र्ज़ है कि वह इस स्वतंत्रता की रक्षा करे जिससे सभी लोग एकजुट होकर स्वतंत्र रूप से रह सकें । और उन्हें याद रहे कि वह एक भारतीय है और उसकी अपने देश के लिए कुछ अधिकार और ज़िम्मेदारी भी है जिनको उसे पूरा करना है ।
* हमें हमेशा ही नम्रता के साथ सबसे बात करना चाहिए क्योंकि गालियां देना बुजदिलों की निशानी होती है ।
* हमारे देश की मिट्टी में कुछ अलग ही बात है क्योंकि इसमें हमेशा महान आत्माओं का ही निवास रहा है ।
* मेरी यह इच्छा है कि हमारे देश में कोई भी कभी भूखा ना रहे हमारा देश एक अच्छा उत्पादक देश बने ।
* ग़रीबों की सेवा करने का मतलब भगवान की सेवा करने जैसा है ।
* हमारे देश में अनेकता में एकता की तरह कई जाती, कई अलग-अलग के धर्म लोग, अनेक भाषाओं के लोग रहते हैं पर सबकी संस्कृति एक ही हैं ।
* जो लोग तलवार चलाना जानते हैं फिर भी अपनी तलवार को म्यान में रखते हैं उन्हें ही सच्चा अहिंसावादी कहा जाता है ।
सरदार वल्लभभाई पटेल का सम्मान-
1. 1991 में इनको भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इस दिन को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाता है।
2. 31अक्टूबर 1965 को सरदार पटेल की स्मारक के तौर पर डाक टिकट जारी किया गया और उनके नाम पर हॉस्पिटल, हवाईअड्डे तथा कई शिक्षण संस्थान खोले गए।
स्टैचू ऑफ यूनिटी-
ये दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा हैं जिसकी ऊंचाई करीब 182 मीटर हैं। यह मूर्ति सरदार वल्लभभाई पटेल जी के स्मारक के तौर पर बनाई गई हैं। इसकी आधारशिला तो 2013 में ही रख दी गई थी इस मूर्ति की आधारशिला भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा रखी गई थी।और नरेंद्र मोदी के द्वारा ही 2018 में इस मूर्ति का अनावरण किया गया। सरदार वल्लभभाई पटेल ने अपना पूरा जीवन देश के लिए समर्पित कर दिया, वे इस सम्मान के हक़दार हैं।
सरदार वल्लभभाई पटेल की जीवनशैली पर एक कविता भी लिखी गई है –
“देश भक्ति थी जिसके रंग में ,
सफल बने , भारत इस जग में ,
एकीकरण के स्वप्न को जिसने ,
यथार्थ में बदल दिया , भुजबल से ,
भारत के सरदार देश के लाल
शत् – शत् नमन है तुम्हें !!
नडियाद के वीर , भारतरत्न ,
बारडोली सत्याग्रह के सरदार ,
जिसके समक्ष हरा निज़ाम ,
जिसके समक्ष हरा निज़ाम ,
आताताइयों का झूठा स्वाभिमान ,
भारत के सरदार देश के लाल
शत् – शत् नमन तुम्हें हैं !!”