परिचय
भारत का सबसे धनी मंदिर पद्मनाभस्वामी मंदिर है। यह मंदिर भारत के केरल राज्य के तिरुवनंतपुरम् (त्रिवेन्द्रम) शहर में स्थित भगवान विष्णु का प्रसिद्ध हिन्दू मंदिर है। त्रावणकोर के पूर्व शाही परिवार द्वारा इस मंदिर की देख-रेख की जाती है। यह मंदिर बहुत ही पुराना है और इसे द्रविड़ शैली में बनाया गया है। पद्मनाभस्वामी मंदिर की सम्पत्ति कुल एक लाख करोड़ की है। मंदिर के गर्भग्रह में भगवान विष्णु की विशाल मूर्ति विराजमान है। यहाँ पर हजारों संख्या में भक्त दर्शन के लिए दूर-दूर से आते हैं। इस प्रतिमा में भगवान विष्णु शेषनाग पर शयन मुद्रा में विराजमान है। मान्यता है कि तिरुअनंतपुरम नाम भगवान के ‘अनंत’ नामक नाग के नाम पर ही रखा गया है। भगवान विष्णु की विश्राम अवस्था को ‘पद्मनाभ’ कहा जाता है और इस रूप में विराजित भगवान विष्णु ‘पद्मनाभस्वामी’ के नाम से मशहूर हैं।

मंदिर का स्थापत्य
राजा मार्तण्ड के द्वारा पद्मनाभस्वामी मंदिर का निर्माण करवाया गया था। इस मंदिर का जब दोबारा निर्माण हुआ, तब अनेक महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखा गया था। सबसे पहले इसकी सुन्दरता को आधार बनाया और बहुत बड़ा मंदिर निर्मित किया गया। इस मंदिर के निर्माण में द्रविड़ व केरल शैली से मिलता-जुलता प्रयोग देखा जा सकता है। पद्मनाभस्वामी मंदिर दक्षिण भारतीय वास्तुकला का आश्चर्यजनक उदाहरण है। यह मंदिर बहुत बड़ी जगह में फैला हुआ है, जो सात मंजिला ऊँचा है, गोपुरम को कलाकृतियों से सुसज्जित किया गया है। मंदिर के पास में सरोवर भी है, जो ‘पद्मतीर्थ’ के नाम से पहचाना जाता है।
मंदिर के महत्व
पद्मनाभस्वामी मंदिर का महत्व यहाँ के पवित्र परिवेश से और बढ़ जाता है। मंदिर में धूप-दीप का प्रयोग होता है, जिससे वातावरण भी मनमोहक एवं सुंगधित रहता है। मंदिर में एक सोने (स्वर्ण) का खम्बा भी बना हुआ है, जो मंदिर की शोभा बढ़ाता है। मंदिर की गैलरियों में अनेक खम्बा बनाए गए हैं, उन पर सुंदर चित्रकारी की गई है, जो इसकी सुन्दरता में चार चांद लगा देती है। पद्मनाभस्वामी मंदिर में पुरुष या स्त्रीसिले हुए कपड़े पहनकर प्रवेश नहीं कर सकते। शास्त्रों में कहा गया है कि कपडा सिलने के बाद अशुद्ध माना जाता है, इसलिए पूजा के समय बिना सिला हुआ कपड़ा पहना जाता है। हिन्दू धर्म में पूजा के समय धोती ही पहनीं जाती है। पुरूषों की धोती को ‘कोमंडु’ कहा जाता है। धोती पहनकर ही मंदिर में प्रवेश करते हैं और पद्मनाभस्वामी भगवान के दर्शन पाते हैं। स्त्रियों को भी भगवान के दर्शन करने के लिए धोती ही पहननी पड़ती है। बिना धोती के पुरुष या स्त्री मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकते हैं। इस मंदिर में दर्शन के लिए केवल हिन्दुओं को ही प्रवेश मिलता है। मंदिर में हर साल दो बार मुख्य त्योहारों पर कार्यक्रम किया जाता है, जिसमें पहला 1 मार्च व अप्रैल में और दूसरा अक्टूबर व नवम्बर के महीने में मनाया जाता है। मंदिर में वार्षिकोत्सव कार्यक्रम में लाखों भक्त हिस्सा लेने के लिए आते हैं तथा भगवान पद्मनाभस्वामी से सुख-शांति की कामना मांगते हैं।
मंदिर की सम्पत्ति
पद्मनाभस्वामी मंदिर के नीचे पांच तहखाने बने हैं। इन तहखानों से करीब 22 सौ करोड़ डोलर का खजाना भी प्राप्त हुआ है। इन खजानों में बहुत कीमती हीरे-जवाहरातों के अलावा सोने का बेहिसाब भंडार और बहुत पुरानी मूर्तियां भी निकलीं। साथ ही हर दरवाजे के पर जाने वाले मंदिर के प्रशासन से जुड़े अधिकारियों के पैनल को प्राचीन स्मृति चिह्नों के ढेर भी मिले। बाद में मंदिर के चैम्बर B नाम के अन्तिम चैम्बर तक पहुंच गए और बहुत प्रयास करने के बाद कोई भी उसके दरवाजे को नहीं खोल सका, लेकिन यहाँ पहुंचकर उन्हें रुकना पड़ा। सुप्रीमकोर्ट ने इस तहखाने को खोलने पर रोक लगा दी है। सुप्रीमकोर्ट ने आदेश किया कि ये धन मंदिर का है, मंदिर की पवित्रता और सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए।
