परिचय

ब्रह्मा, विष्णु और महेश को हिन्दुओं का प्रमुख देवता माना जाता है। ब्रह्माजी को संसार का रचियता, विष्णु जी को संसार का पालनहार और महेश (शिवजी) को विनाशकारी कहा जाता है। हमारे देश में जहाँ भगवान विष्णु और भगवान शिव के अनगिनत मंदिर है, वहीँ स्वयं की पत्नी के श्राप देने के कारण ब्रह्माजी का पूरी दुनियां में केवल एक ही मंदिर है, जो राजस्थान के प्रसिद्ध तीर्थ पुष्कर में स्थित है।

ब्रह्माजी मंदिर | Brahmaji Mandir | Brahmaji Temple in Hindi

ब्रह्माजी की पौराणिक कथा

हिन्दुओं के धर्मग्रन्थ पद्मपुराण के अनुसार एक बार वज्रनाश नाम के राक्षस ने पृथ्वी पर उपद्रव मचा रखा था, जिसके बढ़ते अत्याचारों के कारण ब्रह्मा जी ने उसका वध कर दिया था। वध करते समय उनके हाथो में से तीन स्थानों पर कमल का फूल गिरा। इन तीनों स्थानों पर तीन झीलें बनी हुई हैं, जिसके बाद इस स्थान का नाम पुष्कर पड़ा। ब्रह्माजी ने संसार की अच्छाई के लिए यहाँ पर एक यज्ञ करने का निर्णय किया।

ब्रह्माजी यज्ञ करने के लिए पृथ्वी पर पहुंचे, लेकिन किसी कारणवश उनकी पत्नी सावित्री जी (सरस्वती) वहाँ पर नहीं पहुँच सकीं। यज्ञ को पूर्ण करने के लिए उनके साथ में उनकी पत्नी का होना आवश्यक था, लेकिन सावित्री जी के वहाँ उपस्थित न होने के कारण ब्रह्माजी गुर्जर बिरादरी की एक लड़की “गायत्री” से विवाह करके इस यज्ञ को प्रारम्भ कर देते हैं। उसी समय देवी सावित्री वहाँ पर पहुँच जाती हैं। ब्रह्माजी के बगल में दूसरी कन्या को बैठा देखतीं हैं और क्रोधित होकर ब्रह्माजी को श्राप देती हैं कि देवता होने के बावजूद भी कोई भी व्यक्ति तुम्हारी पूजा नहीं करेगा।

सावित्री जी के इस भयानक रूप को देखकर देवता भी डर जाते हैं। देवताओं ने सावित्री जी से विनती करने लगे कि आप अपना श्राप वापस ले लीजिए, लेकिन उन्होंने अपना श्राप वापस नहीं लिया। जब सावित्री जी का गुस्सा शान्त हुआ तो उन्होंने कहा कि इस पृथ्वी पर केवल पुष्कर में ही तुम्हारी पूजा होगी। यदि कोई भी व्यक्ति तुम्हारा दूसरा मंदिर बनवायेगा तो उसका विनाश हो जायेगा। विष्णु भगवान ने भी इस कार्य में ब्रह्माजी की सहायता की थी, इसलिए देवी सावित्री ने विष्णु जी को भी श्राप दिया था कि उन्हें पत्नी से वियोग का दुःख बर्दाश्त करना पड़ेगा। इसी वजह से भगवान राम (भगवान विष्णु का मानव अवतार) को जन्म लेना पड़ा और 14 साल के वनवास के दौरान उन्हें पत्नी से अलग रहना पड़ा था।

सावित्रीजी का मंदिर

पुष्कर में सावित्री जी का मंदिर भी स्थित है, लेकिन सावित्री जी ब्रह्मा जी के पास में ना होकर ब्रह्माजी के मंदिर के पीछे एक पहाड़ी पर स्थित हैं। जहाँ पर जाने के लिए सैकड़ों सीढियाँ चढ़नी पड़ती हैं।

निर्माण कार्य

ब्रहमाजी के मंदिर का निर्माण कब हुआ व किसने किया था, इसका कोई उल्लेख नहीं है। ऐसा कहते है की आज से लगभग बारह सौ वर्ष पहले अरण्व वंश के एक शासक को एक स्वप्न आया था कि इस जगह पर एक मंदिर है, जिसको सही रख-रखाव की जरूरत है। तब राजा ने इस मंदिर के पुराने ढांचे का दोबारा निर्माण करवाया था।

पुष्कर का मेला

भगवान ब्रह्मा ने पुष्कर में कार्तिक पूर्णिमा के दिन यज्ञ किया था। इसी कारण से प्रतिवर्ष कार्तिक (अक्टूबर-नवम्बर) माह में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर पुष्कर का मेला लगता है, जिसको देखने के लिए हजारों श्रद्धालु मेला को देखने के लिए पहुँचते हैं। इन दिनों में भगवान ब्रह्मा की पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है।

