‘स्त्री और पुरूष में समानता’ इस वाक्य में “समानता” का अर्थ समान अधिकार, समान अवसर, समान व्यवहार और सम्मान से है। इसका एक सीधा-साधा सा अर्थ यह है कि स्त्री और पुरूष एक दूसरे के पूरक हैं और एक के बिना दूसरा अधूरा है। जिस प्रकार हर सफल पुरूष के पीछे स्त्री का हाथ होता है, ठीक उसी प्रकार हर सफल स्त्री के पीछे पुरूष का हाथ भी जरूर होता है। हमने अपनी सुविधा के अनुसार या स्वार्थ के कारण किसी को छोटा बना दिया तो कभी किसी को देवी-देवता का दर्जा दे दिया। इसके कारण एक तरफ अन्याय में वृद्धि हुई और दूसरी तरफ प्रतिस्पर्धा और ईष्र्या में भी वृद्धि हुई।
वास्तव में स्त्री और पुरूष एक दूसरे के पूरक हैं जो सृष्टि, समाज और परिवार में संतुलन बनाये रखते हैं। यदि हम सभी अर्द्धनारीश्वर स्वरूप का पालन करें और शिव-शक्ति, लक्ष्मी-नारायण के विराट रूप का मान रखें तो सभी स्त्री और पुरूष एक दूसरे का सम्मान कर सकेंगे और एक-दूसरे के पूरक बनकर परिवार और समाज दोनों का विकास कर सकेंगे।
‘स्त्री और पुरुष में समानता’ के विषय पर आधारित स्लोगन निम्नलिखित हैं।