मंदिरों की तालिका-
क्र. सं. | मंदिर का नाम | मंदिर का स्थान | देवी / देवता का नाम |
1 | बांके बिहारी मंदिर | मथुरा-वृन्दावन, उत्तर प्रदेश | बांके बिहारी (श्री कृष्ण) |
2 | भोजेश्वर मंदिर | भोपाल, मध्यप्रदेश | भगवान शिव |
3 | दाऊजी मंदिर | बलदेव, मथुरा, उत्तर प्रदेश | भगवान बलराम |
4 | द्वारकाधीश मंदिर | मथुरा, उत्तर प्रदेश | श्री कृष्ण |
5 | गोवर्धन पर्वत | गोवर्धन, मथुरा, उत्तर प्रदेश | श्री कृष्ण |
6 | इस्कॉन मंदिर | मथुरा-वृन्दावन, उत्तर प्रदेश | श्री कृष्ण, भगवान बलराम |
7 | काल भैरव मंदिर | भैरवगढ़, उज्जैन, मध्यप्रदेश | भगवान काल भैरव |
8 | केदारनाथ मंदिर | रुद्रप्रयाग, उत्तराखण्ड | भगवान शिव |
9 | महाकालेश्वर मंदिर | जयसिंहपुरा, उज्जैन, मध्यप्रदेश | भगवान शिव |
10 | नन्द जी मंदिर | नन्दगाँव, मथुरा | नन्द बाबा |
11 | निधिवन मंदिर | मथुरा-वृन्दावन, उत्तर प्रदेश | श्री कृष्ण, राधा रानी |
12 | ओमकारेश्वर मंदिर | खंडवा, मध्यप्रदेश | भगवान शिव |
13 | प्रेम मंदिर | मथुरा-वृन्दावन, उत्तर प्रदेश | श्री कृष्ण, राधा रानी |
14 | राधा रानी मंदिर | बरसाना, मथुरा, उत्तर प्रदेश | श्री कृष्ण, राधा रानी |
15 | श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर | मथुरा, उत्तर प्रदेश | श्री कृष्ण, राधा रानी |
16 | बृजेश्वरी देवी मंदिर | नगरकोट, कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश | माँ ब्रजेश्वरी |
17 | चामुंडा देवी मंदिर | कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश | माँ काली |
18 | चिंतपूर्णी मंदिर | ऊना, हिमाचल प्रदेश | चिंतपूर्णी देवी |
19 | ज्वालामुखी मंदिर | कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश | ज्वाला देवी |
20 | नैना देवी मंदिर | बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश | नैना देवी |
21 | बाबा बालकनाथ मंदिर | हमीरपुर, हिमाचल प्रदेश | बाबा बालकनाथ |
22 | बिजली महादेव मंदिर | कुल्लू, हिमाचल प्रदेश | भगवान शिव |
23 | साईं बाबा मंदिर | शिर्डी, महाराष्ट्र | साईं बाबा |
24 | कैला देवी मंदिर | करौली, राजस्थान | कैला देवी (माँ दुर्गा की अवतार) |
25 | ब्रह्माजी का मंदिर | पुष्कर, राजस्थान | ब्रह्माजी |
26 | बिरला मंदिर | दिल्ली | भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी देवी |
27 | वैष्णों देवी मंदिर | कटरा, जम्मू | माता वैष्णो देवी |
28 | तिरुपति बालाजी मंदिर | तिरुपति, आंध्रप्रदेश | भगवान विष्णु |
29 | सोमनाथ मंदिर | वेरावल, गुजरात | भगवान शिव |
30 | सिद्धिविनायक मंदिर | मुंबई, महाराष्ट्र | श्री गणेश |
31 | पद्मनाभस्वामी मंदिर | (त्रिवेन्द्रम) तिरुवनंतपुरम्, केरल | भगवान विष्णु |
32 | मीनाक्षी अम्मन मंदिर | मदुरै या मदुरई, तमिलनाडु | माता पार्वती देवी |
33 | काशी विश्वनाथ मंदिर | वाराणसी, उत्तर प्रदेश | भगवान शिव |
34 | जगन्नाथ मंदिर | पुरी, उड़ीसा | श्री कृष्ण, बलराम और सुभद्रा |
35 | गुरुवायुर मंदिर | गुरुवायुर, त्रिशूर, केरल | श्री कृष्ण |
36 | कन्याकुमारी मंदिर | कन्याकुमारी, तमिलनाडु | माँ भगवती |
37 | अक्षरधाम मंदिर | दिल्ली | भगवान विष्णु |