परिचय
केशव सीताराम ठाकरे को लोग ‘प्रबोधनकार ठाकरे’ के नाम से भी जानते हैं। केशव सीताराम ठाकरे ‘सत्यशोधक आंदोलन’ के चोटी के समाज सुधारक और प्रभावी लेखक थे। वे एक भारतीय समाज सुधारक थे, जिन्होंने भारत में अस्पृश्यता, बाल विवाह और दहेज जैसे अंधविश्वासों और सामाजिक बुराइयों के खिलाफ अभियान चलाया।

प्रारंभिक जीवन
केशव सीताराम ठाकरे का जन्म 17 सितम्बर 1885 को ‘चंद्रसेनिया कायस्थ प्रभु’ परिवार में ‘पनवेल’ (पनवेल- महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में कोंकण डिवीजन में एक इलाका है) में हुआ था। उनके पिता का नाम ‘सीताराम पनवेलकर’ था। उनकी आत्मकथा “माझी जीवनगाथा” के अनुसार उनके पूर्वजों में से एक मराठा शासन के दौरान ‘धोड़ाप किले’ के किलेदार थे।
केशव सीताराम ठाकरे के परदादा ‘कृष्णजी माधव धोड़ापकर’ (अप्पासाहेब) पाली, रायगढ़ में रहते थे, जबकि उनके दादा ‘रामचंद्र “भिकोबा” धोड़ापकर’ पनवेल में बस गए थे। केशव सीताराम ठाकरे के पिता ‘सीताराम पनवेलकर’ ने परंपरा के अनुसार उपनाम “पनवेलकर” को अपनाया, लेकिन स्कूल में अपने बेटे की प्रशंसा करते हुए, उन्होंने उसे उपनाम “ठाकरे” दिया, जो स्पष्ट रूप से “घोडापकर” से पहले उनका पारंपरिक पारिवारिक नाम था।
सन. 1902 जब केशव सीताराम ठाकरे किशोरावस्था में थे, तभी उनके पिता सीताराम पनवेलकर की प्लेग की महामारी में मृत्यु हो गई। उनकी शिक्षा पनवेल, कल्याण, बारामती और बॉम्बे (मुंबई) में हुई। बॉम्बे प्रेसीडेंसी के बाहर, उन्होंने देवास (मध्य प्रांत) में ‘विक्टोरिया हाई स्कूल’ और बाद में ‘कलकत्ता विश्वविद्यालय’ में अध्ययन किया। बाद में वे बंबई में बस गए।
व्यक्तिगत जीवन
केशव सीताराम ठाकरे की पत्नी मा नाम ‘रमा बाई ठाकरे’ था, 1943 के आस-पास उनकी मृत्यु हो गई। उनके 6 बच्चे थे: बाल ठाकरे, श्रीकांत ठाकरे (राज ठाकरे के पिता) और रमेश ठाकरे; बेटियाँ – पामा टिपनिस, सरला गडकरी, सुशीला गुप्ते, संजीवनी करंदीकर। केशव सीताराम ठाकरे के दो भाई भी थे, जिनका नाम विनायकराव ठाकरे और यशवंत ठाकरे था।
पुरस्कार
- महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने BMC (Bombay Municipal Corporation) में हॉल के अंदर केशव सीताराम ठाकरे के चित्र का अनावरण किया।
- देवेंद्र फड़नवीस ने कहा- ” केशव सीताराम ठाकरे जी ने सभी बाधाओं के खिलाफ लड़ाई लड़ी, जब समाज अशिक्षा, अस्पृश्यता, अंधविश्वासों की चपेट में था, और इन सामाजिक बुराइयों के खिलाफ जनता की राय का माहौल बनाया।”
- केशव सीताराम ठाकरे के पोते ‘उद्धव ठाकरे’ ने बाल सुधार, अस्पृश्यता को समाप्त करने और महिला सशक्तीकरण को सक्षम बनाने में अपने दादा द्वारा सामाजिक सुधारवादी योगदान को भी रेखांकित किया।
सामाजिक, राजनीतिक सक्रियता
केशव सीताराम ठाकरे संयुक्त महाराष्ट्र समिति के प्रमुख नेताओं में से एक थे, जिन्होंने महाराष्ट्र के भाषाई राज्य के लिए सफलतापूर्वक अभियान चलाया। वे बाल ठाकरे के पिता थे, जिन्होंने एक मराठी हिंदू राष्ट्रवादी पार्टी, “शिवसेना” की स्थापना की। वह शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे और “महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना” प्रमुख राज ठाकरे के दादा भी हैं। उनके नाम पर पुणे में एक स्कूल है।
साहित्य करियर
केशव सीताराम ठाकरे ने मराठी भाषा में लिखा। उन्होंने ‘प्रबोधन’ (ज्ञानोदय) नामक एक पाक्षिक पत्रिका शुरू की, जो उनके उपनाम नाम ‘प्रबोधनकर’ की उत्पत्ति है। मराठी भाषा की निम्नलिखित रचनाओं हैं-
आत्मकथा
- माझी जीवागाथा (मेरी आत्मकथा)
ऐतिहासिक शोध
- प्रतापसिंह छत्रपति और रंगो बापूजी
- ग्राम्यनाच्य सिद्धयंत इतिहास अर्थात नोकराशिचि बंदा (विद्रोह का एक व्यापक इतिहास या नौकरशाहों का विद्रोह), 1919 में ‘यशवंत शिवराम राजे’ द्वारा मुंबई में प्रकाशित
- भिक्षुशाहिचि बांद
- कोदंडाचा तनाटकर
राय
- दगलबाज शिवाजी
- देवलचा धर्म आणि धर्माचि देवले
अनुवाद
- हिन्दू जनाचे रास आणि अद्वैपात
- शनिमहात्मया
- शेतकऱ्यांची स्वराज्य (किसानों का स्वशासन)
- नाटक
आत्मकथाएँ
- श्री संत गाडगेबाबा
- पंडित रमाबाई सरस्वती
एकत्रित लेख
- उठ मराठा उठ (Arise Marathi People Arise; यह उनके 12 लेखों का एक संग्रह है, जो साप्ताहिक ‘मर्मिक’ में छपी है, शिवसेना की स्थापना के बाद, 1973 में पहली बार प्रकाशित हुई, इसे ‘नव्टा बुक वर्ल्ड’ द्वारा फिर से प्रकाशित किया जाएगा)
निधन
केशव सीताराम ठाकरे का निधन 20 नवम्बर 1973 को बॉम्बे (महाराष्ट्र) में हुआ।