परिचय
अक्षरधाम भारत के नई दिल्ली शहर में स्थित एक हिन्दू मंदिर है, इस स्थल को अक्षरधाम मंदिर और स्वामीनारायण अक्षरधाम के नाम से जाना जाता है। अक्षरधाम शब्द का अर्थ है भगवन स्वामीनारायण का निवास स्थान और भक्तों व श्रद्धालुओं का भी यही मानना है कि यह स्थान इस पृथ्वी पर भगवान का अस्थायी गृह है। इस मंदिर का निर्माण पंचारता शास्त्र और वास्तु-शास्त्र के अनुसार इस स्थल की पूरी भूमि के मध्य में किया गया है। यह मंदिर सदियों से चली आ रही भारतीय संस्कृति, आध्यात्मिकता और वास्तुकला को दर्शाता है। इस मंदिर को अधिकारिक तौर से 6 नवम्बर सन. 2005 को खोला गया और इसका उद्घाटन उस समय के रहे राष्ट्रपति डॉ० ए.पी.जे अब्दुल कलाम के द्वारा करवाया गया था।
इस स्थल पर विभिन्न प्रकार की विशेषताएँ उपलब्ध हैं जैसे अभिषेक मंडप, सहज आनंद जल प्रदर्शनी, विषयगत उद्यान और तीन अलग तरह की प्रदर्शनी दिखाई जाती हैं सहजानंद दर्शन, नीलकंठ दर्शन और संस्कृति दर्शन आदि।
इतिहास
अक्षरधाम को बनवाने का सपना बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था के रहे प्रमुख गुरु योगीजी महाराज ने सन. 1968 में देखा था। योगीजी महाराज ने अपनी इच्छा को प्रकट करते हुए दिल्ली में रहने वाले दो या तीन स्वामीनारायण भक्तों के परिवारों को भगवान स्वामीनारायण का एक भव्य मंदिर का निर्माण यमुना नदी के किनारे करने के लिए बताया। महाराज की इच्छा के अनुसार मंदिर बनाने की योजना को शुरू ही किया गया था, जिसके अंतर्गत थोड़ी सफलता भी प्राप्त हुई, परन्तु सन. 1971 में योगीजी महाराज की मृत्यु हो गई। तदुपरांत सन. 1982 में योगीजी के शिष्य प्रमुख स्वामी महाराज बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था के प्रमुख अध्यात्मिक गुरु बने, जिन्होंने अपने गुरु योगीजी महाराज के सपने को पूरा करने का दायित्व सँभाला। उन्होंने मंदिर का निर्माण करने हेतु भूमि के लिए दिल्ली विकास प्राधिकरण के साथ-साथ अन्य स्थानों पर भी आवेदन दिया, जिसमें गाजियाबाद, गुड़गांव और फरीदाबाद शहर शामिल हैं। मंदिर का निर्माण करने के निरंतर प्रयास से सन. 2000 में दिल्ली विकास प्राधिकरण के द्वारा मंदिर का निर्माण करने के लिए 60 एकड़ की भूमि का प्रस्ताव दिया गया और उत्तर प्रदेश की सरकार द्वारा 30 एकड़ की भूमि का। एक भव्य मंदिर का निर्माण करने हेतु पर्याप्त भूमि प्राप्त होने के पश्चात प्रमुख स्वामी महाराज ने स्वयं उस भूमि पर मंदिर के निर्माण कार्य को सफलतापूर्वक पूर्ण होने के लिए पूजा की। अतः 8 नवम्बर सन. 2000 को मंदिर का निर्माण कार्य प्रारंभ हुआ और 6 नवम्बर सन. 2005 को अक्षरधाम मंदिर का उद्घाटन उस समय के रहे राष्ट्रपति डॉ० ए.पी.जे अब्दुल कलाम द्वारा कराया गया। इस समारोह में राष्ट्रपति के अतिरिक्त भारत देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, भारतीय संसद के विपक्ष नेता लाल कृष्ण अडवाणी और 25,000 दर्शक शामिल थे।
निर्माण कार्य
