फूलन देवी का परिचय
“बैंडिट क्वीन” नाम सुनते ही हमारे दिमाग में बस एक ही नाम आता है “फूलन देवी”| फूलन देवी एक डाकू के साथ ही साथ समाजवादी पार्टी की एक भारतीय महिला अधिकार कार्यकर्ता और राजनीतिज्ञ (राजनेता) थीं, जिन्होंने बाद में संसद सदस्य के रूप में सेवा किया था| ऐसा माना जाता है कि छोटी जाति में जन्म लेना फूलन देवी के लिए अभिशाप हो गया था| फूलन देवी ने अपने साथ हुई नाइंसाफी को अपनी हार कभी नहीं बनने दिया था और उन्होंने साहस दिखाया और अपने जुर्मो का बदला भी लिया था| कहा जाता है कि फूलन देवी ने अपने ऊपर हुए अत्याचारो का ऐसा बदला लिया कि लोगो ने फूलन देवी को इज़्ज़त की नज़र से देखना शुरू कर दिया था|
फूलन देवी का जन्म, शिक्षा और प्रारंभिक जीवन
फूलन देवी का जन्म 10 अगस्त 1963, उत्तर प्रदेश के जालौन जिले के घूरा का पुरवा (जो कि गोरहा का पुरवा नाम से भी जाना जाता है) के छोटे से गाँव में हुआ था| फूलन देवी का जन्म मल्लाह (नाविक) जाति में हुआ था| फूलन देवी एक गरीब परिवार में जन्मी अपने माँ-बाप की चौथी और सबसे छोटी संतान थी| फूलन देवी के पिता का नाम देवी दीन मल्लाह था जो की पेशे से एक किसान थे और फूलन की माँ का नाम मूला था| बड़े होने तक बच्चो में केवल फूलन देवी और उनकी बड़ी बहन ही जिंदा बच पाए थे| फूलन देवी के पूरे परिवार के पास बस एक एकड़ जमीन थी जिसके बीच एक बड़ा सा नीम का पेड़ था| जब फूलन ग्यारह (Eleven) वर्ष की थी तो उनके दादा दादी की मृत्यु हो गई थी जिसके बाद फूलन के घर के मुखिया फूलन के ताऊ जी बन गए थे| फूलन के ताऊ जी का कहना था कि खेत के बीच लगे नीम के पेड़ को काट देना चाहिये जिससे उस जगह भी खेती की जा सके और इस बात से फूलन देवी को छोड़ बाकि सब सहमत भी थे| नीम का पेड़ काटने जब फूलन के ताऊ जी का बेटा माया दीन जा रहा था तो फूलन ने उसे बहुत गालियां दी और उन दोनों के बीच बहस छिड़ गई| फूलन देवी की यह हिम्मत किसी को रास नहीं आई थी जिसके कारण उसी वर्ष उनका विवाह बाल अवस्था (बाल विवाह) में फूलन देवी की उम्र से तीन गुना बड़े आदमी से करा दिया गया था| शादी के बाद फूलन देवी का पति उन पर बहुत अत्याचार करने लगा था जिनमें से एक शारीरिक(Physical Abuse) शोषण भी था| बाल विवाह और ऐसे बचपन के कारण फूलन देवी की कोई औपचारिक शिक्षा (formal education) नहीं हो पाई थी| इन अत्याचारों के कारण फूलन देवी ने घर से भागने का फैसला किया जिसके बाद फूलन देवी अपने घर आ गई लेकिन घर वालों ने भी फूलन को अपमान का ही मुंह दिखाया |
एक रोज़ उनका सामना अपने भाई माया दीन से हुआ जो की अभी भी फूलन से बदला लेना चाहते थे और बदले की भावना से माया दीन ने फूलन देवी के खिलाफ पास के पुलिस थाने में चोरी के इलज़ाम की रिपोर्ट दर्ज करा दिया| जिसके कारण फूलन देवी को तीन दिन जेल में बिताने पड़े थे और वह भी पुलिस वालो ने फूलन देवी का कई बार शारारिक शोषण किया था और डरा धमका कर फूलन देवी को वापस घर भेज दिया गया था जहां फूलन को अपने ससुराल वापस भेजने की तैयारी करी जा रही थी| पहले तो फूलन के ससुराल वालो ने फूलन देवी को वपस ले जाने से मना कर दिया लेकिन पैसे देने के बाद वह मान गए और फूलन अपने ससुराल वापस चली गईं| फूलन जब वापस अपने ससुराल गई थी तो उनके पति पुत्तीलाल उनको बहुत मारता और जबरदस्ती शारीरिक सम्बन्ध बनाने की कोशिश करता था| कुछ दिनों तक झेलने के बाद फूलन देवी अपनी सोलह वर्ष की आयु में फिर से अपने ससुराल से भाग गई लेकिन इस बार फुलन अपने मायके नहीं गई बल्कि फूलन देवी इस बार डाकुओं के समूह में शामिल हो गई थी जहां डाकुओं के सरदार ने फूलन का शारीरिक शोषण किया लेकिन उस समूह में एक डाकू फूलन को पसंद करने लगा था|
