जम्‍मू-कश्‍मीर के मौसम में सुधार आने के साथ ही अमरनाथ यात्रा ने एक बार फिर रफ्तार पकड़ ली है। सोमवार सुबह बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए करीब 4956  श्रद्धालुओं का नया जत्‍था कड़ी सुरक्षा व्‍यवस्‍था के बीच जम्‍मू से अमरनाथ यात्रा के लिए, बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए रवाना हो गया। वरिष्‍ठ अधिकारी के अनुसार श्रद्धालुओं के इस 11वें जत्‍थे में 1454 महिलाओं के साथ 97 साधु भी शामिल हैं।

उन्‍होंने आगे बताया कि ये सभी श्रद्धालु 161 वाहनों से भगवती नगर (जम्‍मू) से पहलगाम (अनंतनाग) और बालटाल (गंदेरबल) स्थित बेस कैंप के लिए बुधवार तड़के रवाना हो चुके हैं। अधिकारी के अनुसार 2,677 श्रद्धालुओं ने यात्रा के लिए पारंपरिक पहलगाम मार्ग का चुनाव किया है। पहलगाव के मार्ग का चुनाव करने वाले श्रद्धालुओं में 97 साधु एवं 632 महिलाएं भी शामिल हैं। वहीं 2,279 श्रद्धालुओं ने अमरनाथ यात्रा के लिए बालटाल रास्‍ते का चुनाव किया है। 12 किमी लंबे इस रास्‍ते पर जाने वाले श्रद्धालुओं में 822 महिलाएं भी शामिल हैं।

बाबा बर्फानी का दर्शन करने वाले 2296 श्रद्धालुओं का जत्‍था बालटाल से जम्‍मू के लिए रवाना हो गया है। बालटाल से इस जत्‍थे को 69 गाडि़यों से रवाना किया गया है। वहीं पहलगाम से 29 गाडियों से 481 श्रद्धालुओं का जत्‍था जम्‍मू के लिए रवाना हो गया है। उल्‍लेखनीय है कि 28 जून को शुरू हुई अमरनाथ यात्रा में अब तक करीब 1 लाख 37 हजार 500 के लगभग श्रद्धालु बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए पहुंच चुके हैं। इस साल बाबा बर्फानी के दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं की संख्‍या करीब ढाई लाख से ऊपर पहुंच सकती है। 60 दिनों तक चलने वाली यह यात्रा 26 अगस्त को ‘श्रावण पूर्णिमा’ के दिन समाप्त होगी।

अमरनाथ का इतिहास

अमरनाथ हिन्दुओं का एक प्रमुख तीर्थस्थल है। यह कश्मीर राज्य के श्रीनगर शहर के उत्तर-पूर्व में 135 किलोमीटर दूर समुद्रतल से 13600 फुट की ऊंचाई पर स्थित है। अमरनाथ गुफा भगवान शिव के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। इस गुफा की लंबाई (अंदर की ओर गहराई) 19 मीटर और चौड़ाई 16 मीटर है। गुफा 11 मीटर ऊंची है। गुफा की परिधि लगभग डेढ़ सौ फुट है और इसमें ऊपर से बर्फ के पानी की बूँदें जगह-जगह टपकती रहती हैं। अमरनाथ को सभी तीर्थों का तीर्थ कहा जाता है, क्योंकि यहीं पर भगवान शिव ने मां पार्वती को अमरत्व का रहस्य बताया था। यहां की प्रमुख विशेषता पवित्र गुफा में बर्फ से प्राकृतिक शिवलिंग का बनना है। प्राकृतिक हिम से बने होने के कारण इसे स्वयंभू हिमानी शिवलिंग भी कहते हैं।

आषाढ़ पूर्णिमा से शुरू होकर रक्षाबंधन तक पूरे सावन महीने में होने वाले पवित्र हिमलिंग दर्शन के लिए लाखों लोग यहां आते हैं। यहीं पर एक ऐसी जगह है, जिसमें टपकने वाली हिम बूंदों से लगभग दस फुट लंबा शिवलिंग बनता है। आश्चर्य की बात यही है कि यह शिवलिंग ठोस बर्फ का बना होता है, जबकि गुफा में आमतौर पर कच्ची बर्फ ही होती है, जो हाथ में लेते ही भुरभुरा जाए। यह चन्द्रमा की तरह से घटने-बढ़ने के साथ-साथ इस बर्फ का आकार भी घटता-बढ़ता रहता है। श्रावण पूर्णिमा को यह अपने पूरे आकार में आ जाता है और अमावस्या तक धीरे-धीरे छोटा होता जाता है। मूल अमरनाथ शिवलिंग से कई फुट दूर गणेश, भैरव और पार्वती के वैसे ही अलग अलग हिमखंड हैं।

अमरनाथ यात्रा के कुछ बिन्दु-

  • 27 जून को जम्मू से पहला जत्था रवाना।
  • यात्रा तिथि: 28 जून से 26 अगस्त, 2018।
  • पंजीकरण: 1 मार्च 2018 से शुरू हुए थे।
  • बैंक: पंजाब नेशनल बैंक, जम्मू और कश्मीर बैंक, और यस बैंक।
  • यात्रा के दिनों की संख्या: 60 दिन।
  • प्रतिदिन तीर्थयात्रियों की संख्या: 1500 (प्रत्येक निर्धारित मार्गों पर 7500 प्रत्येक)।
  • आयु सीमा: 14 से 74 वर्ष (13 वर्ष से कम आयु के बच्चे और 75 से अधिक वयस्कों की अनुमति नहीं है)।
  • पिछले साल 40 दिनों के लिए हुई थी यात्रा।
  • बर्फानी बाबा की पवित्र गुफा 12756 फीट की उंचाई पर है।