अक्षरधाम मंदिर की संरचना का निर्माण महाऋषि वास्तु-कला के आधार पर किया गया है, जिसमें भारत की सभी वास्तु-कला का मिश्रण है। मंदिर के निर्माण कार्य की देख-रेख के लिए पंचारता शास्त्र के आठ विद्वान साधुओं को बुलाया गया, जिनके संरक्षण में यह योजना पूर्ण हुई। इस मंदिर की ऊँचाई 43 मीटर, चौड़ाई 96 मीटर और लम्बाई 109 मीटर है, जिसको बनाने के लिए छह हजार से भी अधिक गुलाबी बलुआ पत्थरों को राजस्थान से लाया गया और मंदिर का निर्माण करने के लिए सात हजार नक्काशी करने वाले और तिन हजार स्वयंसेवकों को नियुक्त किया गया। मंदिर का निर्माण करने के लिए प्रारंभिक पत्थरों को मशीनों के द्वारा काटा गया, जबकि पत्थरों पर विस्तृत नक्काशी हाथों से की गई। हर रात एक सौ से ज्यादा ट्रक अक्षरधाम के निर्माण स्थल पर पहुँचते, जिनको चार हजार मजदुरों और स्वयंसेवकों द्वारा सँभाला जाता था।
विशेषताएँ
हर मंदिर से हटके अक्षरधाम की अपनी अलग विशेषताएँ हैं, इस मंदिर में तिन अलग प्रकार की प्रदर्शनी, अभिषेक मंडप और विषयगत उद्यान जैसे स्थान बनाए गए हैं। इस मंदिर में आए दर्शकों के लिए जल प्रदर्शनी को भी बनाया गया है जिसको सहज आनंद जल प्रदर्शनी कहा जाता है।
1. अभिषेक मंडप
अभिषेक एक प्रकार का पवित्र देव स्नान है। इस देव स्नान के दौरान सेवक मन्त्रों का उच्चारण करते हैं, जिससे दुआ करने वालों की मानों-कामना पूर्ण हो जाए। अक्षरधाम में मुख्य मंदिर से अलग एक अभिषेक मंडप को बनाया गया है, जहाँ नीलकंठ भगवान की प्रतिमा स्थापित है। इस मंडप में कोई भी पूर्ण अनुष्ठानों के साथ नीलकंठ की प्रतिमा का अभिषेक कर सकता है। अभिषेक करने के अनुष्ठान में सर्वप्रथम कलाई पर एक पवित्र धागा बाँधा जाता है। उसके उपरांत छोटे से पात्र में नीलकंठ की प्रतिमा का अभिषेक पवित्र जल से किया जाता है और मंत्र उच्चारण होते हैं। अभिषेक और मंत्र उच्चारण के दौरान मौजूदा परिवार के सदस्यों को प्रार्थना के लिए भी प्रोत्साहित किया जाता है।
2. सहज आनंद जल प्रदर्शनी
अक्षरधाम में बनी जल प्रदर्शनी जिसे सहज आनंद जल प्रदर्शनी या यज्ञपुरुष कुंड कहा जाता है भारत की सबसे बड़ी बावड़ी है। 24 मिनट की होने वाली यह जल प्रदर्शनी दर्शकों को बहुत लुभाती है। इस प्रदर्शनी में विभिन्न रंगों की लेजर, विडियो प्रोजेक्शन, अंडरवाटर फ्लेम्स, वाटर जेट्स और चारों ओर से उठती आवाजें एक लय में लाइट्स के साथ अभिनेताएँ एक मनोरम और प्रेरक प्रस्तुति को दर्शाते हैं।
इस यग्नपुरुष कुंड की लम्बाई और चौड़ाई 91 मीटर है। इस जगह के मध्य में जयाख्या संहिता के पंचारता शास्त्र अनुसार कमल की पत्तियों के आकार के आठ यज्ञ कुंड को बने हुए हैं। इस जहग पर दर्शकों के बैठने के स्थान के सामने नीलकंठ वर्णी की 27 फीट लंबी पीतल से बनी प्रतिमा स्थापित है।
3. सहजानंद दर्शन
इस प्रदर्शनी में भारतीय संस्कृति का अनुभव होता है जहाँ स्वामीनारायण के जीवन में दिए गए शांति, एकता, विनम्रता, दूसरों की सेवा और ईश्वरीय समर्पण आदि संदेशों को रोबोटिक्स से बनी चित्रावली के द्वारा दर्शाया जाता है। 18वीं सदी में ढाले गए इस सेट में दर्शकों को प्राचीन भारत की प्रदर्शनी अलग-अलग कक्षों में बनी चित्रावली द्वारा दिखाई जाती है, जिससे दर्शकों को भारत की प्राचीन संस्कृति का अनंत सन्देश जैसे अहिंसा, दृढ़ता और शाकाहार की महत्ता आदि प्राप्त हो सकें।
4. नीलकंठ दर्शन
