कन्याकुमारी मंदिर भारत में तमिलनाडु राज्य के कन्याकुमारी शहर में समुद्र के किनारे स्थित है। यह हिन्दुओं का एक पवित्र तीर्थस्थल है। कन्याकुमारी मंदिर को अम्मन मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ पर माँ भगवती की पूजा एक कुंवारी कन्या के रूप में की जाती है तथा इन्हें पार्वती का अवतार भी माना जाता है। कन्याकुमारी मंदिर हिंदू पौराणिक कथाओं में 108 शक्तिपीठों में से एक है। यह मंदिर भारत के प्रमुख हिंदू मंदिरों में से एक है और लगभग सभी प्राचीन हिंदू शास्त्रों में इसका उल्लेख किया गया है। कन्याकुमारी मन्दिर का निर्माण 8वीं शताब्दी में पाण्ड्य शासकों द्वारा करवाया गया था। बाद में विजयनगर, चोल और नायक राजाओं ने इस मन्दिर का जीर्णोंद्धार किया। इस मन्दिर में 18वीं सदी का पवित्र स्थान भी है, जहाँ पर्यटक देवी के पद-चिन्हों को भी देख सकते हैं। यह मन्दिर एकता और पवित्रता का प्रतीक है। इस मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा लोगों के बीच काफी प्रसिद्ध है।

कन्याकुमारी मन्दिर | Kanyakumari Mandir | Kanyakumari Temple in Hindi

निर्माण

कन्याकुमारी मंदिर का निर्माण 8वीं शताब्दी में पाण्ड्य शासकों द्वारा करवाया गया था। बाद में इस मंदिर का जीर्णोद्धार विजयनगर, चोल और नायक राजाओं ने किया। भक्तगण मंदिर में प्रवेश करने से पहले त्रिवेणी संगम में डूबकी लगाते हैं, जो मंदिर के बायीं ओर 500 मीटर की दूरी पर है।  मंदिर के पूर्वी प्रवेश द्वार को हमेशा बंद करके रखा जाता है, क्योंकि मंदिर में स्थापित देवी के आभूषण की रोशनी से समुद्री जहाज इसे लाइटहाउस समझने की भूल कर बैठते हैं और जहाज को किनारे करने के चक्‍कर में दुर्घटनाग्रस्‍त हो जाते हैं इसलिए श्रद्धालुओं को उत्तरी द्वार से प्रवेश करना होता है।

पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार राक्षस “बानासुर” को भगवान शिव ने यह वरदान दिया था कि उसका वध सिर्फ़ एक कुंवारी कन्या ही कर सकती है। प्राचीन समय में भारत पर राज करने वाले राजा भरत के यहाँ माता पार्वती ने कन्या के रूप में जन्म लिया। राजा भरत के एक पुत्र व आठ पुत्रियाँ थीं। राजा भरत ने अपना राज्य को बराबर-बराबर नौ हिस्सों में अपने संतानों में बाँट दिया, तब दक्षिण का हिस्सा कुमारी को दिया गया। कुमारी को देवी पार्वती का अवतार माना जाता था। कुमारी ने दक्षिण भारत के हिस्से पर अच्छी तरह से शासन किया। कुमारी भगवान शिव से विवाह करना चाहती थी, उसके लिए वो बहुत पूजा और तप करती थी। एक बार भगवान शिव प्रसन्न होकर कुमारी से विवाह करने के लिए तैयार हो गए और विवाह की तैयारियां भी शुरू हो गयी, लेकिन “नारद मुनि” का कहना था कि राक्षस बानासुर का वध कुमारी के हाथों हो इस वजह से उनका विवाह नहीं हो पाया।

एक दिन बानासुर घूमता हुआ उस कन्या के पास पहुँच गया। कन्या की सुंदरता पर मोहित होकर बानासुर ने उसके समक्ष विवाह का प्रस्ताव रखा। तब उस कन्या ने राक्षस से युद्ध की शर्त रखी और कहा कि यदि वह युद्ध में विजयी हो गया तो वह उससे विवाह कर लेगी। इसके पश्चात कन्या और राक्षस के बीच घमासान युद्ध हुआ तथा बानासुर मारा गया। उसके बाद कन्या ने कुंवारी ही रहने का फैसला किया। माना जाता है कि कन्या और शिव से विवाह के लिए जितना भी अनाज एकत्र किया था, वह बाद में पत्थर बन गया। इस पत्थर को हम आज भी कन्याकुमारी में देख सकते हैं।

