भारत कब आजाद हुआ था ?
भारत देश 1947 में आजाद हुआ था । आज से 72 साल पहले भारत देश पर ब्रिटिश सरकार की हुकूमत हुआ करती थी । ब्रिटिश सरकार ने भारत पर लगभग 200 साल तक शासन किया था । भारत देश की आजादी के लिए बहुत से जावानो की जाने गई हैं तथा बहुत से क्रांतिकारियों ने देश के लिए संघर्ष करते हुए अपनी जान न्योछावर की है तब जाके 200 साल के बाद हमारे भारत देश को ब्रिटिश सरकार की हुकूमत से आजादी मिली थी । आइए जानते हैं कि हमारा भारत देश कैसे और कब आजाद हुआ ?
भारत को आजादी कैसे मिली ?
भारत देश 15 अगस्त 1947 में आजाद हुआ था । भारत को आजादी दिलाने स्वतंत्रता संग्राम चला और जिस समय यह स्वतंत्रता संग्राम चला रहा था वह समय द्वितीय विश्व युद्ध का दौर था । उस समय भारत देश पर ब्रिटिश सरकार की हुकूमत चला करती थी । पर भारत के आजादी के लिए चल रहे स्वतंत्रता सेनानी ने ब्रिटिश सरकार पर इतना दबाव बनाया कि उनको अपनी आर्थिक स्थिति को देखते हुए भारत को आजाद करने का फैसला करना ही पड़ा । भारत को आजादी दिलाने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका महान नेता महात्मा गांधी एवं सुभाष चंद्र बोस ने निभाई है ।

द्वितीय विश्व युद्ध का भारत की आज़ादी में क्या योगदान रहा –
द्वितीय विश्व युद्ध 1939-1945 के बीच हुआ था । यह युद्ध लगातार 6 साल तक चला था । द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत जर्मनी के तानाशाह हिटलर ने की थी । प्रथम विश्व युद्ध के चलते जर्मनी को बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ा था । और उसी की वजह से इसका प्रतिशोध लेने के लिए हिटलर ने सभी मित्र राष्ट्रों पर कब्जा करना प्रारंभ कर दिया था । जिसकी वजह से सभी मित्र राष्ट्र बहुत भयभीत हो गए थे । तथा इस युद्ध में ब्रिटेन के बहुत से सैनिक भी मारे गए थे । ब्रिटेन की आर्थिक स्थिति इतनी दयनीय हो गई थी कि उनके पास ना इतना धन था , कि वह अपनी एक सेना रख सके । इसलिए द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटेन ने भारत के लोगों से सहयोग मांगा । और ब्रिटेन का सहयोग करने के लिए अंग्रेजो के अधीन भारत ने अपनी सेना को भेज दिया । और युद्ध के दौरान भारत की सेना के बहुत से सैनिक शहीद हो गए थे ।
इस समय आजाद हिंद फौज के संस्थापक नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जापान की सहायता कर रहे थे जिसकी वजह से वह मित्र राष्ट्रों की सेना के साथ युद्ध कर रहे हैं । इस प्रकार इस समय सहायता करने की वजह से एक भारतीय दूसरे भारतीय से युद्ध कर रहा था । और इस युद्ध का जन आक्रोश इतना बढ़ गया कि जल्द ही सभी भारतीय सैनिकों ने अंग्रेजों की ओर से युद्ध करने को मना कर दिया । अब ब्रिटेन पूरी तरह से असहाय हो चुका था । और इधर भारत में इस समय भारत छोड़ो आंदोलन अपने शीर्ष पर था । जिसकी वजह से अंग्रेजों की हालत भारत में बहुत ही खराब हो गई थी । और यही वो समय था जब ब्रिटेन की सत्ता में परिवर्तन आया , और ब्रिटेन ने भारत को आजाद करने का फैसला किया । द्वितीय विश्व युद्ध का नतीजा यह हुआ कि ब्रिटेन सबसे कमजोर देश बन गया और अमेरिका एक शक्तिशाली देश के रूप में सामने आया । अमेरिका ब्रिटेन का ही उपनिवेश था परन्तु बाद में यह स्थिति परिवर्तित हुई और ब्रिटेन अमेरिका का कर्जदार बन गया । और इसके फलस्वरूप भारत ब्रिटेन की गुलामी आजाद हुआ।
