प्रेम मंदिर उत्तर प्रदेश राज्य के मथुरा जिले की प्रसिद्ध नगरी वृन्दावन में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण जगद्गुरु कृपालु महाराज द्वारा भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी के मंदिर के रूप में करवाया गया है। इस मंदिर की देखभाल एक अंतर्राष्ट्रीय, साहित्यिक, चैरिटेबल ट्रस्ट जगद्गुरु कृपालु परिषद् करती है। यहाँ का पूरा क्षेत्र श्री कृष्ण की भक्ति और कृपा से भरा हुआ है। विश्व में प्रेम की सर्वोच्च सत्ता कायम करने के लिए भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी की दिव्य प्रेम लीलाओं की साक्षी वृन्दावन नगरी में प्रेम मंदिर का निर्माण करवाया गया है।
स्थापना
यह मंदिर लगभग 54 एकड़ भूमि में फैला हुआ है। इस मंदिर की नींव 14 जनवरी सन. 2001 को लाखों श्रद्धालुओं की मौजूदगी में जगद्गुरु कृपालु महाराज द्वारा रखी गई थी। उसी दिन से उत्तर प्रदेश और राजस्थान के करीब एक हजार कारीगर अपने हजारों मजदूरों के साथ प्रेम मंदिर को बनाने में जुट गये थे। इस मंदिर को बनाने में 11 साल का वक्त लगा और करीब 100 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। इसमें इटैलियन करारा संगमरमर का प्रयोग किया गया है। यह मंदिर छटीकरा से वृन्दावन मार्ग पर स्थित है। श्री वृन्दावन धाम का अद्वितीय युगलावास प्राचीन भारतीय शिल्पकला की झलक भी दिखाता है। प्रेम मंदिर का उद्घाटन समारोह 17 फरवरी सन. 2012 को वैदिक मंत्रोच्चार व प्रेम कीर्तन के साथ किया गया था। मंदिर की ऊँचाई 125 फुट, लम्बाई 122 फुट और चौड़ाई 115 फुट है। इस मंदिर परिसर में बहुत सुन्दर आकृतियों के बीच फव्वारे एवं राधा कृष्ण की झांकियां, गोवर्धन धारण लीला, कालिया नाग दमन लीला और झूलन लीलाएं सुसज्जित की गई हैं।
मंदिर परिसर में एक विशाल हॉल भी बनाया गया है, जहाँ एक साथ 25 हजार व्यक्तियों को एकत्रित किया जा सकता है। मंदिर की दीवारों को कठोर इटालियन संगमरमर से बनाया गया जो 3.25 फीट मोटी है। गर्भगृह की दीवार की मोटाई 8 फीट है, जिसने पूरे शिखर, स्वर्ण कलश और ध्वज के वजन को संभाल रखा है। मंदिर में लगाया गया पैनल श्रीमद् भागवत गीता से लिया गया है।
वस्तुकला
प्रेम मंदिर वास्तुकला के माध्यम से दिव्य प्रेम को साकार करता है। इस मंदिर में लाईटों को आधुनिक तरीके से बहुत ही सुन्दर प्रयोग किया गया है, मंदिर में लगी लाईट कुछ मिनटों के बाद तरह-तरह के रंग बदलती रहती हैं। दिव्य प्रेम का संदेश देने वाले इस मंदिर के द्वार चारों दिशाओं में खुलते हैं। मुख्य प्रवेश द्वार पर आठ मोरों की नक्काशी की गई है। इस मंदिर में भगवान श्रीकृष्णा-राधा की जीवन लीलाओं को प्रतिमाओं के रूप में दर्शकों के लिए प्रस्तुत किया है। पूरे मंदिर में 94 कलमंडित स्तम्भ हैं, जिसमें किंकिरी व मंजरी सखियों के विग्रह दिखाए गए है। गर्भगृह के अंदर व बाहर पुरानी भारतीय वास्तुशिल्प का उत्कृष्ट प्रदर्शन करती हुई नक्काशी व पच्चीकारी सभी को मोहित करती है। यहाँ संगमरमर के चिकने पत्थर की पट्टियों पर ‘राधा गोविन्द गीत’ के सरल व सारगर्भित दोहे दिखाए गए हैं, जो भक्ति योग से भगवत गीता प्राप्ति के सरल वेद अनुसार मार्ग प्रतिपादित करते हैं।
भगवान कृष्ण के प्रति भक्तों का बहुत भाव है। प्रेम मंदिर को भगवान कृष्ण के सबसे पवित्र और प्रसिद्ध मंदिरों में से एक माना जाता है। जगद्गुरु कृपालु महाराज ने वृन्दावन का विकास करने में बहुत बड़ा सहयोग दिया, कृपालु महाराज का मुख्य आश्रम वृन्दावन में ही है।
उत्सव व दर्शन समय
मथुरा वृन्दावन की पावन भूमि पर मनाए जाने वाले सभी धार्मिक उत्सवों के लिए यह मंदिर बहुत ही मशहूर है। प्रेम मंदिर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी और राधाष्टमी का त्यौहार बहुत सुन्दर व धूमधाम से मनाया जाता है। भगवान श्री कृष्ण के जीवन से जुड़ी लीलाओं की झाकियाँ सजाई जाती हैं, जिन्हें देखने के लिए भक्त भारी संख्या में उपस्थित रहते हैं।