एक रोज़ फूलन के साथ शोषण होते दौरान उस डाकू ने सरदार को मार दिया और फूलन और वो डाकू एक दूसरे के साथ वक़्त बिताने लगे |एक दिन जब फूलन अपने प्रेमी के साथ खेतों में घूम रही थी तभी उनके ताऊ जी के बेटे माया दीन वहां आ गए और गोलीबारी में फूलन के प्रेमी की मौत हो गई और फूलन को उठा ले गए जहां फूलन के साथ एक बार फिर से सामूहिक शारीरिक शोषण होता रहा | एक दिन फुलन के पास गाँव का एक आदमी आया और फूलन को भगा ले गया| फूलन एक बार फिर एक डाकुओ के समूह में शामिल हो गई उस समूह की फूलन पहली महिला डाकू बनी थीं| फूलन की हिम्मत और साहस के कारण फूलन देवी का डाकुओं में नाम होने लगा था| धीरे धीरे फूलन देवी ने अपने ऊपर हुए अत्याचारों और शोषण का बदला लेना शुरू कर दिया था| फूलन देवी का सबसे बड़ा नरसंघार ये था कि फूलन देवी ने एक ही गाँव के बाईस राजपूतो को एक लाइन में खड़ा कर के गोलियों से भून डाला था| फूलन देवी ने बहुत से पुलिस कर्मियों को भी गोलियों से मार डाला था जिन्होंने फूलन के साथ बलात्कार किया था| ये सब के बाद फूलन देवी का देवी की तरह पूजन होने लगा था क्यूंकि फूलन देवी ने अपनी इज़्ज़त के लिए राजपूतो का नरसंहार किया था| फूलन देवी का खौफ होने लगा और फूलन का नाम बड़े डाकुँओं में गिना जाने लगा| साल 1983 में फूलन देवी के बाकि गैंग के साथियों ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था|
फूलन देवी पर 48 अपराध का आरोप लगाया गया था जिसमें से कई हत्याओं, लूट, फिरौती और अपहरण जैसे मामले शामिल थे| फूलन देवी को इन सब आरोपों के लिए जेल की लम्बी सजा सुनाई गई थी
11 साल जेल में बिताने के बाद फूलन देवी को 1994 में मुलायम सिंह जी की सरकार आई तब फूलन देवी को उन पर लगे सारे आरोपों से बरी कर दिया गया और फूलन देवी जेल से बाहर आ गई थीं| यहाँ से ही फूलन देवी का राजनीति का सफर शुरू हुआ| 1995 में, फूलन देवी की रिहाई के एक साल बाद फूलन को डॉ. रामदास (पट्टली मक्कल काची के संस्थापक) द्वारा शराबबंदी और महिला अश्लीलता के बारे में सम्मेलन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया था। फूलन देवी ने समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर दो बार लोक सभा के सदस्य का चुनाव मिर्ज़ापुर उत्तर प्रदेश से अपने नाम दर्ज़ किया| फूलन देवी ने लोकसभा के कार्यकाल के दौरान एक सांसद के रूप में कार्य किया। 15 फरवरी 1995 को फूलन देवी और उनके पति उम्मेद सिंह ने प्रसिद्ध बौद्ध स्थल दीक्षाभूमि में बौद्ध धर्म ग्रहण कर लिया था। साल 1998 के चुनाव में फूलन देवी अपनी सीट हार गई थी परंतु साल 1999 के चुनाव में फूलन देवी फिर से चुनी गई और मिर्जापुर की संसद की सदस्य थीं|
फूलन देवी की उपलब्धियां
फूलन देवी को किसी पुरस्कार से नही नवाजा गया है, लेकिन फूलन देवी को ‘देवी’ और ‘बैंडिट क्वीन’ की उपाधि दिया गया था| फूलन देवी के जीवन पर दो किताबें भी लिखी गई थी जिसके नाम ‘फूलन देवी: द ऑटोबायोग्राफी ऑफ़ बैंडिट क्वीन ऑफ़ इंडिया और द बैंडिट क्वीन ऑफ़ इंडिया: एन इंडियन वुमन था| फूलन देवी के जीवन पर आधारित फिल्म भी बनाई गई थी जिसका नाम बैंडिट क्वीन था जिसमें फूलन देवी के जीवन का सफर दिखाया गया है और फूलन देवी पर बनी इस फिल्म ने कई पुरस्कार अपने नाम किए थे|
फूलन देवी का वैवाहिक जीवन और निधन
फूलन देवी का दो बार विवाह हुआ था| फूलन देवी का पहला विवाह फूलन की ग्यारह (Eleven) वर्ष की आयु में उनकी उम्र के तीन गुना बड़े आदमी पुत्तीलाल मल्लाह से हुआ था|
फूलन देवी ने दूसरा विवाह उम्मेद सिंह से किया था जो की 2004 और 2009 के चुनाव भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के टिकट पर लड़े थे|
फूलन देवी का दो और आदमियों से प्रेम प्रसंग रहा था फूलन देवी का पहला प्रेम प्रसंग विक्रम मल्लाह से हुआ था जो की खुद भी डैकत थे और दूसरा प्रेम सम्बन्ध फूलन देवी का मान सिंह से हुआ था जिन्होंने फूलन देवी को राजपूतो के कब्ज़े से भगाया था|
“26 जुलाई 2001” दोपहर 1:30 बजे, फूलन देवी की उनके दिल्ली बंगले के बाहर तीन नकाबपोश बंदूकधारियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। फूलन देवी को सिर, छाती, कंधे और दाहिने हाथ में नौ बार गोली मारी गई थी| फूलन देवी को राम मनोहर लोहिया अस्पताल ले जाया गया लेकिन उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। फूलन देवी ने 37 साल की उम्र में अपनी आखिरी सांसें लिया था|
प्रमुख संदिग्ध शेर सिंह राणा ने बाद में पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था। शेर सिंह राणा ने कथित तौर पर दावा किया कि उसने फूलन देवी की हत्या उस उच्च-जाति के लोगों से बदला लेने के लिए की थी, जिसने बेहमई नरसंहार में गोली चलाई थी।14 अगस्त 2014, को अदालत ने शेर सिंह राणा को जेल और आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।