भारत की आज़ादी के लिए किये गए आन्दोलन –
1. नमक सत्याग्रह –
इस आंदोलन की शुरुआत 1930 में महात्मा गांधी के द्वारा अहमदाबाद में स्थित साबरमती आश्रम से 24 दिन की यात्रा से हुई थी । इस यात्रा के दौरान गांधी जी समुद्र के किनारे बसे एक शहर दांडी के लिए गए और वहां जाकर उन्होंने औपनिवेशिक भारत में बनने वाले नमक के लिए अंग्रेजों के अधिकार वाले कानून को तोड़कर नमक बनाया था ।
2. चौरीचौरा में हुई एक घटना –
यह घटना 1 फरवरी ,1922 में चौरीचौरा में घटी थी जो भारत के इतिहास की कभी ना भूलने वाली घटना है या कहा जाए तो एक ऐसा काला दिन है जो कभी नहीं भुलाया जा सकता है । इस दिन चौरीचौरा थाने के एक दरोगा जिनका नाम गुप्तेश्वर सिंह था वह आजादी की लड़ाई लड़ रहे वालंटियरों की अचानक पिटाई करना शुरू कर दिया जिसकी वजह से सभी सत्याग्रहीयों को सभी पुलिस वालों पर पथराव करना पड़ा । और इस पथराव का ज़बाब देने के लिए पुलिस ने गोलियां चलाई जिसमें लगभग 260 लोगों की मौत हो गई । और पुलिस लगातार गोलीबारी करती रही और यह गोलीबारी तब रूकी जब पुलिस की कारतूस खत्म नहीं हो गई । और इसके बाद सभी सत्याग्रहीयों का गुस्सा फूटा और उन्होंने थाने में स्थित 23 पुलिसवालों को जिंदा ही जला डाला ।
3. जलियांवाला बाग –
यह घटना 13 अप्रैल 1919 की जलियांवाला बाग की है जहां ब्रिगेडियर जनरल रेजीनॉल्ड डायर के नेतृत्व में अंग्रेजी फौज के द्वारा निहत्थे बूढ़े , महिलाओं और बच्चों सहित सैकड़ों मासूम लोगों की हत्या कर दी और हजारों लोगों को घायल कर दिया । इस घटना ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम पर सबसे ज्यादा प्रभाव डाला था । यह एक हत्याकांड ही माना जाता है ।
4. सशस्त्र सेना का गठन –
1942 में भारत को अंग्रेजों से आजादी कराने के लिए आजाद हिंद फौज के नाम से एक सशस्त्र सेना का संगठन बनाया गया था पर एक साल के अंदर ही यह आजाद हिंद फौज लगभग समाप्त ही होने लगी थी । फिर 1943 में सुभाष चन्द्र बोस ने इस सेना का पुनर्गठन किया ।
5.असहयोग आंदोलन –
इस आंदोलन की शुरुआत 1920 से 1922 के बीच महात्मा गांधी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन की शुरुआत हुई थी । जलियांवाला बाग और अन्य घटनाओं के बाद गांधी को लगा की ब्रिटिश सरकार से एक उचित न्याय मिलना मुश्किल है इसलिए उन्होंने यह असहयोग आंदोलन शुरू किया ।
6. सविनय अविज्ञा आंदोलन –
इस आंदोलन की शुरुआत ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने की थी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के द्वारा लाहौर के अधिवेशन में यह घोषणा की गई कि उनका लक्ष्य भारत की पूर्ण स्वाधीनता को प्राप्त करना है । और 6 अप्रैल 1930 में गांधी जी ने अपनी इसी मांग पर जोर देने के लिए सविनय अविज्ञा आंदोलन को शुरू किया ।
7. Save silent belly आंदोलन –
स्वतंत्र भारत का ये सबसे पहला आंदोलन मना जाता है ।यह आंदोलन केरल के वन वर्षा आंदोलन के लिए चलाया गया था । इस समय केरल के प्रभावी नेता करूणाकरण और सांसद वीएस विजयराघव तब एक पनबिजली परियोजना के तहत एक संयंत्र लगा रहे थे । इसी लिए जंगल को बचाने के लिए यह आंदोलन शुरू किया गया था । इसलिए इसे Save silent नाम दिया गया था । पर इस परियोजना के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपनी स्वीकृति नहीं दी थी ।
