क्रिया की परिभाषा (Verb in Hindi)
इस लेख में हम आपको हिंदी व्याकरण में क्रिया (verb) के बारे में विस्तार से बताएँगे। क्रिया की परिभाषा, उसका प्रयोग, और यह कितने प्रकार की होती है। साथ ही इसके उदाहरण से आप क्रिया को बेहतर तरीके से समझ पाएंगे।
क्रिया: वाक्यों में ऐसे शब्दों का प्रयोग जिनसे किसी व्यक्ति द्वारा कार्य करने का बोध वर्तमान या भूत में हुआ होता है, वे शब्द क्रिया (kriya) कहलाते हैं। जैसे: राम खेल रहा है| सीता बाजार गयी थी। इनमें खेलना और बाजार जाना दोनों क्रिया हैं।
क्रिया के द्वारा हमें ये पता चलता है कि कार्य कब संपन्न हुआ। क्रिया के रूप के कारण इस बारे में जानकारी मिलती है कि कार्य को सम्पन्न भूतकाल या वर्तमान में किया गया है।
क्रिया धातु से बनती है, जब धातु में ना लगा दिया जाता है तो क्रिया का निर्माण होता है। क्रिया को संज्ञा और विशेषण से बनाया जाता है। इसको सार्थक शब्दों के आठ भेदों में से एक कहा जाता है।
प्रयोग के आधार पर क्रिया को दो प्रकार में बाँटा जाता है:-
1- अकर्मक क्रिया
2- सकर्मक क्रिया
1- अकर्मक क्रिया
इसमें क्रिया का फल कर्ता पर ही पड़ता है इसलिए ये अकर्मक क्रिया (kriya) कहलाती है। इस क्रिया में कर्म का अभाव होता है, जैसे मोहन पढ़ता है।
उपरोक्त वाक्य में पढ़ने का फल मोहन पर पड़ रहा है। इसलिए पढ़ता अकर्मक क्रिया है| जिन क्रियाओं में कर्म की आवश्यकता नहीं पड़ती या जो प्रश्न का उत्तर नहीं देते, अकर्मक क्रिया कहलाते हैं। यानि जिन क्रियाओं का फल और व्यापार कर्ता को मिलता है वह अकर्मक क्रिया कहलाती है।
जैसे:-
संगीता खेलती है।
मछली तैरती है।
श्याम दौड़ता है।
उपरोक्त वाक्यों में खेलती है, तैरती है, और दौड़ता है, में कर्म का अभाव है और क्रिया का फल कर्ता पर ही दिख रहा है। अतः ये अकर्मक क्रिया कहलाएंगी।
2- सकर्मक क्रिया
इस क्रिया में कर्म का होना जरुरी है, इसलिए इसे सकर्मक क्रिया कहते हैं। इन क्रियाओं का असर कर्ता पर नहीं बल्कि कर्म पर पड़ता है। जैसे:- सीता गाना गाती है. इसमें गाना एक क्रिया है, इसमें गाने का फल कर्ता की बजाये गाने पर पड़ रहा है। अतः ये सकर्मक क्रिया में आएंगे। इसके अलावा:
ड्राईवर गाड़ी चलाता है।
सुरेश खाना खाता है।
मां सब्जी बनाती है।
उपरोक्त सभी वाक्यों में क्रिया का फल कर्ता पर न पड़कर कर्म पर पड़ रहा है। अतः इस प्रकार के वाक्य सकर्मक क्रिया कहलाएंगे।
प्रयोग के आधार पर सकर्मक क्रिया दो भागों में बांट सकते हैं।
- एककर्मक क्रिया: इस प्रकार की क्रिया (kriya) में एक ही कर्म होता है, तो वो एककर्मक क्रिया कहलाती है| जैसे मोहन स्कूटर चलाता है. इसमें चलाता (क्रिया) और स्कूटर (कर्म) है। यानि इस प्रकार के वाक्य एककर्मक क्रिया में आएंगे।
- द्विकर्मक क्रिया: इस क्रिया में दो कर्म होते हैं, इसलिए ये द्विकर्मक क्रिया कहलाते हैं। इसमें एक सजीव और दूसरा निर्जीव होता है। जैसे मां ने रूपा को गिफ्ट्स दिए। इसमें दो कर्म हैं रूपा और गिफ्ट्स, इसलिए ये द्विकर्मक क्रिया कहलाएंगे।
संरचना के प्रयोग के आधार पर क्रिया को चार भागों में बाँटा गया है:
1-प्रेरणार्थक क्रिया:- इसमें ये पता चलता है कि कर्ता खुद कार्य न करके किसी और से करवाता है। जैसे पढ़वाना, लिखवाना, बनवाना इत्यादि।
2-नामधातु क्रिया:- इसमें ऐसी धातु जो क्रिया को छोड़कर किन्हीं अन्य शब्दों से बनती है, वह नामधातु क्रिया कहलाती है। जैसे गरमाना, अपनाना, मनवाना इत्यादि।
3-संयुक्त क्रिया:- जो क्रिया दो क्रियाओं के मिलने से बनती है, वह संयुक्त क्रिया कहते हैं। जैसे गा लिया, पी लिया, इत्यादि।
4-कृदंत क्रिया:- जब क्रिया में प्रत्यय को जोड़कर उसका नया क्रिया (kriya) रूप बनाया जाए तो वो कृदंत क्रिया कहलाती है। जैसे भागना, दौड़ना इत्यादि।
निश्चित रूप से इस लेख में आपको क्रिया (kriya) के बारे में उसके प्रयोग के बारे में काफी जानकारी मिली होगी। अगर आपको किसी और विषय के बारे में जानकारी चाहिए तो आप हमें लिख सकते हैं।