राधा रानी मंदिर मथुरा का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। बरसाना में बीचों-बीच एक पहाड़ी है जो बरसाना के मस्तिष्क पर आभूषण के समान है, उसी के ऊपर राधा रानी मंदिर स्थित है। इस मंदिर को “बरसाना की लाड़ली जी का मंदिर” के नाम से भी जाना जाता है। बरसाना की पवित्र भूमि बहुत ही सुन्दर तथा हरी-भरी है। बरसाना की पहाड़ियों के पत्थर काले तथा गोरे रंग के हैं, जिन्हें यहाँ के व्यक्ति कृष्ण और राधा के अमर प्रेम का प्रतीत मानते हैं। बरसाना से 4 मील की दूरी पर नंदगाव है, जहाँ श्रीकृष्ण के पिता नंद का घर था। बरसाना-नंदगाव मार्ग पर एक संकेत नाम का गाँव है, जहाँ किंवदंती के अनुसार कृष्ण और राधा का पहला मिलन हुआ था। ‘संकेत’ का शब्दार्थ है कि पूर्व निर्दिष्ट मिलने का स्थान, यहाँ भाद्र शुक्ल अष्टमी (राधाष्टमी) से चतुर्दशी तक बहुत ही सुन्दर मेला लगता है। इसी प्रकार फाल्गुन शुक्ल अष्टमी, नवमी एवं दशमी को आकर्षक लीला होती है।
इतिहास
भगवान श्री कृष्ण की सबसे प्रिय गोपी राधा बरसाना की रहने वाली थी। कस्बे के मध्य श्री राधा की जन्मस्थली माना जाने वाला श्री राधावल्लभ मंदिर स्थित है। राधा का जिक्र पद्मा पुराण और ब्रह्म वैवर्त पुराण में भी मिलता है। पद्मा पुराण के अनुसार राधा वृषभानु नामक गोप की पुत्री थी और वृषभानु जाति के वैश्य थे। ब्रह्म वैवर्त पुराण के अनुसार राधा कृष्ण की मित्र थी और उसका विवाह रापाण/ रायाण (अथवा अयनघोष) नामक व्यक्ति के साथ हुआ था। कुछ विद्वान मानते हैं कि राधा जी का जन्म यमुना के निकट बसे रावल गाँव में हुआ था और बाद में उनके पिता बरसाना में बस गए। इस मान्यता के अनुसार नन्दबाबा एवं वृषभानु का आपस में गहरा प्रेम था। कंस के द्वारा भेजे गये असुरों के उपद्रवों के कारण जब नंदराय अपने परिवार, समस्त गोपों एवं गोधन के साथ उनके पीछे-पीछे रावल गाँव को त्याग कर चले आये और बरसाना में आकार निवास करने लगे।
राधाष्टमी का पर्व
राधा रानी मंदिर में राधाष्टमी का पर्व बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है। राधाष्टमी के दिन राधा रानी मंदिर को फूलों एवं मालाओं से सजाया जाता है। राधाष्टमी का पर्व बरसाना वासियों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। जन्माष्टमी के 15 दिन बाद राधाष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन पूरे बरसाना में ख़ुशी का माहौल छाया रहता है। राधा रानी मंदिर में 56 भोग लगाया जाता है। राधाष्टमी के दिन राधा रानी मंदिर में लड्डुओं का प्रसाद का भोग लगाया जाता है और उस प्रसाद को मोरों को खिला दिया जाता है। बाकी प्रसाद को श्रद्धालुओं में बांट दिया जाता है। मोर को राधा रानी का स्वरूप माना गया है। राधा रानी मंदिर में श्रद्धालु बधाई गान गाते हैं और नाच-गाकर राधाष्टमी का पर्व मनाते हैं। राधाष्टमी के पर्व पर भक्त गहवर वन की परिक्रमा भी लगाते हैं।
होली आयोजन
बरसाना में होली का पर्व बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है, यहाँ पर लट्ठमार होली की शुरुआत 16वीं शताब्दी में हुई थी। बरसाना में तभी से होली की परंपरा चली आ रही है। बसंत पंचमी के दिन राधा रानी मंदिर में होली का डांडा गढ़ जाने के बाद शाम के समय गोस्वामी समाज के व्यक्ति धमार गायन करते हैं, दर्शनार्थियों के ऊपर गुलाल उड़ाया जाता है। इस दिन मंदिर में पहली चौपाई निकली जाती है, जिसके पीछे-पीछे गोस्वामी समाज के व्यक्ति एवं भक्त लोग झांझ-मंजीरे बजाते हुए पद गाते चलते हैं। बरसाना की रंगीली गली से होकर बाजारों से रंग उड़ाती हुई यह चौपाई सभी को होली के आगमन का एहसास करा देती है। मंदिर में पंडे की अच्छी ख़ासी सेवा की जाती है और लड्डू बरसाए जाते हैं, जिसे पांडे लीला कहा जाता है। श्रद्धालु राधा जी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए राधा रानी मंदिर में होते हैं, वहाँ के सेवायत चारों तरफ से केसर, इत्र पड़े टेसू के रंग और गुलाल बरसाते हैं। मंदिर का लम्बा चौड़ा प्रांगण रंग-गुलाल से सराबोर हो जाता है।
