परिचय
श्री सिद्धिविनायक मंदिर एक हिन्दू मंदिर है, जो भगवान श्री गणेशजी को समर्पण है। श्री सिद्धिविनायक का यह मंदिर भारत के महाराष्ट्र राज्य में मुंबई नगर के प्रभादेवी इलाके में स्थित है। श्री सिद्धिविनायक मंदिर का निर्माण 19 नवम्बर सन. 1801 में लक्ष्मण विथु और देऊबाई पाटिल ने करवाया था। श्री सिद्धिविनायक मंदिर मुंबई के सबसे अमीर मंदिरों में से एक है।

इस मंदिर में एक छोटा-सा मंडप है, जिसमें श्री सिद्धिविनायक की मूर्ति विराजमान है। गर्भगृह के लकड़ी के दरवाजों पर सूक्ष्म शिल्पकारी से परिपूर्ण अष्टविनायक के चित्रों को बनाया गया है, जबकि अन्दर की छतें सोने की परत से सुसज्जित हैं, जिसमें मुख्य प्रतिमा गणेश जी की है।
मंदिर का महत्व
श्री सिद्धिविनायक मंदिर की महिमा को देखने के लिए केवल यहाँ के राजनेता ही नहीं बल्कि बॉलीबुड फिल्मों के सितारे भी इस मंदिर में भगवान गणेश जी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आते हैं। सिद्धिविनायक को “नवसचा गणेश” व “नवसाला पवनरा गणपति” भी कहा जाता है। इस दिव्य मंदिर में गणपति का दर्शन करने के लिए सभी धर्म के लोग आते हैं। गणेशजी की प्रतिमा की चार भुजाएँ हैं, जिनमें ऊपरी दाएं हाथ में कमल और बाएं हाथ में अंकुश है। नीचे के दाएं हाथ में मोतियों की माला और बाएं हाथ में लड्डुओं से भरा हुआ कटोरा है। गणपति के दोनों ओर उनकी दोनों पत्नियाँरिद्धि और सिद्धि स्थापित हैं, जो धन, वैभव, कामयाबी और सभी अभिलाषाओं को पूर्ण करती हैं। गणपति जी के मस्तक पर अपने पिता शिव के समान तीसरा नेत्र और गले में एक साँप लिपटा हुआ है। सिद्धिविनायक की प्रतिमा ढाई फुट ऊँची और दो फुट चौडे एक काले शिलाखंड से बनी हुई है। आज यह सिद्धिविनायक मंदिर पांच मंजिल में बना हुआ है। इन मंजिलों में प्रवचन गृह, गणेश संग्रहालय व गणेश पीठ तथा दूसरी मंजिल पर हॉस्पिटल भी है, जहां मरीजों का फ्री में इलाज किया जाता है। यहाँ इसी मंजिल में हॉस्पिटल के पास रसोईघर है। इस रसोईघर में गणपति के लिए प्रसाद व लड्डू बनाते हैं। यहाँ लगी एक सीधी लिफ्ट से यह प्रसाद सीधे भगवान गणपति के गर्भ गृह में पहुंचाई जाती है।
गणेश जी की जिन प्रतिमाओं की सूड दाएं तरफ मुड़ी हुई होती है, वे सिद्धपीठ से जुडी होती हैं और वे मंदिर सिद्धिविनायक मंदिर कहलाते हैं। सिद्धिविनायक गणेश जी का सबसे लोकप्रिय रूप है। मान्यता है कि सिद्धिविनायक गणपति बहुत ही जल्द प्रसन्न होते हैं और बहुत जल्द ही अप्रसन्न होते हैं। इस मंदिर में सिर्फ हिन्दू ही नहीं बल्कि सभी धर्म के लोग दर्शन व पूजा-अर्चना के लिए आते हैं। इस मंदिर की न तो महाराष्ट्र के “अष्टविनायकों” में गिनती होती है और न ही “सिद्ध टेक” से इसका कोई सम्बन्ध है फिर भी यहाँ गणपति पूजा का विशेष महत्व है।
मंदिर का गर्भगृह
