श्री कृष्ण जन्म भूमि उत्तर प्रदेश राज्य के मथुरा जिले में स्थित है। श्री कृष्ण जन्म भूमि मंदिर तीर्थ यात्रियों का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। भगवान श्री कृष्ण की जन्मभूमि ना केवल भारत में प्रसिद्ध है, बल्कि विदेशों में भी मथुरा जिले को भगवान श्री कृष्ण के जन्म स्थान से भी जाना जाता है। यह मंदिर विवादों से भी घिरा हुआ है, क्योंकि जन्मभूमि मंदिर की दीवार के बराबर में जामा मस्जिद भी बनी हुई है, जो मुस्लिमों का धार्मिक स्थल है। आज वर्तमान में पंडित मदनमोहन मालवीय जी के प्रेरणा से यह भव्य आकर्षण मंदिर के रूप में स्थापित है। पर्यटन की दृष्टि से विदेशों से भी भगवान श्री कृष्ण के दर्शन के लिए भक्त मथुरा नगरी में प्रतिदिन आते हैं।
मंदिर का इतिहास
भगवान श्री कृष्ण ने अपनी अलौकिक लीला संवरण की। उधर युधिष्ठिर महाराज ने परीक्षित को हस्तिनापुर का राज्य सौंपकर श्री कृष्ण के प्रपौत्र वज्रनाभ को मथुरा मंडल के राज्य सिंहासन पर प्रतिष्ठित किया। चारों भाइयों सहित युधिष्ठिर स्वयं महाप्रस्थान कर गये। महाराज वज्रनाभ ने महाराज परीक्षित और महर्षि शांडिल्य के सहयोग से मथुरा मंडल की पुनः स्थापना करके, उसकी सांस्कृतिक छवि का पुनरुद्धार किया। जहाँ अनेक मंदिरों का निर्माण बज्रनाभ द्वारा कराया गया, वहीं भगवान श्री कृष्ण की जन्मस्थली का भी महत्व स्थापित किया। यह कंस का कारागार था, जहाँ वासुदेव ने भाद्रपद कृष्ण अष्टमी की आधी रात अवतार ग्रहण किया था। आज यह कटरा केशवदेव नाम से प्रसिद्ध है। यह कारागार केशवदेव के मंदिर के रूप में परिणत हुआ। इसी के आसपास मथुरा पुरी सुशोभित हुई। यहाँ कालक्रम में अनेकानेक गगनचुम्बी भव्य मंदिरों का निर्माण हुआ, इसमें से कुछ तो समय के साथ नष्ट हो चुके हैं और कुछ को विधर्मियों के नष्ट कर दिया है।
पहला मंदिर
पहला मंदिर ईसवी सन. से पूर्ववर्ती 80-57 के महाक्षत्रप सौदास के समय के लिए एक शिला लेख से ज्ञात होता है कि किसी वसु नामक व्यक्ति ने श्री कृष्ण जन्मस्थान पर एक मंदिर तोरण द्वार और वैदिक का निर्माण कराया था, यह शिलालेख ब्राह्मी लिपि में है।
दूसरा मंदिर
विक्रमादित्य के शासनकाल में दूसरा मंदिर सन. 800 के करीब बनवाया गया था। उस समय मथुरा नगरी संस्कृति और कला की दृष्टि से बड़े उत्कर्ष पर थी। हिन्दू धर्म के साथ बौद्ध और जैन धर्म भी तरक्की पर थे। श्री कृष्ण जन्मभूमि के पास ही जैनियों और बौद्धों के मंदिर बने थे। यह मंदिर सन. 1017-18 में महमूद गजनवी के कोप का भाजन बना। इस भव्य संस्कृतिक नगरी की सुरक्षा की कोई उचित व्यवस्था न होने से महमूद गजनवी ने इसे खूब लूटा और भगवान केशवदेव का मंदिर भी तोड़ दिया।
तीसरा मंदिर
संस्कृत के एक शिलालेख से ज्ञात होता है कि महाराजा विजयपाल देव जब मथुरा के शासक थे तब सन. 1150 में जज्ज नाम के किसी व्यक्ति ने श्री कृष्ण जन्मभूमि पर एक नया मंदिर बनवाया था। यह विशाल एवं भव्य बताया जाता है, इसे भी 16वीं शताब्दी के प्रारम्भ में सिकन्दर लोदी के शासन काल में नष्ट कर डाला गया था।
चौथा मंदिर