 विशेषता

कन्याकुमारी मंदिर से कुछ दूरी पर गायत्री घाट, सावित्री घाट, स्याणु घाट और तीर्थघाट स्थित हैं। कहा जाता है कि तीर्थघाट पर स्नान करने के बाद ही श्रद्धालु मंदिर के अन्दर दर्शन करने के लिए जाते हैं। तीर्थघाट में स्नान करने से मनुष्य के सभी पाप धुल जाते हैं तथा उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। देवी के दर्शन मात्र से ही श्रद्धालुओं के सारे कष्ट दूर हो जाते है तथा उनका जीवन धन्य हो जाता है।

मंदिरों की तालिका-

क्र. सं.मंदिर का नाममंदिर का स्थानदेवी / देवता का नाम
1बांके बिहारी मंदिरमथुरा-वृन्दावन, उत्तर प्रदेशबांके बिहारी (श्री कृष्ण)
2भोजेश्वर मंदिरभोपाल, मध्यप्रदेशभगवान शिव
3दाऊजी मंदिरबलदेव, मथुरा, उत्तर प्रदेशभगवान बलराम
4द्वारकाधीश मंदिरमथुरा, उत्तर प्रदेशश्री कृष्ण
5गोवर्धन पर्वतगोवर्धन, मथुरा, उत्तर प्रदेशश्री कृष्ण
6इस्कॉन मंदिरमथुरा-वृन्दावन, उत्तर प्रदेशश्री कृष्ण, भगवान बलराम
7काल भैरव मंदिरभैरवगढ़, उज्जैन, मध्यप्रदेशभगवान काल भैरव
8केदारनाथ मंदिररुद्रप्रयाग, उत्तराखण्डभगवान शिव
9महाकालेश्वर मंदिरजयसिंहपुरा, उज्जैन, मध्यप्रदेशभगवान शिव
10नन्द जी मंदिरनन्दगाँव, मथुरानन्द बाबा
11निधिवन मंदिरमथुरा-वृन्दावन, उत्तर प्रदेशश्री कृष्ण, राधा रानी
12ओमकारेश्वर मंदिरखंडवा, मध्यप्रदेशभगवान शिव
13प्रेम मंदिरमथुरा-वृन्दावन, उत्तर प्रदेशश्री कृष्ण, राधा रानी
14राधा रानी मंदिरबरसाना, मथुरा, उत्तर प्रदेशश्री कृष्ण, राधा रानी
15श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिरमथुरा, उत्तर प्रदेशश्री कृष्ण, राधा रानी
16बृजेश्वरी देवी मंदिरनगरकोट, कांगड़ा, हिमाचल प्रदेशमाँ ब्रजेश्वरी
17चामुंडा देवी मंदिरकांगड़ा, हिमाचल प्रदेशमाँ काली
18चिंतपूर्णी मंदिरऊना, हिमाचल प्रदेशचिंतपूर्णी देवी
19ज्वालामुखी मंदिरकांगड़ा, हिमाचल प्रदेशज्वाला देवी
20नैना देवी मंदिरबिलासपुर, हिमाचल प्रदेशनैना देवी
21बाबा बालकनाथ मंदिरहमीरपुर, हिमाचल प्रदेशबाबा बालकनाथ
22बिजली महादेव मंदिरकुल्लू, हिमाचल प्रदेशभगवान शिव
23साईं बाबा मंदिरशिर्डी, महाराष्ट्रसाईं बाबा
24कैला देवी मंदिरकरौली, राजस्थानकैला देवी (माँ दुर्गा की अवतार)
25ब्रह्माजी का मंदिरपुष्कर, राजस्थानब्रह्माजी
26बिरला मंदिरदिल्लीभगवान विष्णु, माता लक्ष्मी देवी
27वैष्णों देवी मंदिरकटरा, जम्मूमाता वैष्णो देवी
28तिरुपति बालाजी मंदिरतिरुपति, आंध्रप्रदेशभगवान विष्णु
29सोमनाथ मंदिरवेरावल, गुजरातभगवान शिव
30सिद्धिविनायक मंदिरमुंबई, महाराष्ट्रश्री गणेश
31पद्मनाभस्वामी मंदिर(त्रिवेन्द्रम) तिरुवनंतपुरम्, केरलभगवान विष्णु
32मीनाक्षी अम्मन मंदिरमदुरै या मदुरई, तमिलनाडुमाता पार्वती देवी
33काशी विश्वनाथ मंदिरवाराणसी, उत्तर प्रदेशभगवान शिव
34जगन्नाथ मंदिरपुरी, उड़ीसाश्री कृष्ण, बलराम और सुभद्रा
35गुरुवायुर मंदिरगुरुवायुर, त्रिशूर, केरलश्री कृष्ण
36कन्याकुमारी मंदिरकन्याकुमारी, तमिलनाडुमाँ भगवती
37अक्षरधाम मंदिरदिल्लीभगवान विष्णु