गर्भगृह चारों तरफ से फैला हुआ एक पांडालनुमा संरचना है तथा यह मंदिर की सभी मंजिलों में ऊपर तक खुला हुआ है। सभी मंजिलों की बालकनियों या गैलरियों से भगवान अष्टविनायक के दर्शन किये जा सकते हैं। यह गर्भगृह आठ भुजाओं से बना हुआ है। गर्भगृह नीचे की तरफ चौड़ाई में करीब 10 फ़ीट तथा ऊंचाई में करीब 13 फ़ीट है। इसके चबूतरे पर एक चांदी का एक मंडप बना है, जिसका शिखर सोने का बना हुआ है। इसी मंडप के नीचे भगवान अष्टविनायक विराजमान हैं। इस गृह में अंदर प्रवेश करने के लिए तीन द्वार बने हुए हैं। इन तीनों द्वारों पर दशावतार, अष्टविनायक व अष्टलक्ष्मी के चित्र बने हुए हैं। वैसे तो इस मंदिर में रोजाना ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं, लेकिन मंगलवार के दिन यहाँ बहुत अधिक श्रद्धालु आते हैं। मंगलवार के दिन तो यहाँ इतनी भीड़ होती है कि लाईन में कई घंटे खड़े होने के बाद ही दर्शन संभव हो पाते हैं। प्रतिवर्ष गणपति पूजा महोत्सव को भाद्रपद की चतुर्थी से अनंत चतुर्दशी तक विशेष कार्यक्रम के रूप में मनाया जाता है।
मंदिर का इतिहास
श्री सिद्धिविनायक मंदिर को बनाने का कार्य 19 नवम्बर सन. 1801 को प्रारंभ किया गया था। इस मंदिर का निर्माण ठेकेदार लक्ष्मण विथु पाटिल ने करवाया था। इसकी ईमारत को बनवाने के लिए धन-संपत्ति की व्यवस्था अमीर कृषि महिला देऊबाई पाटिल ने की थी। संतानहीन देऊबाई पाटिल ने इस मंदिर का निर्माण इसलिए करवाया था ताकि अन्य पुत्रहीन महिलाऐं पुत्र रत्न की प्राप्ति कर सकें। हिन्दू संत अक्कालकोट स्वामी सामर्थ के शिष्य “रामकृष्ण जम्भेकार महाराज” ने अपने गुरु के आदेश पर मंदिर के इष्ट देव की प्रतिमा के सामने दो दिव्य मूर्तियों को जमीन में गाढ़ दिया। स्वामी सामर्थ की भविष्यवाणी के मुताबिक मूर्तियों को गाढ़ने के 21 वर्ष बाद उस स्थान पर एक मंदार वृक्ष उग गया, जिसकी शाखाओं में स्वयंभू गणेश मौजूद थे।
2550 मीटर वाले इस मंदिर परिसर में दो 3.6 मीटर दीपमालाएँ, एक विश्राम कक्ष और यहाँ के कार्यकारी के रहने के लिए एक आवास स्थित है। इसमें 30×40 स्कावयर मीटर वाले आकार की एक झील है, जो मंदिर के पूर्वी और दक्षिणी भाग में स्थित है। इस झील की खुदाई 19वी शताब्दी के शुरुआत में नार्दुल्ला द्वारा करवाई गयी थी, जिसे बाद के वर्षों में भर दिया गया। इसके निर्माण का मुख्य उद्देश्य पानी की समस्या का समाधान करना था, परन्तु वर्तमान में यह क्षेत्र मंदिर परिसर का हिस्सा नहीं है। सन. 1952 के आस-पास मंदिर परिसर में एक हनुमान मंदिर का निर्माण किया गया था, जिसमें पास के एल्फिसटोन रोड के पास सायानी रोड के प्रोजेक्ट के विस्तार के दौरान पायी गयी हनुमान जी की मूर्ति को स्थापित किया गया था। सन. 1950 और 60 के दशक में यह मंदिर देश भर में प्रसिद्द हो गया और बड़ी संख्या में भक्त इस मंदिर पर आने लग गये।
मंदिर की सालाना आय
श्री सिद्धिविनायक मंदिर को भारत के अमीर मंदिरों में गिना जाता है। सिद्धिविनायक मंदिर की वार्षिक आय लगभग 46 करोड़ रुपये है तथा 125 करोड़ रुपये का फिक्स्ड डिपोजिट है।
मंदिरों की तालिका-
क्र. सं. | मंदिर का नाम | मंदिर का स्थान | देवी / देवता का नाम |
1 | बांके बिहारी मंदिर | मथुरा-वृन्दावन, उत्तर प्रदेश | बांके बिहारी (श्री कृष्ण) |