मुग़ल बादशाह जहाँगीर के शासन काल में श्री कृष्ण जन्मभूमि पर चौथा विशाल मंदिर का निर्माण कराया गया। ओरछा के शासक राजा वीरसिंह जूदेव बुंदेला ने इसकी ऊँचाई 250 फीट रखी थी। बताया जाता है कि श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर आगरा से भी दिखाई देता था। उस समय मंदिर के निर्माण में 33 लाख रुपये की लागत आई थी। इस मंदिर के चारों और एक ऊँची दीवार का परकोटा बनवाया गया था, जिसके अवशेष अब तक विद्यमान है। दक्षिण पश्चिम के एक कोने में कुआं भी बनवाया गया था, इसका पानी 60 फीट ऊँचा उठाकर मंदिर के प्रांगण में फव्वारे चलाने के काम आता था, उसका बुर्ज आज भी बना हुआ है। सन. 1669 में यह मंदिर पुन: नष्ट कर दिया गया और इसकी भवन सामग्री से ईदगाह बनवा दी गई जो आज भी है। इस ईदगाह के पीछे ही महामना पंडित मदनमोहन मालवीय जी की प्रेरणा से दोबारा एक मंदिर स्थापित किया गया है, अब यह विवादित क्षेत्र बन चुका है क्योंकि श्री कृष्ण जन्मभूमि के आधे हिस्से पर ईदगाह है और आधे हिस्से में मंदिर बना हुआ है।
मंदिर की जानकारी
श्री कृष्ण जन्मभूमि में गर्भगृह, दर्शन मण्डप, केशवदेव मंदिर, भागवत भवन, श्रीकृष्ण कठपुतली लीला और वैष्णो देवी की गुफा भी स्थित है। कंस ने जिस स्थान पर वसुदेव और देवकी को बंदी बनाकर रखा था और जहाँ भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था, वहाँ खुदाई में निकले लगभग 1500 वर्ष पुराने गर्भगृह और सिंहासन को सुरक्षित रखा गया है। यह भी एक चमत्कार है कि जब औरंगजेब ने मंदिर तोड़कर उसके उपर ईदगाह बनवाई थी, तब गर्भगृह ईदगाह के नीचे ही दबा दिया गया था, जो अब प्राप्त हुआ है। गर्भगृह के ऊपर एक बरामदा बना हुआ है, जिसपर संगमरमर के पत्थर लगे हुए हैं, उन पत्थरों पर भगवान श्री कृष्ण की अनेक छवियाँ उभर हुई हैं। श्री कृष्ण जन्मभूमि में केशवदेव मंदिर ही सबसे पुराना है, केशवदेव मंदिर में भगवान श्री कृष्ण के अति सुन्दर बाल विग्रह हैं।
17 साल तक काम चलते रहने के बाद भागवत भवन को बनाया गया था। इस भवन में और भी छोटे-छोटे मंदिर बने हुए है, जैसे जगन्नाथ मंदिर, श्री सीताराम-लक्ष्मण मंदिर, शिवजी मंदिर, हनुमान जी मंदिर, शेरावाली माता का मंदिर है। मंदिर में बने खम्बों पर श्री कृष्ण की अनेकों लीलाओं की नक्काशी की गई है। मंदिर की छत पर भगवान श्री कृष्ण की रास लीला और अनेक लीलाओं के बहुत सुन्दर चित्र बने हुए हैं, जो आने वाले भक्तों के मन को प्रसन्न करते हैं। मंदिर की परिक्रमा में ताम्रपत्र पर सम्पूर्ण श्री भागवत गीता लिखी हुई है।
श्री कृष्ण जन्मभूमि के पास ही पोतरा कुण्ड नाम का एक विशाल कुण्ड स्थित है। कहा जाता है कि भगवान कृष्ण की माता जी इस कुण्ड में श्री कृष्ण के वस्त्र आदि साफ़ करती थी। इसलिए इस कुण्ड को पोतरा कुण्ड के नाम से जाना जाता है। मंदिर के अंदर कोई भी व्यक्ति पर्स, बेल्ट, मोबाईल, कैमरा आदि समान नहीं ले जा सकते हैं।
उत्सव व आरती समय
भारत में मनाएं जाने वाले हिन्दू धर्म के त्यौहार मथुरा नगरी के श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर में बड़ी धूम-धाम के साथ मनाये जाते हैं, जैसे श्री कृष्ण जन्मष्टमी, राधाष्टमी, होली, दीपावली आदि। मंदिर में मंगला आरती का समय सुबह 05:30 बजे, माखन भोग का समय सुबह 08:00 बजे और दर्शन करने का समय सुबह 05:30 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक है। शाम की आरती का समय 06:00 बजे, शाम को 04:00 बजे से रात्रि 08:00 बजे तक भक्त भगवान श्री कृष्ण के दर्शन कर सकते हैं।
