उत्तर प्रदेश राज्य के मथुरा जिले में प्रसिद्ध बरसाना गाँव के पास एक छोटे से नगर नन्दगाँव में नन्द जी का मंदिर स्थित है। यह मंदिर नंदीश्वर नामक पहाड़ी पर बना हुआ है और श्रीकृष्ण भक्तों के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। किंवदंती के अनुसार यह गाँव भगवान श्री कृष्ण के पिता नंदराय द्वारा एक पहाड़ी पर बसाया गया, इसी कारण इस स्थान का नाम नंदगाँव पड़ा।
प्रमुख आकर्षण
यह मंदिर नन्दबाबा के नाम से विख्यात है, इसी नन्दीश्वर पर्वत पर भगवान श्री कृष्ण व उनके परिवार से संबंधित अनेक दर्शनीय स्थल हैं, जिसमें नरसिंह, गोपीनाथ, नृत्य गोपाल, गिरधारी, नंदनंदन और माता यशोदा के मंदिर हैं। पर्वत के साथ ही पान सरोवर तथा पास ही में एक बड़ी झील है, जिस पर मसोनरी घाट निर्मित है। कहा जाता है कि भगवान श्री कृष्ण अपनी गायों को स्नान कराने लाया करते थे। नंदबाबा मंदिर के पास में ही खदिरवन, बूढ़े बाबू, नदीश्वर, हाऊ-बिलाऊ, पावन सरोवर और उद्धव क्यारी नामक दूसरे स्थान भी हैं, जो भगवान श्री कृष्ण के जीवन की विभिन्न घटनाओं से सम्बद्ध माने जाते हैं।
नंदराय मंदिर और नंद भवन
यह मंदिर 18वीं शताब्दी में भरतपुर के राजा रूपसिंह द्वारा बनवाया गया था। यह मंदिर भगवान श्री कृष्ण के पिता नंदराय को समर्पित है। इस मंदिर तक पहुँचने के लिए पहाड़ी पर चढ़ाई करनी पडती है। नन्द भवन में भगवान श्री कृष्ण की काले रंग के ग्रेनाइट पत्थर में गुदी हुई मूर्ति है, उन्हीं के साथ नंदबाबा, यशोदा, बलराम और उनकी माता रोहिणी की मूर्तियाँ भी हैं।
नन्दीश्वर मंदिर की कथा
नंदगाँव में भगवान शंकर का मंदिर नन्दीश्वर महादेव है, भगवान श्री कृष्ण के जन्म के बाद भगवान शंकर साधु के वेश में उनके दर्शन के लिए नंदगाँव आये थे। यशोदा ने साधु का विचित्र रूप देखकर बालक को नहीं दिखाया, उन्हें ऐसा लगा कि साधु को देखकर कहीं बालक डर न जाए। भगवान शंकर वहाँ से चले गये और जंगल में जाकर ध्यान लगाकर लगाकर बैठ गए। इधर भगवान श्री कृष्ण अचानक रोने लगे और सभी ने उन्हें चुप कराने की बहुत कोशिश की लेकिन भगवान श्री कृष्ण चुप नहीं हुए। तब यशोदा के मन में विचार आया कि वह साधु जरुर कोई तांत्रिक रहा होगा, उस साधु ने ही बालक पर जादू-टोना कर दिया है। यशोदा के बुलाने पर भगवान शंकर साधु के वेश में फिर वहाँ आये, तुरंत भगवान श्री कृष्ण ने साधु को देखकर रोना बंद कर दिया और मुस्कुराने लगे। बालक के दर्शन करके साधु ने माता यशोदा से बालक का जूठा भोजन प्रसाद के रूप में माँगा। तभी से यह परम्परा चली आ रही है कि भगवान श्री कृष्ण को लगाया गया भोग बाद में नन्दीश्वर मंदिर में शिवलिंग पर भी चढ़ाया जाता है। जिस स्थान पर भगवान शंकर ने वन में श्री कृष्ण का ध्यान किया था, उसी स्थान पर नन्दीश्वर मंदिर बनवाया गया है।
पावन सरोवर
यह सरोवर नन्दीश्वर पहाड़ के नीचे की भूमि पर स्थित है। कहा जाता है कि माता यशोदा भगवान श्री कृष्ण को इसी सरोवर में स्नान करवाया करती थी। नंदराय और अन्य व्यक्ति यही पर स्नान किया करते थे। इस सरोवर का जल साफ़ और शुद्ध है, इसलिए इसका नाम पावन सरोवर है, इसका पुनुरुद्वार ब्रज फाउन्डेशन ने किया है।
भजन कुटीर और मोती कुण्ड
पावन सरोवर के पास ही पावन बिहारी जी का मंदिर है। भगवान श्री कृष्ण ने गोस्वामी जी को स्वप्न में बताया था कि नन्दीश्वर पर्वत की गुफा में नंदबाबा, यशोदा और बलराम की मूर्तियाँ रखी हुई हैं। इसके बाद सनातन गोस्वामी ने यहाँ लाकर उन तीनों मूर्तियों को स्थापित किया। नन्दीश्वर पहाड़ और पावन सरोवर से कुछ दूरी पर ही कुण्ड स्थित है, जहाँ राधा और कृष्ण का मंदिर है। माना जाता है कि यहीं राधा के पिता वृषभानु ने कृष्ण के पिता नंदराय को सोने के आभूषण और मोती भेंट स्वरूप दिए थे।