अक्षरधाम के नीलकंठ दर्शन हॉल में दिखाई जाने वाली नीलकंठ यात्रा का पर्दा दिल्ली के अन्य पर्दों की तुलना में सबसे बड़ा है, जिसकी लम्बाई 26 मीटर और चौड़ाई 20 मीटर है। यह फिल्म बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था के द्वारा सन. 2005 में आईमैक्स के पर्दों के साथ दुनियाभर के बड़े पर्दों के सिनेमाघरों में पहली बार दिखाई गई थी। इस नीलकंठ यात्रा में स्वामीनारायण द्वारा की गई किशोरावस्था की सात वर्षों की तीर्थ यात्रा को दिखाया जाता है।
5. संस्कृति दर्शन
संस्कृति दर्शन में दर्शकों को एक स्वचालित नाँव में बिठाया जाता है, जहाँ उन्हें भारत के वैदिक युग का अनुभव करने को मिलता है। 12 मिनटों की इस नाँव यात्रा में दर्शकों को भारत के हजारों वर्षों के पूर्व इतिहास और अलग-अलग के छेत्रों में दिए गए योगदान जैसे विज्ञान, खगोल विज्ञान, कला, साहित्य, योग और गणित आदि जैसे छेत्रों को विभिन्न चित्रावली के द्वारा दर्शाया जाता है। यहाँ दुनिया में बना सबसे पहला विश्वविद्यालय जिसे ‘तक्षिला’ कहा जाता है कि बहुत सुन्दर चित्रावली बनाई गई है। इस तक्षिला नामक विश्वविद्यालय में शिष्यों को घुड़सवारी और युद्ध करने जैसे ज्ञान को दिया जाता था।
नाँव के द्वारा आगे की ओर बढ़ते हुए दर्शक मध्य युग के हॉल में पहुँचते हैं, जहाँ कबीर जैसे सूफी संत और समाज को भक्ति का उदारण देने वाले महान रामानंदाऔर मीरा बाई जैसे भक्त देखने को मिलते हैं। उसके उपरांत पूर्व समय में जगदीश चन्द्र बोस, श्रीनिवास रामानुजन और सी.वी रमन जैसे महान गणितिज्ञों और भारत के महान दार्शनिक स्वामीविवेकानंद जैसे महान लोगों पर प्रकाश डाला गया है।
6. भारत उपवन
अक्षरधाम के इस उपवन में विश्राम और घूमते हुए दर्शकों को राष्ट्रीय इतिहास और अंतराष्ट्रीय शिक्षा से जुड़ी जानकारियाँ यहाँ की पीतल से बनी महान लोगों की प्रतिमायों और उद्धरण के माध्यम से दी जाती हैं। इस उपवन की छांव में ज्ञान और अच्छी विचारक बातें चारों ओर से दर्शकों को सुनने को मिलती हैं, जो उनकी ज़िन्दगी को प्रेरित और उत्साहित करती हैं।
पर्यटन
अक्षरधाम मेट्रो स्टेशन के निकट स्तिथ यह मंदिर दिल्ली में आए देश-विदेशों के अधिकतर दर्शकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करता है। इस मंदिर में आने वाले दर्शकों के लिए यहाँ प्रेमवती आहारगृह नामक भोजनालय का निर्माण किया गया है। इस भोजनालय की संरचना महाराष्ट्र में बने एल्लोरा की गुफाओं की आकृति के आधार पर बनाई गई है। यहाँ अक्षरधाम में विभिन्न स्थानों पर घुमने के पश्चात दर्शकों को अपनी भूख मिटाने के लिए अलग-अलग तरह के शाकाहरी व्यंजन उपलब्ध हैं। इसके अलावा यहाँ आए दर्शकों के लिए विभिन्न प्रकार की सुविधाएँ भी उपलब्ध कराई गई हैं जैसे विस्तृत जगह में फैली पार्किंग, ए.टी.एम, टेलीफोन बूथ, टॉयलेट्स और बुजुर्गों व अपाहिचों के लिए वील चेयर आदि।
इस भव्य और शास्त्रों के आधार पर बने मंदिर को 07 नवम्बर सन. 2007 में गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दुनिया का सबसे बड़ा विस्तृत हिन्दुओं के मंदिर के रूप में शामिल किया गया। भारत में आए गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड के वरिष्ठ अधिकारी माइकल विटी ने बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था को दो श्रेणियों के प्रमाणपत्र दिए, जिसमें पहला पत्र एक व्यक्ति जिसने यह भव्य मंदिर का निर्माण करवाया और दूसरा दुनिया में हिन्दुओं का सबसे विशाल विस्तृत मंदिर होने के आधार पर दिया गया।
