जानकारी से पता चला है कि एक बार फिर से अब इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयाग रखने की कोशिश आजकल जोरों पर दिख रही हैं। अगर सब कुछ सही रहा तो संगम नगरी इलाहाबाद का नाम ‘प्रयाग’ हो जाएगा। नाम बदलने की परंपरा में अब इलाहाबाद का नाम बदलने की मांग उठने लगी है। इसकी कवायद के लिए प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री व सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थ नाथ सिंह ने राज्यपाल राम नाईक को पत्र लिखा है और उनसे इलाहाबाद का नाम प्रयाग करने में मदद का अनुरोध किया है।
यूपी के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ अथवा योगी सरकार काफी पहले से ही इलाहाबाद का नाम प्रयाग करने की कोशिश में है, लेकिन हर बार किसी न किसी कारण से इसका नाम बिना बदले इलाहबाद ही रह जाता है। इस बार इसका नाम बदलने की संभावना सबसे अधिक है। इससे पहले उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य इलाहाबाद का नाम प्रयाग करने की बात रख चुके हैं। इस सम्बन्ध में सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि राज्यपाल राम नाईक जब महाराष्ट्र के सांसद थे, तब उन्होंने ‘बॉम्बे’ को ‘मुंबई’ के नाम से बदलने में मदद की थी। उन्होंने यह भी कहा कि इसी को ध्यान में रखते हुए इलाहाबाद का नाम ‘प्रयाग’ करने पर विचार करने के लिए राज्यपाल को पत्र लिखा है, उम्मीद है वह इस पत्र को गंभीरता से लेकर विचार जरूर करेंगे।
ऐसा कोई पहली बार नहीं हो रहा है, बल्कि इससे पहले उप-मुख्यमंत्री केशव मौर्य ने भी इलाहाबाद का नाम बदलकर ‘प्रयाग’ करने के सम्बन्ध में बयान दिया था। केशव प्रसाद मौर्य ने कहा था कि इलाहाबाद की पहचान यहां तीन नदियों के संगम की वजह से है, इसलिए इसका नाम ‘प्रयागराज’ होना चाहिए। उन्होंने कुंभ आयोजन से पहले इस काम को पूरा करने का आश्वासन भी दिया था। अब स्वास्थ्य मंत्री का राज्यपाल को लिखा पत्र भी इसी कड़ी से जोड़कर देखा जा रहा है। साथ ही यह उम्मीद जताई जा रही है कि 2019 में होने वाले कुंभ से पहले योगी सरकार इलाहाबाद का नाम बदलकर ‘प्रयाग’ कर देगी। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अलावा स्वास्थ्य मंत्री ने भी मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इलाहाबाद का नाम बदलने की मांग की है। अखाड़ा परिषद के प्रमुख महंत नरेंद्र गिरी ने मुख्यमंत्री से मुलाकात कर कहा कि कुंभ मेला से पहले इलाहाबाद का नाम प्रयाग कर देना चाहिए। बता दें कि 2001 में तत्कालीन मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह और राज्यपाल विष्णुकांत शास्त्री ने भी इलाहाबाद का नाम बदलने की वकालत की थी।