ज्वालामुखी मंदिर हिमाचल प्रदेश में कांगड़ा जिले के पहाड़ों के मध्य मौजूद ज्वालामुखी शहर और काँगड़ा घाटी में स्थित है। इस मंदिर को ज्वाला देवी, ज्वाला जी और ज्वालामुखी के नाम से भी जाना जाता है। ज्वालामुखी मंदिर को खोजने का श्रेय पाण्डवों को जाता है, क्योंकि पाण्डवों के द्वारा इस पवित्र धार्मिक स्थल की खोज की गयी थी। ज्वालामुखी मंदिर प्राचीन हिन्दू मंदिरों में से एक है। इस स्थान पर माता सती की जीभ गिरी थी। इस मंदिर में माता के दर्शन ज्योति के रूप में होते हैं। मंदिर के अंदर माता की नौ ज्योतियाँ हैं जिन्हें महाकाली, अन्नपूर्णा, चंडी देवी, हिंगलाज, विंध्यावासनी, महालक्ष्मी, सरस्वती, अम्बिका और अंजना देवी के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर का प्रथम निर्माण राजा भूमि चंद के करवाया था। बाद में पंजाब के राजा रणजीत सिंह और हिमाचल के राजा संसार चंद ने सन. 1835 में इस मंदिर का निर्माण पूर्ण करवाया था।
पौराणिक कथा
ज्वालामुखी मंदिर 51 शक्ति पीठ मंदिरों में से एक है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इन सभी स्थानों पर देवी के अंग गिरे थे। शिव के ससुर राजा दक्ष ने एक यज्ञ का आयोजन किया था, जिसमें राजा दक्ष ने शिव और सती को निमंत्रण नहीं भेजा था क्योंकि राजा दक्ष शिव को अपने बराबर का नहीं समझते थे। यह बात सती को काफी बुरी लगी। वह बिना बुलाए यज्ञ में पहुंच गयीं। यज्ञ स्थल पर शिव का काफी अपमान किया गया जिसे सती सहन नहीं कर पायीं और वह वहीं हवन कुण्ड में कुद गयीं। भगवान शंकर को जब ये बात पता चली, जिसके बाद वे वहाँ पर पहुँच गए और सती के शरीर को हवनकुण्ड से निकालकर तांडव करने लगे, जिसके कारण सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में उथल-पुथल मच गई। सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को इस संकट से बचाने के लिए भगवान विष्णु ने सती के शरीर को अपने सुदर्शन चक्र से 51 भागों में बाँट दिया, जो अंग जहाँ पर गिरा वह शक्ति पीठ बन गया। ऐसा मानना है कि ज्वाला जी में माता सती की जीभ गिरी थी।
इतिहास
ज्वालामुखी मंदिर का इतिहास बहुत प्राचीन है। इस स्थान को पहली बार एक गाय पालने वाले ग्वाले ने देखा था। वह अपनी गाय का पीछा करते हुए इस स्थान तक पहुँचा। इसके पीछे कारण यह था कि उसकी गाय दूध नहीं दे रही थी। वह अपना सारा दूध पवित्र ज्वालामुखी में एक दिव्य कन्या को पिला आती थी। उसने यह दृश्य अपनी आँखों से देखा और वहाँ के राजा को बताया। राजा ने सत्य की जाँच करने के लिए अपने सिपाहियों को भेजा। सिपाहियों ने भी यह नजारा देखा। सिपाहियों ने पूर्ण बात राजा को बताई और राजा ने सत्य की जाँच करने के पश्चात इस स्थान पर मंदिर का निर्माण कराया।
ज्वालामुखी मंदिर के संबंध में एक और कथा काफी प्रचलित है। यह बात सन. 1542 से सन. 1605 के मध्य की है, तब अकबर दिल्ली का राजा था। ध्यानु भगत माता जोतावाली का श्रेष्ठ भक्त था। एक बार देवी के दर्शन के लिए वह अपने गाँव वालों के साथ ज्वाला जी के दर्शन करने के लिए निकला। जब उसका काफिला दिल्ली से गुजरा तो अकबर के सिपाहियों ने उसे रोक लिया और अकबर के दरबार में पेश किया। अकबर ने जब ध्यानु भगत से पूछा कि वह अपने गाँव वालों के साथ कहाँ जा रहा है। ध्यानु भगत ने कहा वह जोतावाली के दर्शनों के लिए जा रहे हैं। अकबर ने कहा तेरी माँ में क्या शक्ति है? और वह क्या-क्या कर सकती है? तब ध्यानु भगत ने कहा कि “वह सम्पूर्ण संसार की रक्षा करने वाली हैं, ऐसा कोई भी कार्य नहीं है, जो वह नहीं कर सकती”।
अकबर ने ध्यानु भगत के घोड़े का सर कटवा दिया और कहा कि अगर तेरी माँ में शक्ति है तो वह घोड़े के सर को जोड़कर उसे जीवित कर दें। यह सुनकर ध्यानु भगत देवी की स्तुति करने लगे और अपना सिर काटकर माता को भेंट के रूप में प्रदान किया। माता की शक्ति से घोड़े का सर जुड गया। इस प्रकार अकबर को देवी की शक्ति का आभास हुआ। अकबर ने देवी के मंदिर में सोने का छत्र भी चढाया। अकबर मंदिर में सोने का छत्र चढाने जाता है, लेकिन उसके हाथ से छत्र गिर जाता है। वह छत्र एक अजीब (नई) धातु में परिवर्तित हो जाता है। यह छत्र मंदिर में आज भी मौजूद है।