नन्द मंदिर के मुख्य पर्व
नन्द बाबा मंदिर में ब्रज के लोकगीतों को गाते हुए होली का पर्व बहुत ही धूमधाम से मनाते हैं। यहाँ के गोप ध्वज पताका को साथ में लेकर राधा रानी के गाँव बरसाना पर प्रतीकात्मक चढाई करते हैं। बरसाना की गोपिकाओं और नंदगाँव के गोपों के बीच हर साल लठ्ठमार होली खेली जाती है।
मंदिरों की तालिका-
क्र. सं. | मंदिर का नाम | मंदिर का स्थान | देवी / देवता का नाम |
1 | बांके बिहारी मंदिर | मथुरा-वृन्दावन, उत्तर प्रदेश | बांके बिहारी (श्री कृष्ण) |
2 | भोजेश्वर मंदिर | भोपाल, मध्यप्रदेश | भगवान शिव |
3 | दाऊजी मंदिर | बलदेव, मथुरा, उत्तर प्रदेश | भगवान बलराम |
4 | द्वारकाधीश मंदिर | मथुरा, उत्तर प्रदेश | श्री कृष्ण |
5 | गोवर्धन पर्वत | गोवर्धन, मथुरा, उत्तर प्रदेश | श्री कृष्ण |
6 | इस्कॉन मंदिर | मथुरा-वृन्दावन, उत्तर प्रदेश | श्री कृष्ण, भगवान बलराम |
7 | काल भैरव मंदिर | भैरवगढ़, उज्जैन, मध्यप्रदेश | भगवान काल भैरव |
8 | केदारनाथ मंदिर | रुद्रप्रयाग, उत्तराखण्ड | भगवान शिव |
9 | महाकालेश्वर मंदिर | जयसिंहपुरा, उज्जैन, मध्यप्रदेश | भगवान शिव |
10 | नन्द जी मंदिर | नन्दगाँव, मथुरा | नन्द बाबा |
11 | निधिवन मंदिर | मथुरा-वृन्दावन, उत्तर प्रदेश | श्री कृष्ण, राधा रानी |
12 | ओमकारेश्वर मंदिर | खंडवा, मध्यप्रदेश | भगवान शिव |
13 | प्रेम मंदिर | मथुरा-वृन्दावन, उत्तर प्रदेश | श्री कृष्ण, राधा रानी |
14 | राधा रानी मंदिर | बरसाना, मथुरा, उत्तर प्रदेश | श्री कृष्ण, राधा रानी |
15 | श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर | मथुरा, उत्तर प्रदेश | श्री कृष्ण, राधा रानी |
16 | बृजेश्वरी देवी मंदिर | नगरकोट, कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश | माँ ब्रजेश्वरी |
17 | चामुंडा देवी मंदिर | कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश | माँ काली |
18 | चिंतपूर्णी मंदिर | ऊना, हिमाचल प्रदेश | चिंतपूर्णी देवी |
19 | ज्वालामुखी मंदिर | कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश | ज्वाला देवी |
20 | नैना देवी मंदिर | बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश | नैना देवी |
21 | बाबा बालकनाथ मंदिर | हमीरपुर, हिमाचल प्रदेश | बाबा बालकनाथ |
22 | बिजली महादेव मंदिर | कुल्लू, हिमाचल प्रदेश | भगवान शिव |
23 | साईं बाबा मंदिर | शिर्डी, महाराष्ट्र | साईं बाबा |
24 | कैला देवी मंदिर | करौली, राजस्थान | कैला देवी (माँ दुर्गा की अवतार) |
25 | ब्रह्माजी का मंदिर | पुष्कर, राजस्थान | ब्रह्माजी |
26 | बिरला मंदिर | दिल्ली | भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी देवी |
27 | वैष्णों देवी मंदिर | कटरा, जम्मू | माता वैष्णो देवी |
28 | तिरुपति बालाजी मंदिर | तिरुपति, आंध्रप्रदेश | भगवान विष्णु |
29 | सोमनाथ मंदिर | वेरावल, गुजरात | भगवान शिव |
30 | सिद्धिविनायक मंदिर | मुंबई, महाराष्ट्र | श्री गणेश |
31 | पद्मनाभस्वामी मंदिर | (त्रिवेन्द्रम) तिरुवनंतपुरम्, केरल | भगवान विष्णु |
32 | मीनाक्षी अम्मन मंदिर | मदुरै या मदुरई, तमिलनाडु | माता पार्वती देवी |
33 | काशी विश्वनाथ मंदिर | वाराणसी, उत्तर प्रदेश | भगवान शिव |
34 | जगन्नाथ मंदिर | पुरी, उड़ीसा | श्री कृष्ण, बलराम और सुभद्रा |
35 | गुरुवायुर मंदिर | गुरुवायुर, त्रिशूर, केरल | श्री कृष्ण |
36 | कन्याकुमारी मंदिर | कन्याकुमारी, तमिलनाडु | माँ भगवती |
37 | अक्षरधाम मंदिर | दिल्ली | भगवान विष्णु |