बांग्लादेश कब आजाद हुआ था (Bangladesh kab aazaad hua tha) ?
26 मार्च 1971 में बांग्लादेश आजाद हुआ था । बांग्लादेश देश आजादी से पहले पाकिस्तान का हिस्सा हुआ करता था । जब पाकिस्तान और भारत का बंटवारा हुआ था तब बांग्लादेश पाकिस्तान में शामिल था । आजादी के बाद ही यहां संविधान लागू हुआ था उसकी स्थापना 4 नबम्बर 1972 में हुई थी ।

बांग्ला देश एशिया के महाद्वीप में बसा हुआ देश है यह भारत का एक पड़ोसी देश है । बांग्लादेश भारत के पूर्वी छोर पर स्थित है जो कि 147,570 के वर्ग मीटर तक फैला हुआ है । बांग्लादेश क्षेत्रफल के आधार पर यह दुनिया का 92वां सबसे बड़ा देश है । बांग्लादेश एक मुस्लिम राष्ट्र है जहां लगभग 90% लोग इस्लाम धर्म को मानते हैं । इसके अलावा यहां बोद्ध धर्म और हिन्दू धर्म से सम्बंधित लोग भी निवास करते हैं । वर्तमान समय में यहां की जनसंख्या 17 करोड़ है जो इसे दुनिया का आठवां सबसे बड़ा राष्ट्र बनाती है । बांग्लादेश की राजधानी ढाका है जो कि यहां का सबसे बड़ा शहर हैं और यहां पर आधिकारिक तौर पर बंगाली भाषा ही बोली जाती है ।
बांग्लादेश के बंटवारे के समय कितने राज्यों के बीच युद्ध हुआ –
पाकिस्तान और भारत के बंटवारे के बाद जिसमें भारत दो हिस्सों में बाट दिया गया था जिसमें एक हिस्सा भारत का और दूसरा हिस्सा पाकिस्तान था । उस समय बांग्लादेश में मुस्लिम और बंगाली मुस्लिम रहते थे, पर उस समय बंगाली मुस्लिमों को पाकिस्तानी सरकार हमेशा ही परेशान किया करती थी । इसलिए पूर्व पाकिस्तानी लोगों ने इस क्रूरता का विद्रोह किया और 16 मार्च 1971 में पूर्व पाकिस्तान को बांग्लादेश घोषित कर दिया गया था । उसके बाद से ही पाकिस्तानी सरकार ने अपनी क्रूरता की सारी हदें पार कर दी और बांग्लादेश के 30 लाख लोगों की हत्या कर दी गई थी ।
इस घटना के बाद उस समय की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इस क्रूरता को देखते हुए बांग्लादेश की मदद करने का फैसला किया और बांग्लादेश देश की मदद करने के लिए अपने सैनिकों को भेजा दिया । और हिन्दुस्तान के सैनिकों ने पाकिस्तान की सेना को हरा दिया, और इस तरह बांग्लादेश को पाकिस्तान की क्रूरता से आजाद करा लिया ।
भारत – बांग्लादेश के बीच विवाद के कारण –
* सीमा का विवाद –
रक्षामंत्रालय के मुताबिक भारत बांग्लादेश के साथ पांच राज्यों के बीच 4351 कि.मी. तक फैला हुआ था जैसे कि पश्चिम बंगाल 2217 कि.मी., मेघालय 443 , मिजोरम 318 , असम 262 , त्रिपुरा 856 । ये सब सीमाएं 5 राज्यों से होकर गुजरती है । पोरस बार्डर को हमेशा से ही भारत से बांग्लादेश तक खाद्य वस्तुएं, औषधि, मवेशी, दवाइयां आदि की तस्करी करने के लिए इस मार्ग का उपयोग किया जाता है । बांग्लादेश में हजारों ऐसे अवैध आप्रवासी लोग थे जो पिछले कुछ वर्षों में यहां रोजगार की तलाश में आते थे, पर उन्हें यहां प्रवासियों और भारतीय सेना की बीच हुई हिंसा का सामना करना पड़ा ।
* जल विवाद –
बांग्लादेश और भारत की सीमाओं से 54 अलग-अलग नदियों का आवागमन है । सन् 1996 दोनों देशों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण था क्योंकि इस समय गंगाजल के बंटवारे को लेकर एक सफलतापूर्वक समझौता हुआ था । यहां की नदियों को लेकर भी विवाद हुए थे । इन विवादों के दौरान अपर्याप्त पानी दोनों देशों की मांगों को पूरा नहीं कर पाए जिसके कारण सीमावर्ती देशों के बीच संघर्ष हुआ ।
* अवैध प्रवासन –
अवैध प्रवास दोनों देशों के बीच का सबसे बड़ा मुद्दा था । सन् 1971 में स्वतंत्रता के बाद लाखों बांग्लादेश के प्रवासी भारत में पड़ोसी राज्यों में चले गए थे जिनमें से कुछ तो अवैध आप्रवासी थे जिनको भारत सरकार के द्वारा निर्वासित करने का प्रयास भी किया गया था लेकिन अधिक संख्या में होने के कारण पोरस बार्डर ने भारत सरकार के इस प्रयास को नाकाम कर दिया । बांग्लादेश की आजादी के बाद भारत के पश्चिम बंगाल से लगभग 10 लाख बांग्लादेशियों ने प्रवेश किया था ।
* सुरक्षा संबंधी चिंता –
कुछ वर्षों में हुए विद्रोह ने भारत और बांग्लादेश के बीच के संबंध को बहुत प्रभावित किया था । जैसे सन् 1956 से पूर्वोत्तर भारत के निवासियों के बीच बढ़ी जातीय विवाद, पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी, भारत में विद्रोहियों की घुसपैठ आदि की वजह से पूर्वोत्तर भारत में आंतक का माहौल बना रहा ।
* भारत और बांग्लादेश के बीच के संबंध –
अर्थ तंत्र ने दोनों देशों के मध्य संबंधों को मजबूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में कार्य किया है । दोनों देशों के बीच परागमन सुविधाओं, आर्थिक संबंधों, संयुक्त उद्यम, परिवहन विकास , क्रेडिट व्यवस्था , व्यापार में लेन देन को अपनाया है ।