निर्माण कार्य
राधा रानी का यह प्राचीन मंदिर मध्यकालीन है, जो लाल और पीले पत्थर से बना हुआ है। यह मंदिर राधा-कृष्ण को समर्पित है। इस भव्य मंदिर का निर्माण सन. 1675 में राजा वीर सिंह ने करवाया था। इस मंदिर में स्थानीय व्यक्तियों द्वारा बाद में पत्थरों को लगवाया गया। राधा जी को बरसाना के लोग प्यार से ‘ललि जी’ और ‘वृषभानु दुलारी’ भी कहते हैं। राधा जी के पिता का नाम वृषभानु और उनकी माता का नाम कीर्ति था। राधा रानी का मंदिर बहुत ही अच्छा और मनभावक है, राधा जी का मंदिर लगभग 250 मीटर ऊँची पहाड़ी पर बना हुआ है। मंदिर तक पहुँचने के लिए सीढ़ियों का प्रयोग करना पड़ता है। राधा-कृष्ण की आह्लादिनी शक्ति एवं निकुंजेश्वरी मानी जाती है, इसलिए राधा-कृष्ण के भक्तों का यह अधिक प्रिय तीर्थ स्थल है।
मंदिरों की तालिका-
क्र. सं. | मंदिर का नाम | मंदिर का स्थान | देवी / देवता का नाम |
1 | बांके बिहारी मंदिर | मथुरा-वृन्दावन, उत्तर प्रदेश | बांके बिहारी (श्री कृष्ण) |
2 | भोजेश्वर मंदिर | भोपाल, मध्यप्रदेश | भगवान शिव |
3 | दाऊजी मंदिर | बलदेव, मथुरा, उत्तर प्रदेश | भगवान बलराम |
4 | द्वारकाधीश मंदिर | मथुरा, उत्तर प्रदेश | श्री कृष्ण |
5 | गोवर्धन पर्वत | गोवर्धन, मथुरा, उत्तर प्रदेश | श्री कृष्ण |
6 | इस्कॉन मंदिर | मथुरा-वृन्दावन, उत्तर प्रदेश | श्री कृष्ण, भगवान बलराम |
7 | काल भैरव मंदिर | भैरवगढ़, उज्जैन, मध्यप्रदेश | भगवान काल भैरव |
8 | केदारनाथ मंदिर | रुद्रप्रयाग, उत्तराखण्ड | भगवान शिव |
9 | महाकालेश्वर मंदिर | जयसिंहपुरा, उज्जैन, मध्यप्रदेश | भगवान शिव |
10 | नन्द जी मंदिर | नन्दगाँव, मथुरा | नन्द बाबा |
11 | निधिवन मंदिर | मथुरा-वृन्दावन, उत्तर प्रदेश | श्री कृष्ण, राधा रानी |
12 | ओमकारेश्वर मंदिर | खंडवा, मध्यप्रदेश | भगवान शिव |
13 | प्रेम मंदिर | मथुरा-वृन्दावन, उत्तर प्रदेश | श्री कृष्ण, राधा रानी |
14 | राधा रानी मंदिर | बरसाना, मथुरा, उत्तर प्रदेश | श्री कृष्ण, राधा रानी |
15 | श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर | मथुरा, उत्तर प्रदेश | श्री कृष्ण, राधा रानी |
16 | बृजेश्वरी देवी मंदिर | नगरकोट, कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश | माँ ब्रजेश्वरी |
17 | चामुंडा देवी मंदिर | कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश | माँ काली |
18 | चिंतपूर्णी मंदिर | ऊना, हिमाचल प्रदेश | चिंतपूर्णी देवी |
19 | ज्वालामुखी मंदिर | कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश | ज्वाला देवी |
20 | नैना देवी मंदिर | बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश | नैना देवी |
21 | बाबा बालकनाथ मंदिर | हमीरपुर, हिमाचल प्रदेश | बाबा बालकनाथ |
22 | बिजली महादेव मंदिर | कुल्लू, हिमाचल प्रदेश | भगवान शिव |
23 | साईं बाबा मंदिर | शिर्डी, महाराष्ट्र | साईं बाबा |
24 | कैला देवी मंदिर | करौली, राजस्थान | कैला देवी (माँ दुर्गा की अवतार) |
25 | ब्रह्माजी का मंदिर | पुष्कर, राजस्थान | ब्रह्माजी |
26 | बिरला मंदिर | दिल्ली | भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी देवी |
27 | वैष्णों देवी मंदिर | कटरा, जम्मू | माता वैष्णो देवी |
28 | तिरुपति बालाजी मंदिर | तिरुपति, आंध्रप्रदेश | भगवान विष्णु |
29 | सोमनाथ मंदिर | वेरावल, गुजरात | भगवान शिव |
30 | सिद्धिविनायक मंदिर | मुंबई, महाराष्ट्र | श्री गणेश |
31 | पद्मनाभस्वामी मंदिर | (त्रिवेन्द्रम) तिरुवनंतपुरम्, केरल | भगवान विष्णु |
32 | मीनाक्षी अम्मन मंदिर | मदुरै या मदुरई, तमिलनाडु | माता पार्वती देवी |
33 | काशी विश्वनाथ मंदिर | वाराणसी, उत्तर प्रदेश | भगवान शिव |
34 | जगन्नाथ मंदिर | पुरी, उड़ीसा | श्री कृष्ण, बलराम और सुभद्रा |
35 | गुरुवायुर मंदिर | गुरुवायुर, त्रिशूर, केरल | श्री कृष्ण |
36 | कन्याकुमारी मंदिर | कन्याकुमारी, तमिलनाडु | माँ भगवती |
37 | अक्षरधाम मंदिर | दिल्ली | भगवान विष्णु |