8. चिपको आंदोलन –
70 के दशक में पूरे भारत में जंगलों की कटाई के विरोध में इस आंदोलन को शुरू किया गया था । जिसे चिपको आंदोलन का नाम दिया गया था । इस आंदोलन का चिपको इसलिए पड़ा क्योंकि लोग पेड़ों की रक्षा करने के लिए पेड़ों से चिपक जाते थे जिसकी वजह से ठेकेदार पेड़ों को नहीं काट पाते थे । 1974 का यह बहुत ही विख्यात आंदोलन था । चिपको आंदोलन की प्रणेता गौरा देवी थी । गौरा देवी के नाम पर इस आंदोलन को ‘ चिपको Woman’ भी बोला जाता था । 1973 में इस आंदोलन की शुरुआत अलकनंदा की ऊपरी घाटी के एक मंडल गांव से हुई थी, और धीरे धीरे यह पुरे उत्तरप्रदेश के हिमालय जिले में फ़ैल गया । और बाद में इस आंदोलन में चंडी प्रसाद भट्ट, वासवानंद नौटियाल, गोविंद सिंह रावत , हयात सिंह, जैसे जागरूक लोग भी शामिल हो गए थे ।
9. जेपी आंदोलन –
जेपी आंदोलन एक ऐसा आंदोलन था जिसने पूरे भारत की राजनीति की दिशा ही बदल दी । जेपी आंदोलन को 1974 में बिहार के कुछ विद्यार्थियों ने बिहार सरकार के अंदर मौजूद भ्रष्टाचार के विरुद्ध शुरू किया था । और इसके बाद इस आंदोलन का रूख केन्द्र की इंदिरा गांधी सरकार की तरफ मोड़ दिया गया था । जेपी आंदोलन की अगुवाई एक प्रसिद्ध गांधीवादी और सामाजिक कार्यकर्ता जयप्रकाश नारायण ने की, जिनको जेपी के नाम से भी जाना जाता है । इस आंदोलन का एक नाम और हैं ‘ संपूर्ण क्रांति आंदोलन ‘ । इस आंदोलन में सभी आंदोलनकारी बिहार से तत्कालीन मुख्यमंत्री अब्दुल गफूर को हटाने की मांग कर रहे थे पर उस समय की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ऐसा करने से साफ मना कर दिया था । इसलिए एक छोटा सा आंदोलन एक बड़े सत्याग्रह में बदल गया । और जेपी ने इस सत्याग्रह के चलते पूरे देश में घूम घूम कर प्रचार किया और सभी विपक्षी दलों को एकजुट किया । और इस आंदोलन के बलबूते उन्होंने केंद्र में पहली गैर कांग्रेसी सरकार बनायी । और जेपी आंदोलन ने अपना रंग दिखाया जिसके सामने इंदिरा गांधी को भी हारना पड़ा ।
10. जंगल बताओ आंदोलन –
इस आंदोलन की शुरुआत 1980 में बिहार में हुई थी । और बाद में यह आंदोलन झारखंड और उड़ीसा में भी फ़ैल गया था । 1980 की सरकार के द्वारा बिहार के जंगलों में मूल्यवान सागौन के पेड़ों के जंगलों में बदलने की योजना को पेश किया गया था । और इस योजना का विरोध बिहार के सभी आदीवासी कबीलों ने एकजुट होकर जंगलों को बचाने के लिए किया । और इस आंदोलन को ‘ जंगल बचाओ आंदोलन ‘ का नाम दिया गया ।
11. नर्मदा बचाओ आंदोलन –
इस आंदोलन की शुरुआत 1985 में की गई थी । इस आंदोलन की वजह थी नर्मदा नदी पर बन रहे अनेक बांध । इसलिए इस आंदोलन का नाम ‘ नर्मदा बचाओ आंदोलन ‘ रखा गया था । इस आंदोलन में आदिवासी , पर्यावरणविद् और किसानों ने बांधों के निर्माण के फैसले के विरुद्ध जाकर यह आंदोलन शुरू किया था । और बाद में धीरे-धीरे इस आंदोलन से बहुत सी बड़ी बड़ी हस्तियां भी जुड़ती गई और सबने अपना विरोध जताने के लिए भूख हड़ताल भी की । और बाद में कोर्ट ने अपना दखल देते हुए एक आदेश जारी किया कि पहले जो भी प्रभावित लोग हैं उनका पुनर्वास किया जाएगा उसके बाद ही बांध का काम शुरू होगा ।