द्वारकाधीश मंदिर भारत के प्रमुख बड़े मंदिरों में से एक है। द्वारकाधीश मंदिर उत्तर प्रदेश राज्य के मथुरा जिले में यमुना नदी के किनारे विश्राम घाट के पास में स्थित है। यह एक प्रसिद्ध हिन्दू मंदिर है, जो भगवान श्री कृष्ण को समर्पित है। इस मंदिर का निर्माण सन. 1814 में ग्वालियर के कोषाध्यक्ष सेठ गोकुलदास पारीख ने प्रारम्भ कराया, जिनकी मृत्यु के बाद उनके उत्तराधिकारी सेठ लक्ष्मीचंद ने द्वारकाधीश मंदिर का निर्माण पूरा कराया था। सन. 1930 में सेवा पूजन के लिए यह मंदिर पुष्टिमार्ग के आचार्य गिरधरलाल जी कांकरौली वालों को भेंट किया गया, तब से यहाँ पुष्टिमार्गीय प्रणालिका के अनुसार सेवा पूजा होती है। श्रावण के महीने में हर साल लाखों भक्त द्वारकाधीश मंदिर में सोने-चाँदी के हिंडोले (झूले) देखने के लिए आते हैं।
इतिहास एवं वास्तुकला
यह मथुरा का सबसे विस्तृत पुष्टिमार्ग मंदिर है, भगवान श्री कृष्ण को ही द्वारकाधीश कहते हैं। यह उपाधि पुष्टिमार्ग के तीसरे गद्दी के मूल देवता से मिली है। समतल छत वाला दो मंजिला द्वारकाधीश मंदिर जिसका आधार आयताकार (118×76) है। पूर्वमुखी द्वार के खुलने पर खुला हुआ आंगन चारों तरफ से कमरों से घिरा हुआ है। यह मंदिर छोटे-छोटे शानदार उत्कृष्ट दरवाजों से घिरा हुआ है। मुख्य द्वार से जाती सीढ़ियां चौकोर वर्गाकार के प्रांगण में पहुँचती हैं। इसका गोलाकार मठ इसकी शोभा बढ़ाता है। इसके बीच में चौकोर इमारत है, जिसके सहारे सोने की परत चढ़े तीन गुणों (सत्व, रज और तम) में खम्बे हैं, जिन्हें छत पंखो व उत्कृष्ट चित्रकारी से सजाया गया है। इसे बनाने में लखोरी ईंट व चूने, लाल एवं बलुआ पत्थर का इस्तेमाल किया गया है। मंदिर के बाहरी स्वरूप को बगलाधार मेहराब दरवाजों, पत्थर की जालियों, छज्जों व जलरंगो से बने चित्रों से सजाया है। यह चौकोर सिहांसन के समान ऊँचे भूखण्ड पर बना है, इसकी लम्बाई 180 फीट और चौड़ाई 120 फीट है। इसका मुख्य दरवाजा पूर्वाभिमुख बना है। मुख्य द्वार से मंदिर के आंगन तक जाने के लिए 16 सीढ़ियां का प्रयोग करना पड़ता है। मंदिर के मुख्य दरवाजे पर पहरेदारों के बैठने के लिए दोनों ओर गौखे हैं, जो कि 4 सीढ़ियों के बाद बने हैं। दूसरा द्वार 15 सीढ़ियों के बाद है, यहाँ पर भी पहरेदारों के बैठने के लिए दोनों ओर स्थान बने हैं। मंदिर के दोनों तरफ के मुख्य दरवाजों पर विशाल फाटक लगे हैं।
मंडप या जगमोहन छत्र