मंदिर के खुलने का समय

यह मंदिर गर्मियों के समय सुबह 5 बजे से दोपहर के 1:30 बजे तक और शाम को 3 बजे से रात्रि के 9 बजे तक खुलता है। सर्दियों के समय में सुबह 6 बजे से दोपहर के 1:30 बजे तक और शाम को 3 बजे से रात्रि के 8:30 बजे खुलता है।

मंदिरों की तालिका-

क्र. सं.मंदिर का नाममंदिर का स्थानदेवी / देवता का नाम
1बांके बिहारी मंदिरमथुरा-वृन्दावन, उत्तर प्रदेशबांके बिहारी (श्री कृष्ण)
2भोजेश्वर मंदिरभोपाल, मध्यप्रदेशभगवान शिव
3दाऊजी मंदिरबलदेव, मथुरा, उत्तर प्रदेशभगवान बलराम
4द्वारकाधीश मंदिरमथुरा, उत्तर प्रदेशश्री कृष्ण
5गोवर्धन पर्वतगोवर्धन, मथुरा, उत्तर प्रदेशश्री कृष्ण
6इस्कॉन मंदिरमथुरा-वृन्दावन, उत्तर प्रदेशश्री कृष्ण, भगवान बलराम
7काल भैरव मंदिरभैरवगढ़, उज्जैन, मध्यप्रदेशभगवान काल भैरव
8केदारनाथ मंदिररुद्रप्रयाग, उत्तराखण्डभगवान शिव
9महाकालेश्वर मंदिरजयसिंहपुरा, उज्जैन, मध्यप्रदेशभगवान शिव
10नन्द जी मंदिरनन्दगाँव, मथुरानन्द बाबा
11निधिवन मंदिरमथुरा-वृन्दावन, उत्तर प्रदेशश्री कृष्ण, राधा रानी
12ओमकारेश्वर मंदिरखंडवा, मध्यप्रदेशभगवान शिव
13प्रेम मंदिरमथुरा-वृन्दावन, उत्तर प्रदेशश्री कृष्ण, राधा रानी
14राधा रानी मंदिरबरसाना, मथुरा, उत्तर प्रदेशश्री कृष्ण, राधा रानी
15श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिरमथुरा, उत्तर प्रदेशश्री कृष्ण, राधा रानी
16बृजेश्वरी देवी मंदिरनगरकोट, कांगड़ा, हिमाचल प्रदेशमाँ ब्रजेश्वरी
17चामुंडा देवी मंदिरकांगड़ा, हिमाचल प्रदेशमाँ काली
18चिंतपूर्णी मंदिरऊना, हिमाचल प्रदेशचिंतपूर्णी देवी
19ज्वालामुखी मंदिरकांगड़ा, हिमाचल प्रदेशज्वाला देवी
20नैना देवी मंदिरबिलासपुर, हिमाचल प्रदेशनैना देवी
21बाबा बालकनाथ मंदिरहमीरपुर, हिमाचल प्रदेशबाबा बालकनाथ
22बिजली महादेव मंदिरकुल्लू, हिमाचल प्रदेशभगवान शिव
23साईं बाबा मंदिरशिर्डी, महाराष्ट्रसाईं बाबा
24कैला देवी मंदिरकरौली, राजस्थानकैला देवी (माँ दुर्गा की अवतार)
25ब्रह्माजी का मंदिरपुष्कर, राजस्थानब्रह्माजी
26बिरला मंदिरदिल्लीभगवान विष्णु, माता लक्ष्मी देवी
27वैष्णों देवी मंदिरकटरा, जम्मूमाता वैष्णो देवी
28तिरुपति बालाजी मंदिरतिरुपति, आंध्रप्रदेशभगवान विष्णु
29सोमनाथ मंदिरवेरावल, गुजरातभगवान शिव
30सिद्धिविनायक मंदिरमुंबई, महाराष्ट्रश्री गणेश
31पद्मनाभस्वामी मंदिर(त्रिवेन्द्रम) तिरुवनंतपुरम्, केरलभगवान विष्णु
32मीनाक्षी अम्मन मंदिरमदुरै या मदुरई, तमिलनाडुमाता पार्वती देवी
33काशी विश्वनाथ मंदिरवाराणसी, उत्तर प्रदेशभगवान शिव
34जगन्नाथ मंदिरपुरी, उड़ीसाश्री कृष्ण, बलराम और सुभद्रा
35गुरुवायुर मंदिरगुरुवायुर, त्रिशूर, केरलश्री कृष्ण
36कन्याकुमारी मंदिरकन्याकुमारी, तमिलनाडुमाँ भगवती
37अक्षरधाम मंदिरदिल्लीभगवान विष्णु