मोहनजोदड़ो का उत्खनन किसने किया था ?
मोहनजोदड़ो सभ्यता के उत्खनन से पहले ये जानना आवश्यक है कि मोहनजोदड़ो सभ्यता है क्या ? मोहनजोदड़ो सभ्यता पाकिस्तान के सिंध प्रांत में सिंधु नदी के किनारे बसी करीब 4,000 साल पुराने की खोज अभी से 100 साल पहले हुई थी । मोहनजोदड़ो प्राचीन सभ्यताओं में से एक सिंधु घाटी सभ्यता का प्रमुख शहर रहा है मोहनजोदड़ो का अर्थ है ‘ मुर्दा का घर ‘ मोहनजोदड़ो को ऐसे योजनाबद्ध तरीके से बनाया गया था कि जिसमें हैरान करने वाली सभी सुख सुविधाएं मौजूद थीं तथा यहां के मकान जो कि पक्की ईंटों से बने थे जिनमें स्नानगृह और शौचालय थे ।

मोहनजोदड़ो सभ्यता –
मोहनजोदड़ो एक अद्भुत शहर था जहां 10 सेंटीमीटर की एक लड़की की मूर्ति भी मिली जो कि कांसे की बनाई गई थी । यह मूर्ति सिंधु सभ्यता घाटी के लोगों का धातुकर्म तो दर्शाती है ही साथ ही उस वक्त की कला, समाज और महिलाओं का प्रतिनिधित्व भी करती हैं । मोहनजोदड़ो सभ्यता के पुरातात्त्विक महत्व को देखते हुए इसे विश्व की धरोहर सूची में रखा गया है । यहां घूमने का एक अलग ही अहसास था । यहां कि ईंटों से बनी विशाल संरचनाएं आदि सब देखने लायक था । इस सभ्यता में लगभग 35,000 लोग रहा करते थे पर अब धीरे धीरे इस सभ्यता को खत्म होते देखा जा सकता है । क्योंकि इस सभ्यता के बहुत से छोटे बड़े हिस्से नष्ट होने लगे हैं ।
मोहनजोदड़ो सभ्यता खोज कब की गई थी ?
मोहनजोदड़ो सभ्यता की खोज 1922 ई.मे एक प्रसिद्ध इतिहासकार राखालदास बनर्जी ने की थी । राखलदास का जन्म 12 अप्रैल , 1885 में मुर्शिदाबाद में हुआ था। इनका सही नाम राखालदास बंद्योपाध्याय था पर लोग इन्हें RD बनर्जी के नाम से बुलाते थे । बनर्जी कोलकाता के प्रेसिडेंसी कॉलेज में पढ़ाई करते थे उसी समय उनकी मुलाकात हरप्रसाद शास्त्री , बंगला लेखक रामेन्द्रसुन्दर त्रिपाठी और बंगाल के सर्किल पुरातत्व अधीक्षक डॉ ब्लाख से हुई । और इसी समय से राखालदास बंद्योपाध्याय और बाकी लोगों ने उत्खननों पर काम करना शुरू कर दिया ।
हड़प्पा और मोहनजोदड़ो सभ्यता का उत्खनन –
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में स्थित माण्टगोमरी जिले में रावी नदी के बाएं तट की ओर हड़प्पा नाम का एक पुरास्थल है । जबकि पाकिस्तान के सिंध प्रांत के लरकाना जिले में सिंधु नदी के दाएं तट की तरफ मोहनजोदड़ो नाम का एक नगर था जो कि करीब 5 किमी के क्षेत्र में फैला हुआ था । हड़प्पा और मोहनजोदड़ो से असंख्य देवियों की मूर्तियां प्राप्त हुई है और इन मूर्तियों में मातृदेवी और प्राकृति देवी की मूर्ति भी है । सिंधु घाटी की सभ्यता की पूरी दुनिया में सबसे रहस्यमयी माना जाता है क्योंकि इसके बारे में ज्यादा लोगों को पता नहीं है । 1842 में पहली बार चार्ल्स मेसन ने हड़प्पा सभ्यता की खोज की थी । और इनके बाद अधिकारिक तौर पर हड़प्पा की खोज 1921 में दया राम साहनी ने की थी तथा इसमें इनका साथ एक अन्य पुरात्वविद मानो सरूप वत्स ने दिया था । हड़प्पा की खुदाई के दौरान ऐसी बहुत सी चीजें मिली थी जिनको हिन्दू धर्म से जोड़ा जा सकता है । जैसे कि पुरोहित की मूर्ति , बैल , नंदी , मातृदेवी , बैलगाड़ी , और शिवलिंग । इस खुदाई में जो शिवलिंग पुरातात्विक विभाग को मिला था वह शिवलिंग 5000 पुराना है । इस शिवलिंग को पशुपतिनाथ भी कहते हैं ।
ऐसा माना जाता है कि मोहनजोदड़ो सभ्यता की स्थापना आज से 4616 वर्ष पहले की गई थी। मोहनजोदड़ो से सूती कपड़ों के उपयोग के कुछ प्रमाण मिले जिनके मुताबिक यह कहा जाता है कि मोहनजोदड़ो सभ्यता के लोग कपास की खेती के बारे में भी जानते थे ।यह कहा जाता है कि मोहनजोदड़ो सभ्यता और हड़प्पा सभ्यता में महाभारत काल का युद्ध हुआ था जिसकी वजह से हुई हिंसा और संक्रामक रोग और जलवायु परिवर्तन ही इस सभ्यता का खात्मा करने का एक सबसे बड़ा कारण है ।
मोहनजोदड़ो सभ्यता के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें –
* मोहनजोदड़ो सभ्यता को मृतकों के टीले के नाम से भी जाना जाता है ।
* मोहनजोदड़ो सभ्यता से नृत्य मुद्रा वाली स्त्री की कांस्य मूर्ति मिली थी ।
* हड़प्पा की सभ्यता में हल से खेत जोतने का साक्ष्य कालीबंगा में मिला था ।
* हड़प्पा सभ्यता की खोज 1921 ई. में की गई थी ।
* हड़प्पा के लोगों की सामाजिक पद्धति उचित समतावादी हुआ करती थी ।
* मोहनजोदड़ो सभ्यता की सबसे बड़ी इमारत को अन्नागार कहते हैं ।