ऐसा कहा जाता है कि यहाँ पर माता को गोरखनाथ का इंतज़ार है और ये इंतज़ार दोबारा सतयुग आने पर ही पूरा होगा। इसके पीछे एक कहानी है कि एक बार बाबा गोरखनाथ माता से कह कर गए कि आप आग जलाकर पानी गर्म करो, मैं भिक्षा माँगकर लाता हूँ। उस दिन के बाद ना तो गोरखनाथ बाबा आये और ना ही ये ज्वाला शान्त हुई। यहाँ पर एक गोरख कुण्ड भी है जिसे गोरख डिब्बी के नाम से जाना जाता है जिसको दूर से देखने पर उसका पानी उबलता हुआ दिखता है लेकिन हाथ से छूने पर वह पानी ठंडा होता है।
मंदिरों की तालिका-
क्र. सं. | मंदिर का नाम | मंदिर का स्थान | देवी / देवता का नाम |
1 | बांके बिहारी मंदिर | मथुरा-वृन्दावन, उत्तर प्रदेश | बांके बिहारी (श्री कृष्ण) |
2 | भोजेश्वर मंदिर | भोपाल, मध्यप्रदेश | भगवान शिव |
3 | दाऊजी मंदिर | बलदेव, मथुरा, उत्तर प्रदेश | भगवान बलराम |
4 | द्वारकाधीश मंदिर | मथुरा, उत्तर प्रदेश | श्री कृष्ण |
5 | गोवर्धन पर्वत | गोवर्धन, मथुरा, उत्तर प्रदेश | श्री कृष्ण |
6 | इस्कॉन मंदिर | मथुरा-वृन्दावन, उत्तर प्रदेश | श्री कृष्ण, भगवान बलराम |
7 | काल भैरव मंदिर | भैरवगढ़, उज्जैन, मध्यप्रदेश | भगवान काल भैरव |
8 | केदारनाथ मंदिर | रुद्रप्रयाग, उत्तराखण्ड | भगवान शिव |
9 | महाकालेश्वर मंदिर | जयसिंहपुरा, उज्जैन, मध्यप्रदेश | भगवान शिव |
10 | नन्द जी मंदिर | नन्दगाँव, मथुरा | नन्द बाबा |
11 | निधिवन मंदिर | मथुरा-वृन्दावन, उत्तर प्रदेश | श्री कृष्ण, राधा रानी |
12 | ओमकारेश्वर मंदिर | खंडवा, मध्यप्रदेश | भगवान शिव |
13 | प्रेम मंदिर | मथुरा-वृन्दावन, उत्तर प्रदेश | श्री कृष्ण, राधा रानी |
14 | राधा रानी मंदिर | बरसाना, मथुरा, उत्तर प्रदेश | श्री कृष्ण, राधा रानी |
15 | श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर | मथुरा, उत्तर प्रदेश | श्री कृष्ण, राधा रानी |
16 | बृजेश्वरी देवी मंदिर | नगरकोट, कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश | माँ ब्रजेश्वरी |
17 | चामुंडा देवी मंदिर | कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश | माँ काली |
18 | चिंतपूर्णी मंदिर | ऊना, हिमाचल प्रदेश | चिंतपूर्णी देवी |
19 | ज्वालामुखी मंदिर | कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश | ज्वाला देवी |
20 | नैना देवी मंदिर | बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश | नैना देवी |
21 | बाबा बालकनाथ मंदिर | हमीरपुर, हिमाचल प्रदेश | बाबा बालकनाथ |
22 | बिजली महादेव मंदिर | कुल्लू, हिमाचल प्रदेश | भगवान शिव |
23 | साईं बाबा मंदिर | शिर्डी, महाराष्ट्र | साईं बाबा |
24 | कैला देवी मंदिर | करौली, राजस्थान | कैला देवी (माँ दुर्गा की अवतार) |
25 | ब्रह्माजी का मंदिर | पुष्कर, राजस्थान | ब्रह्माजी |
26 | बिरला मंदिर | दिल्ली | भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी देवी |
27 | वैष्णों देवी मंदिर | कटरा, जम्मू | माता वैष्णो देवी |
28 | तिरुपति बालाजी मंदिर | तिरुपति, आंध्रप्रदेश | भगवान विष्णु |
29 | सोमनाथ मंदिर | वेरावल, गुजरात | भगवान शिव |
30 | सिद्धिविनायक मंदिर | मुंबई, महाराष्ट्र | श्री गणेश |
31 | पद्मनाभस्वामी मंदिर | (त्रिवेन्द्रम) तिरुवनंतपुरम्, केरल | भगवान विष्णु |
32 | मीनाक्षी अम्मन मंदिर | मदुरै या मदुरई, तमिलनाडु | माता पार्वती देवी |
33 | काशी विश्वनाथ मंदिर | वाराणसी, उत्तर प्रदेश | भगवान शिव |
34 | जगन्नाथ मंदिर | पुरी, उड़ीसा | श्री कृष्ण, बलराम और सुभद्रा |
35 | गुरुवायुर मंदिर | गुरुवायुर, त्रिशूर, केरल | श्री कृष्ण |
36 | कन्याकुमारी मंदिर | कन्याकुमारी, तमिलनाडु | माँ भगवती |
37 | अक्षरधाम मंदिर | दिल्ली | भगवान विष्णु |