मंदिरों की तालिका-
क्र. सं. | मंदिर का नाम | मंदिर का स्थान | देवी / देवता का नाम |
1 | बांके बिहारी मंदिर | मथुरा-वृन्दावन, उत्तर प्रदेश | बांके बिहारी (श्री कृष्ण) |
2 | भोजेश्वर मंदिर | भोपाल, मध्यप्रदेश | भगवान शिव |
3 | दाऊजी मंदिर | बलदेव, मथुरा, उत्तर प्रदेश | भगवान बलराम |
4 | द्वारकाधीश मंदिर | मथुरा, उत्तर प्रदेश | श्री कृष्ण |
5 | गोवर्धन पर्वत | गोवर्धन, मथुरा, उत्तर प्रदेश | श्री कृष्ण |
6 | इस्कॉन मंदिर | मथुरा-वृन्दावन, उत्तर प्रदेश | श्री कृष्ण, भगवान बलराम |
7 | काल भैरव मंदिर | भैरवगढ़, उज्जैन, मध्यप्रदेश | भगवान काल भैरव |
8 | केदारनाथ मंदिर | रुद्रप्रयाग, उत्तराखण्ड | भगवान शिव |
9 | महाकालेश्वर मंदिर | जयसिंहपुरा, उज्जैन, मध्यप्रदेश | भगवान शिव |
10 | नन्द जी मंदिर | नन्दगाँव, मथुरा | नन्द बाबा |
11 | निधिवन मंदिर | मथुरा-वृन्दावन, उत्तर प्रदेश | श्री कृष्ण, राधा रानी |
12 | ओमकारेश्वर मंदिर | खंडवा, मध्यप्रदेश | भगवान शिव |
13 | प्रेम मंदिर | मथुरा-वृन्दावन, उत्तर प्रदेश | श्री कृष्ण, राधा रानी |
14 | राधा रानी मंदिर | बरसाना, मथुरा, उत्तर प्रदेश | श्री कृष्ण, राधा रानी |
15 | श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर | मथुरा, उत्तर प्रदेश | श्री कृष्ण, राधा रानी |
16 | बृजेश्वरी देवी मंदिर | नगरकोट, कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश | माँ ब्रजेश्वरी |
17 | चामुंडा देवी मंदिर | कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश | माँ काली |
18 | चिंतपूर्णी मंदिर | ऊना, हिमाचल प्रदेश | चिंतपूर्णी देवी |
19 | ज्वालामुखी मंदिर | कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश | ज्वाला देवी |
20 | नैना देवी मंदिर | बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश | नैना देवी |
21 | बाबा बालकनाथ मंदिर | हमीरपुर, हिमाचल प्रदेश | बाबा बालकनाथ |
22 | बिजली महादेव मंदिर | कुल्लू, हिमाचल प्रदेश | भगवान शिव |
23 | साईं बाबा मंदिर | शिर्डी, महाराष्ट्र | साईं बाबा |
24 | कैला देवी मंदिर | करौली, राजस्थान | कैला देवी (माँ दुर्गा की अवतार) |
25 | ब्रह्माजी का मंदिर | पुष्कर, राजस्थान | ब्रह्माजी |
26 | बिरला मंदिर | दिल्ली | भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी देवी |
27 | वैष्णों देवी मंदिर | कटरा, जम्मू | माता वैष्णो देवी |
28 | तिरुपति बालाजी मंदिर | तिरुपति, आंध्रप्रदेश | भगवान विष्णु |
29 | सोमनाथ मंदिर | वेरावल, गुजरात | भगवान शिव |
30 | सिद्धिविनायक मंदिर | मुंबई, महाराष्ट्र | श्री गणेश |
31 | पद्मनाभस्वामी मंदिर | (त्रिवेन्द्रम) तिरुवनंतपुरम्, केरल | भगवान विष्णु |
32 | मीनाक्षी अम्मन मंदिर | मदुरै या मदुरई, तमिलनाडु | माता पार्वती देवी |
33 | काशी विश्वनाथ मंदिर | वाराणसी, उत्तर प्रदेश | भगवान शिव |
34 | जगन्नाथ मंदिर | पुरी, उड़ीसा | श्री कृष्ण, बलराम और सुभद्रा |
35 | गुरुवायुर मंदिर | गुरुवायुर, त्रिशूर, केरल | श्री कृष्ण |
36 | कन्याकुमारी मंदिर | कन्याकुमारी, तमिलनाडु | माँ भगवती |
37 | अक्षरधाम मंदिर | दिल्ली | भगवान विष्णु |