हवाई जहाज का अविष्कार किसने किया?
आदमी जन्म बाद जैसे ही होश में आया है वह हवाई जहाज उड़ाने का सपना देखने लगता है । पंक्षियों को गगन में मुक्त रूप से उड़ता हुआ देखकर उनके मन में भी गगन में पंक्षियों की तरह उड़ने की इच्छा होती है । इसी इच्छा को पूरा करने के लिए हवाई जहाज का अविष्कार किया गया था । हवाई जहाज की खोज ने हमारी यात्रा करने के समय को इतना कम कर दिया है कि हम कुछ ही मिनटों में की सौ किलोमीटर कि यात्रा को पूरा कर सकते हैं ।हवाई जहाज के अविष्कार को 115 वर्ष पूरे हो चुके हैं । आइए अब जानते हैं कि हवाई जहाज का अविष्कार किसने किया ?

हवाई जहाज का आविष्कार करने वाले वैज्ञानिक की कहानी –
विल्बर और ओरविल राइट के पिता का नाम मिल्टन था तथा वे एक पादरी थे । उन्होंने 24 वर्ष की आयु में सूसन कैथराइन से शादी की और उसके बाद वे पूरे भारत में जगह जगह घूमकर उपदेश देने लगे । उनके पांच बच्चे थे जिनमें से ही थे विल्बर और ओरविल । विल्बर का जन्म सन् 1867 में हुआ था और ओरविल का जन्म सन् 1871 में हुआ था । सन् 1878 की ही बात है उस समय विल्बर जिनकी उम्र 11 वर्ष थी और ओरविल जिनकी उम्र 7 वर्ष थी । एक रात में उनके पिता एक उड़ने वाला खिलौना खरीद कर लाये, जो छत की ऊंचाई तक सीधा उड़ता था । उस खिलौने को कागज, बांस और कर्क से बनाया गया था । तथा इसमें एक रबर की पट्टी लगी थी जो एक छोटे पंखे की तरह चलती थी । यह खिलौना हेलीकॉप्टर की ही तरह हवा में सीधा उड़ता था । इस खिलौने का निर्माण फ्रांसीसी ने किया था । इस खिलौने को देखते ही दोनों बच्चों की कल्पना को मानो पंख मिल गये हो । और दोनों के मन में यह ख्याल आया कि जब कागज़ की बनी छोटी सी वस्तु छत हवा में उड़ सकती है तो बड़ी वस्तु निश्चित ही आसमान में उड़ सकती है । उन्होंने इस खिलौने का नाम चमगादड़ रखा था ।
अब दोनों भाइयों ने चमगादड़ बनाना शुरू किया और चमगादड़ बनाने का काम विल्बर ने शुरू किया । क्योंकि ओरविल अभी बहुत छोटा था और अभी तो वह सिर्फ अपने भाई को खिलौना बनाते हुए देख ही सकता था । पर शुरू में दोनों भाइयों को असफलता ही मिली । फिर तीन साल के बाद जब पूरा परिवार रिचमंड पहुंच गया तो वहां जाकर दोनों को पतंग बनाने का शौक लगा । और ओरविल के द्वारा बनाई गई पतंगें उडन मशीनों के जैसे मशहूर हो गई ।
हवाई जहाज का आविष्कार कैसे हुआ –
हवाई जहाज का आविष्कार Wright brothers ने सन् 1896 में किया था । इन्होंने शुरुआत में एक ग्लाइडर बनाना शुरू किया । Wright brothers के ग्लाइडर का शुरूआती नमूना पतंग की तरह ही था । और फिर उन्होंने एक ऐसी जगह खोजी जहां तेज हवा चलती हो । फिर एक भाई ने रस्सी सम्भाली और दूसरे भाई ने ग्लाइडर पर सवार होकर उसे नियंत्रित करने की कोशिश की । पहले परिक्षणों में दोनों भाइयों ने ये समझा कि ग्लाइडर को केवल शरीर को आगे पीछे करने से ही संतुलन बनाया जा सकता है और दोनों ने लगातार परीक्षण किए और आखिर दोनों ने 1899 में ग्लाइडर को यांत्रिक विधि से संतुलित करने का तरीका खोज ही लिया । दोनों ने ग्लाइडर में एक पतवार लगाई जिसके जरिए ग्लाइडर को हम अपनी इच्छानुसार ऊपर नीचे ले जा सकतें हैं ।
इसके बाद इन दोनों भाइयों ने ग्लाइडर पर एक सीधा खड़ा पतवार लगाया जिसके जरिए ग्लाइडर को दाएं बाएं धुमाया जा सकता है । Wright brothers को ही सर्वप्रथम नियंत्रित ग्लाइडर बनाने का श्रेय दिया जाता है । Wright brothers ने उत्तरी कैरोलिना में किटीहाक नामक की एक जगह को अपने अभ्यास के लिए चुना । दोनों भाई एक प्रोग्राम बनाकर अभ्यास करते और असफल होने पर उसमें सुधार करके दूसरा नमूना बनाते और गर्मियों की छुट्टियों के बीतने तक अपने घर वापस चलें जाते । ऐसे ही दोनों लगातार कई बर्षो तक किए गए प्रयास किया और आखिर में जाकर कहीं दोनों ने मिलकर उड़न मशीन को तैयार किया । जो एक आदमी का बोझ उठा सकती है ।
Wright brothers ने अपने प्रयासों से यह अनुभव किया कि उड़ान से पहले ग्लाइडर को पहले कुछ दूर तक दौड़ाना जरुरी है जिससे वायु में उछाल कर बल पंखों को मिला सके और ग्लाइडर वायु में उड़ सके । दोनों भाइयों ने अपने ग्लाइडर में एक छोटा-सा इंजन भी फिट किया था । क्योंकि पहले हल्के इंजन नहीं बनते थे । इस छोटे इंजन को उन्होंने 25 horse power का एक पेट्रोल इंजन बनाया और ग्लाइडर में लगाया । और ग्लाइडर में इंजन के बगल में पायलट के बैठने के लिए एक सीट लगाई थी ।