जगमोहन छत्र के आकर का यह मंडप बहुत ही भव्य है और वास्तुशिल्प का अनोखा उदाहरण है। यह मंडप खम्बों पर टिका है। इसके पश्चिम की ओर तीन शिखर बने हैं, जिनके नीचे राजाधिराज द्वारकाधीश महाराज का आकर्षक विग्रह विराजित है। मंदिर में नाथद्वार की कूँची से अनेक चित्र बनाये गये हैं। 6 फीट से ऊपर की दूरी में खम्बों पर चित्रकारी की गई है। रंग-बिरंगे रंगो से बने इन चित्रों का वर्णन भागवत पुराण और दूसरे भक्ति ग्रंथो में भी किया है। भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं का भी चित्रण किया गया है। वसुदेव का यशोदा के पास जाना, योगमाया का दर्शन, शकटासुर वध, यमलार्जुन मोक्ष, पूतना वध, तृणावर्त वध, वत्सासुर वध, बकासुर, अघासुर, व्योमासुर, प्रलंबासुर आदि का वर्णन किया गया है। गोवर्धन धारण, रासलीला, होली उत्सव, अक्रूर गमन, मथुरा आगमन, मानलीला, दानलीला आदि इस सभी झाकियाँ की सुंदर नक्काशी की गयी है। द्वारकाधीश के विग्रह के पास ही उन सभी देव गणों के दर्शन हैं, जो ब्रह्मा के नायकत्व में भगवान श्री कृष्ण के जन्म के समय उपस्थित थे और उन्होंने श्री कृष्ण की स्तुति की थी। गोस्वामी विट्ठलनाथ जी द्वारा बताये गये सात स्वरूपों का विग्रह यहाँ दर्शनीय है। गोवर्धन महाराज जी का विशाल चित्र है और गोस्वामी विट्ठलनाथ जी के पिता वल्लभाचार्य जी और उनके पुत्रों के भी दर्शन हैं।
मंदिर के उत्सव
भारत में मनाये जाने वाले हिन्दू धर्म के त्यौहार द्वारकाधीश मंदिर में भी मनाये जाते हैं जैसे-
- अत्रकूट कार्तिक शुक्ला प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा का मनोरथ सम्पन्न होता है।
- सावन के झूला और घटनाएं इस मंदिर की विशेषता है।
- श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, राधाष्टमी, होली, दीपावली विशेष रूप से धूमधाम से मनाये जाते हैं।
मंदिर आरती
द्वारकाधीश मंदिर में आरती का समय इस प्रकार से है-
ग्रीष्मकाल समय | शीतकाल समय |
मंगला आरती प्रात:काल: 6:30 से 7:00 प्रातः | प्रातःकाल: 6:30 से 7:00 प्रातः |
श्रंगार आरती प्रात:काल: 7:30 से 7:55 प्रातः | प्रातःकाल: 7:40 से 7:55 प्रातः |
ग्वाल आरती प्रातःकाल: 8:25 से 8:40 प्रात: | प्रातःकाल: 8:25 से 8:40 प्रात: |
राज भोग आरती प्रातःकाल: 10:00 से 10:30 | प्रातःकाल: 10:00 से 10:30 प्रातः |
उथान आरती संध्याकाल: 4:00 से 4:20 संध्या | संध्याकाल: 3:30 से 3:50 संध्या |
संध्याकाल: 4:20 से 4:40 संध्या | संध्याकाल: 4:20 से 4:40 संध्या |
संध्याकाल आरती: 5:20 से 5:40 संध्या | संध्याकाल: 4:40 से 5:15 संध्या |
मंदिरों की तालिका-
क्र. सं. | मंदिर का नाम | मंदिर का स्थान | देवी / देवता का नाम |
1 | बांके बिहारी मंदिर | मथुरा-वृन्दावन, उत्तर प्रदेश | बांके बिहारी (श्री कृष्ण) |
2 | भोजेश्वर मंदिर | भोपाल, मध्यप्रदेश | भगवान शिव |
3 | दाऊजी मंदिर | बलदेव, मथुरा, उत्तर प्रदेश | भगवान बलराम |
4 | द्वारकाधीश मंदिर | मथुरा, उत्तर प्रदेश | श्री कृष्ण |
5 | गोवर्धन पर्वत | गोवर्धन, मथुरा, उत्तर प्रदेश | श्री कृष्ण |