2 | भोजेश्वर मंदिर | भोपाल, मध्यप्रदेश | भगवान शिव |
3 | दाऊजी मंदिर | बलदेव, मथुरा, उत्तर प्रदेश | भगवान बलराम |
4 | द्वारकाधीश मंदिर | मथुरा, उत्तर प्रदेश | श्री कृष्ण |
5 | गोवर्धन पर्वत | गोवर्धन, मथुरा, उत्तर प्रदेश | श्री कृष्ण |
6 | इस्कॉन मंदिर | मथुरा-वृन्दावन, उत्तर प्रदेश | श्री कृष्ण, भगवान बलराम |
7 | काल भैरव मंदिर | भैरवगढ़, उज्जैन, मध्यप्रदेश | भगवान काल भैरव |
8 | केदारनाथ मंदिर | रुद्रप्रयाग, उत्तराखण्ड | भगवान शिव |
9 | महाकालेश्वर मंदिर | जयसिंहपुरा, उज्जैन, मध्यप्रदेश | भगवान शिव |
10 | नन्द जी मंदिर | नन्दगाँव, मथुरा | नन्द बाबा |
11 | निधिवन मंदिर | मथुरा-वृन्दावन, उत्तर प्रदेश | श्री कृष्ण, राधा रानी |
12 | ओमकारेश्वर मंदिर | खंडवा, मध्यप्रदेश | भगवान शिव |
13 | प्रेम मंदिर | मथुरा-वृन्दावन, उत्तर प्रदेश | श्री कृष्ण, राधा रानी |
14 | राधा रानी मंदिर | बरसाना, मथुरा, उत्तर प्रदेश | श्री कृष्ण, राधा रानी |
15 | श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर | मथुरा, उत्तर प्रदेश | श्री कृष्ण, राधा रानी |
16 | बृजेश्वरी देवी मंदिर | नगरकोट, कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश | माँ ब्रजेश्वरी |
17 | चामुंडा देवी मंदिर | कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश | माँ काली |
18 | चिंतपूर्णी मंदिर | ऊना, हिमाचल प्रदेश | चिंतपूर्णी देवी |
19 | ज्वालामुखी मंदिर | कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश | ज्वाला देवी |
20 | नैना देवी मंदिर | बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश | नैना देवी |
21 | बाबा बालकनाथ मंदिर | हमीरपुर, हिमाचल प्रदेश | बाबा बालकनाथ |
22 | बिजली महादेव मंदिर | कुल्लू, हिमाचल प्रदेश | भगवान शिव |
23 | साईं बाबा मंदिर | शिर्डी, महाराष्ट्र | साईं बाबा |
24 | कैला देवी मंदिर | करौली, राजस्थान | कैला देवी (माँ दुर्गा की अवतार) |
25 | ब्रह्माजी का मंदिर | पुष्कर, राजस्थान | ब्रह्माजी |
26 | बिरला मंदिर | दिल्ली | भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी देवी |
27 | वैष्णों देवी मंदिर | कटरा, जम्मू | माता वैष्णो देवी |
28 | तिरुपति बालाजी मंदिर | तिरुपति, आंध्रप्रदेश | भगवान विष्णु |
29 | सोमनाथ मंदिर | वेरावल, गुजरात | भगवान शिव |
30 | सिद्धिविनायक मंदिर | मुंबई, महाराष्ट्र | श्री गणेश |
31 | पद्मनाभस्वामी मंदिर | (त्रिवेन्द्रम) तिरुवनंतपुरम्, केरल | भगवान विष्णु |
32 | मीनाक्षी अम्मन मंदिर | मदुरै या मदुरई, तमिलनाडु | माता पार्वती देवी |
33 | काशी विश्वनाथ मंदिर | वाराणसी, उत्तर प्रदेश | भगवान शिव |
34 | जगन्नाथ मंदिर | पुरी, उड़ीसा | श्री कृष्ण, बलराम और सुभद्रा |
35 | गुरुवायुर मंदिर | गुरुवायुर, त्रिशूर, केरल | श्री कृष्ण |
36 | कन्याकुमारी मंदिर | कन्याकुमारी, तमिलनाडु | माँ भगवती |
37 | अक्षरधाम मंदिर | दिल्ली | भगवान विष्णु |