परिचय
मोहन भागवत का पूरा नाम ‘मोहनराव मधुकर राव भागवत’ है। वे एक पशु चिकित्सक और सन 2009 से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक हैं। उनका जन्म 11 सितम्बर 1950 को महाराष्ट्र के चन्द्रपुर नामक एक छोटे से शहर में हुआ था। उनके पिता का नाम ‘मधुकर राव भागवत’ तथा उनकी माता का नाम ‘मालतीबाई’ था। उनके पिता चन्द्रपुर क्षेत्र के अध्यक्ष और गुजरात प्रान्त के प्रचारक थे। मोहन भागवत ने चन्द्रपुर के ‘लोकमान्य तिलक विद्यालय’ से अपनी स्कूली शिक्षा और जनता कॉलेज चन्द्रपुर से BSC की पढ़ाई की। उन्होंने ‘पंजाबराव कृषि विद्यापीठ’, अकोला से पशु चिकित्सा और पशुपालन में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। सन 1975 के अन्त में, जब देश तत्कालीन प्रधानमन्त्री ‘इंदिरा गान्धी’ द्वारा लगाए गए आपातकाल से जूझ रहा था, उसी समय वे पशु चिकित्सा में अपना स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम अधूरा छोड़कर संघ के पूर्णकालिक स्वयंसेवक बन गये।

सन 1991 में वे संघ के स्वयंसेवकों के शारीरिक प्रशिक्षण कार्यक्रम के अखिल भारतीय प्रमुख बने और उन्होंने सन 1999 तक इस दायित्व का निर्वहन किया। सन 2000 में, जब राजेन्द्र सिंह (रज्जू भैया) और एच. वी. शेषाद्रि ने स्वास्थ्य सम्बन्धी कारणों से क्रमशः संघ प्रमुख और सरकार्यवाह का दायित्व छोडने का निश्चय किया, तब के. एस. सुदर्शन (कुप्पाहाली सीतारमय्या सुदर्शन) को संघ का नया प्रमुख चुना गया और मोहन भागवत 3 वर्षों के लिये संघ के सरकार्यवाह चुने गये।
21 मार्च 2009 को मोहन भागवत संघ के सरसंघचालक मनोनीत हुए। वे अविवाहित हैं तथा उन्होंने भारत और विदेशों में व्यापक भ्रमण किया है। वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख चुने जाने वाले सबसे कम उम्र के व्यक्तियों में से एक हैं। उन्हें एक स्पष्टवादी, व्यावहारिक और दलगत राजनीति से संघ को दूर रखने के एक स्पष्ट दृष्टिकोण के लिये जाना जाता है। मोहन भागवत को एक व्यावहारिक नेता के रूप में देखा जाता है। उन्होंने हिन्दुत्व के विचार को आधुनिकता के साथ आगे ले जाने की बात कही है। उन्होंने बदलते समय के साथ चलने पर बल दिया है। लेकिन इसके साथ ही संगठन का आधार समृद्ध और प्राचीन भारतीय मूल्यों में दृढ़ बनाए रखा है। वे कहते हैं कि इस प्रचलित धारणा के विपरीत कि संघ पुराने विचारों और मान्यताओं से चिपका रहता है, इसने आधुनिकीकरण को स्वीकार किया है और इसके साथ ही यह देश के लोगों को सही दिशा भी दे रहा है।
जून 2015 में, विभिन्न इस्लामी आतंकवादी संगठनों से एक उच्च खतरे की धारणा के कारण, भारत सरकार ने केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) को मोहन भागवत को सुरक्षा प्रदान करने का आदेश दिया। Z+, VVIP सुरक्षा कवर में, मोहन भागवत आज सबसे अधिक सुरक्षित भारतीयों में से एक है।
हिन्दू समाज में जातीय असमानताओं के सवाल पर मोहन भागवत ने कहा है कि अस्पृश्यता के लिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि ‘अनेकता में एकता’ के सिद्धान्त के आधार पर स्थापित हिन्दू समाज को अपने ही समुदाय के लोगों के विरुद्ध होने वाले भेदभाव के स्वाभाविक दोषों पर विशेष ध्यान देना चाहिए।