मंदिरों की तालिका-
क्र. सं. | मंदिर का नाम | मंदिर का स्थान | देवी / देवता का नाम |
1 | बांके बिहारी मंदिर | मथुरा-वृन्दावन, उत्तर प्रदेश | बांके बिहारी (श्री कृष्ण) |
2 | भोजेश्वर मंदिर | भोपाल, मध्यप्रदेश | भगवान शिव |
3 | दाऊजी मंदिर | बलदेव, मथुरा, उत्तर प्रदेश | भगवान बलराम |
4 | द्वारकाधीश मंदिर | मथुरा, उत्तर प्रदेश | श्री कृष्ण |
5 | गोवर्धन पर्वत | गोवर्धन, मथुरा, उत्तर प्रदेश | श्री कृष्ण |
6 | इस्कॉन मंदिर | मथुरा-वृन्दावन, उत्तर प्रदेश | श्री कृष्ण, भगवान बलराम |
7 | काल भैरव मंदिर | भैरवगढ़, उज्जैन, मध्यप्रदेश | भगवान काल भैरव |
8 | केदारनाथ मंदिर | रुद्रप्रयाग, उत्तराखण्ड | भगवान शिव |
9 | महाकालेश्वर मंदिर | जयसिंहपुरा, उज्जैन, मध्यप्रदेश | भगवान शिव |
10 | नन्द जी मंदिर | नन्दगाँव, मथुरा | नन्द बाबा |
11 | निधिवन मंदिर | मथुरा-वृन्दावन, उत्तर प्रदेश | श्री कृष्ण, राधा रानी |
12 | ओमकारेश्वर मंदिर | खंडवा, मध्यप्रदेश | भगवान शिव |
13 | प्रेम मंदिर | मथुरा-वृन्दावन, उत्तर प्रदेश | श्री कृष्ण, राधा रानी |
14 | राधा रानी मंदिर | बरसाना, मथुरा, उत्तर प्रदेश | श्री कृष्ण, राधा रानी |
15 | श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर | मथुरा, उत्तर प्रदेश | श्री कृष्ण, राधा रानी |
16 | बृजेश्वरी देवी मंदिर | नगरकोट, कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश | माँ ब्रजेश्वरी |
17 | चामुंडा देवी मंदिर | कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश | माँ काली |
18 | चिंतपूर्णी मंदिर | ऊना, हिमाचल प्रदेश | चिंतपूर्णी देवी |
19 | ज्वालामुखी मंदिर | कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश | ज्वाला देवी |
20 | नैना देवी मंदिर | बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश | नैना देवी |
21 | बाबा बालकनाथ मंदिर | हमीरपुर, हिमाचल प्रदेश | बाबा बालकनाथ |
22 | बिजली महादेव मंदिर | कुल्लू, हिमाचल प्रदेश | भगवान शिव |
23 | साईं बाबा मंदिर | शिर्डी, महाराष्ट्र | साईं बाबा |
24 | कैला देवी मंदिर | करौली, राजस्थान | कैला देवी (माँ दुर्गा की अवतार) |
25 | ब्रह्माजी का मंदिर | पुष्कर, राजस्थान | ब्रह्माजी |
26 | बिरला मंदिर | दिल्ली | भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी देवी |
27 | वैष्णों देवी मंदिर | कटरा, जम्मू | माता वैष्णो देवी |
28 | तिरुपति बालाजी मंदिर | तिरुपति, आंध्रप्रदेश | भगवान विष्णु |
29 | सोमनाथ मंदिर | वेरावल, गुजरात | भगवान शिव |
30 | सिद्धिविनायक मंदिर | मुंबई, महाराष्ट्र | श्री गणेश |
31 | पद्मनाभस्वामी मंदिर | (त्रिवेन्द्रम) तिरुवनंतपुरम्, केरल | भगवान विष्णु |
32 | मीनाक्षी अम्मन मंदिर | मदुरै या मदुरई, तमिलनाडु | माता पार्वती देवी |
33 | काशी विश्वनाथ मंदिर | वाराणसी, उत्तर प्रदेश | भगवान शिव |
34 | जगन्नाथ मंदिर | पुरी, उड़ीसा | श्री कृष्ण, बलराम और सुभद्रा |
35 | गुरुवायुर मंदिर | गुरुवायुर, त्रिशूर, केरल | श्री कृष्ण |
36 | कन्याकुमारी मंदिर | कन्याकुमारी, तमिलनाडु | माँ भगवती |
37 | अक्षरधाम मंदिर | दिल्ली | भगवान विष्णु |