6 | इस्कॉन मंदिर | मथुरा-वृन्दावन, उत्तर प्रदेश | श्री कृष्ण, भगवान बलराम |
7 | काल भैरव मंदिर | भैरवगढ़, उज्जैन, मध्यप्रदेश | भगवान काल भैरव |
8 | केदारनाथ मंदिर | रुद्रप्रयाग, उत्तराखण्ड | भगवान शिव |
9 | महाकालेश्वर मंदिर | जयसिंहपुरा, उज्जैन, मध्यप्रदेश | भगवान शिव |
10 | नन्द जी मंदिर | नन्दगाँव, मथुरा | नन्द बाबा |
11 | निधिवन मंदिर | मथुरा-वृन्दावन, उत्तर प्रदेश | श्री कृष्ण, राधा रानी |
12 | ओमकारेश्वर मंदिर | खंडवा, मध्यप्रदेश | भगवान शिव |
13 | प्रेम मंदिर | मथुरा-वृन्दावन, उत्तर प्रदेश | श्री कृष्ण, राधा रानी |
14 | राधा रानी मंदिर | बरसाना, मथुरा, उत्तर प्रदेश | श्री कृष्ण, राधा रानी |
15 | श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर | मथुरा, उत्तर प्रदेश | श्री कृष्ण, राधा रानी |
16 | बृजेश्वरी देवी मंदिर | नगरकोट, कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश | माँ ब्रजेश्वरी |
17 | चामुंडा देवी मंदिर | कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश | माँ काली |
18 | चिंतपूर्णी मंदिर | ऊना, हिमाचल प्रदेश | चिंतपूर्णी देवी |
19 | ज्वालामुखी मंदिर | कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश | ज्वाला देवी |
20 | नैना देवी मंदिर | बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश | नैना देवी |
21 | बाबा बालकनाथ मंदिर | हमीरपुर, हिमाचल प्रदेश | बाबा बालकनाथ |
22 | बिजली महादेव मंदिर | कुल्लू, हिमाचल प्रदेश | भगवान शिव |
23 | साईं बाबा मंदिर | शिर्डी, महाराष्ट्र | साईं बाबा |
24 | कैला देवी मंदिर | करौली, राजस्थान | कैला देवी (माँ दुर्गा की अवतार) |
25 | ब्रह्माजी का मंदिर | पुष्कर, राजस्थान | ब्रह्माजी |
26 | बिरला मंदिर | दिल्ली | भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी देवी |
27 | वैष्णों देवी मंदिर | कटरा, जम्मू | माता वैष्णो देवी |
28 | तिरुपति बालाजी मंदिर | तिरुपति, आंध्रप्रदेश | भगवान विष्णु |
29 | सोमनाथ मंदिर | वेरावल, गुजरात | भगवान शिव |
30 | सिद्धिविनायक मंदिर | मुंबई, महाराष्ट्र | श्री गणेश |
31 | पद्मनाभस्वामी मंदिर | (त्रिवेन्द्रम) तिरुवनंतपुरम्, केरल | भगवान विष्णु |
32 | मीनाक्षी अम्मन मंदिर | मदुरै या मदुरई, तमिलनाडु | माता पार्वती देवी |
33 | काशी विश्वनाथ मंदिर | वाराणसी, उत्तर प्रदेश | भगवान शिव |
34 | जगन्नाथ मंदिर | पुरी, उड़ीसा | श्री कृष्ण, बलराम और सुभद्रा |
35 | गुरुवायुर मंदिर | गुरुवायुर, त्रिशूर, केरल | श्री कृष्ण |
36 | कन्याकुमारी मंदिर | कन्याकुमारी, तमिलनाडु | माँ भगवती |
37 | अक्षरधाम मंदिर | दिल्ली | भगवान विष्णु |