प्रेम मंदिर में दर्शन करने का समय ग्रीष्मकाल में सुबह 08:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक, शाम के समय में 04:30 बजे से रात्रि 08:30 बजे तक है। शीतकाल में सुबह 08:30 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक शाम के समय में 4:30 बजे से रात्रि 08:30 बजे तक दर्शन कर सकते हैं।
मंदिरों की तालिका-
क्र. सं. | मंदिर का नाम | मंदिर का स्थान | देवी / देवता का नाम |
1 | बांके बिहारी मंदिर | मथुरा-वृन्दावन, उत्तर प्रदेश | बांके बिहारी (श्री कृष्ण) |
2 | भोजेश्वर मंदिर | भोपाल, मध्यप्रदेश | भगवान शिव |
3 | दाऊजी मंदिर | बलदेव, मथुरा, उत्तर प्रदेश | भगवान बलराम |
4 | द्वारकाधीश मंदिर | मथुरा, उत्तर प्रदेश | श्री कृष्ण |
5 | गोवर्धन पर्वत | गोवर्धन, मथुरा, उत्तर प्रदेश | श्री कृष्ण |
6 | इस्कॉन मंदिर | मथुरा-वृन्दावन, उत्तर प्रदेश | श्री कृष्ण, भगवान बलराम |
7 | काल भैरव मंदिर | भैरवगढ़, उज्जैन, मध्यप्रदेश | भगवान काल भैरव |
8 | केदारनाथ मंदिर | रुद्रप्रयाग, उत्तराखण्ड | भगवान शिव |
9 | महाकालेश्वर मंदिर | जयसिंहपुरा, उज्जैन, मध्यप्रदेश | भगवान शिव |
10 | नन्द जी मंदिर | नन्दगाँव, मथुरा | नन्द बाबा |
11 | निधिवन मंदिर | मथुरा-वृन्दावन, उत्तर प्रदेश | श्री कृष्ण, राधा रानी |
12 | ओमकारेश्वर मंदिर | खंडवा, मध्यप्रदेश | भगवान शिव |
13 | प्रेम मंदिर | मथुरा-वृन्दावन, उत्तर प्रदेश | श्री कृष्ण, राधा रानी |
14 | राधा रानी मंदिर | बरसाना, मथुरा, उत्तर प्रदेश | श्री कृष्ण, राधा रानी |
15 | श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर | मथुरा, उत्तर प्रदेश | श्री कृष्ण, राधा रानी |
16 | बृजेश्वरी देवी मंदिर | नगरकोट, कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश | माँ ब्रजेश्वरी |
17 | चामुंडा देवी मंदिर | कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश | माँ काली |
18 | चिंतपूर्णी मंदिर | ऊना, हिमाचल प्रदेश | चिंतपूर्णी देवी |
19 | ज्वालामुखी मंदिर | कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश | ज्वाला देवी |
20 | नैना देवी मंदिर | बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश | नैना देवी |
21 | बाबा बालकनाथ मंदिर | हमीरपुर, हिमाचल प्रदेश | बाबा बालकनाथ |
22 | बिजली महादेव मंदिर | कुल्लू, हिमाचल प्रदेश | भगवान शिव |
23 | साईं बाबा मंदिर | शिर्डी, महाराष्ट्र | साईं बाबा |
24 | कैला देवी मंदिर | करौली, राजस्थान | कैला देवी (माँ दुर्गा की अवतार) |
25 | ब्रह्माजी का मंदिर | पुष्कर, राजस्थान | ब्रह्माजी |
26 | बिरला मंदिर | दिल्ली | भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी देवी |
27 | वैष्णों देवी मंदिर | कटरा, जम्मू | माता वैष्णो देवी |
28 | तिरुपति बालाजी मंदिर | तिरुपति, आंध्रप्रदेश | भगवान विष्णु |
29 | सोमनाथ मंदिर | वेरावल, गुजरात | भगवान शिव |
30 | सिद्धिविनायक मंदिर | मुंबई, महाराष्ट्र | श्री गणेश |
31 | पद्मनाभस्वामी मंदिर | (त्रिवेन्द्रम) तिरुवनंतपुरम्, केरल | भगवान विष्णु |
32 | मीनाक्षी अम्मन मंदिर | मदुरै या मदुरई, तमिलनाडु | माता पार्वती देवी |
33 | काशी विश्वनाथ मंदिर | वाराणसी, उत्तर प्रदेश | भगवान शिव |
34 | जगन्नाथ मंदिर | पुरी, उड़ीसा | श्री कृष्ण, बलराम और सुभद्रा |
35 | गुरुवायुर मंदिर | गुरुवायुर, त्रिशूर, केरल | श्री कृष्ण |
36 | कन्याकुमारी मंदिर | कन्याकुमारी, तमिलनाडु | माँ भगवती |
37 | अक्षरधाम मंदिर | दिल्ली | भगवान विष्णु |