बंगाली (बांग्ला) भाषा को ‘बाङ्ला’ भाषा भी कहा जाता है। बांग्ला भाषा पश्चिमी भारत, बांग्लादेश  उत्तर-पूर्वी भारत के त्रिपुरा और असम राज्य के कई क्षेत्रों में बोली जाती है। भाषाई परिवार के हिसाब से देखा जाए, तो यह हिन्द यूरोपीय भाषा परिवार का हिस्सा है। इस परिवार में हिन्दी, नेपाली, पंजाबी, गुजराती, असमिया, ओड़िया, मैथिली इत्यादी भाषाएँ भी आती हैं। बंगाली बोलने वालों की संख्या लगभग  23 करोड़ है और यह दुनिया की 7वीं सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। इस भाषा को भारत और बांग्लादेश के अलावा भी दुनिया के कई हिस्सों में बोला और समझा जाता है।

इतिहास

बंगाली बंगाल की प्राचीन भाषा है। बंगाल में पहली सहस्राब्दी ई.पू. से संस्कृत बोली जाती थी। गुप्त राजवंश के दौरान बंगाल संस्कृत साहित्य का केंद्र था। पहले 1000 सालों में मध्य भारत-आर्य भाषा बंगाल में बोली जाती थी, तब यह क्षेत्र मगध का हिस्सा था। इन बोलियों को ‘मागधी’ कहा जाता था। वह बोली समय के साथ ‘अर्धमागधी’ में बदल गई।

उद्भव

भारत की अन्य भाषाओं की तरह ही बंगाली भाषा का जन्म भी सन् 1000-2000 ई. के आस-पास माना जा सकता है। मगध की भाषा से अलग रूप लेने के बाद से ही बंगाली में गीतों और पदों की रचना होनी शुरू हो गई थी। जैसे-जैसे बंगाली लोगों के भावों और विचारों को प्रकट करने का तरीका बनने लगी, वैसे-वैसे ही उसमें अलग-अलग रचनाओं, काव्यग्रंथों, दर्शन और धर्म आदि विषय कृतियों का समावेश होता गया। आज के समय में बंगाली भाषा को भारत की बाकी भाषाओं में काफी ऊंचा स्थान प्राप्त है।

लिपि

बंगाली लिपि नागरी लिपि से थोड़ी अलग है। मगर दोनों में कई चीज़ें एक जैसी भी है। हिंदी की तरह ही उसमें भी 14 स्वर और 33 व्यंजन होते हैं। बंगाली भाषा में “व” का उच्चारण “ब” की तरह या कभी-कभी “उ” की तरह या “भ” की तरह किया जाता है। कुछ शब्द जैसे- आत्मा, लक्ष्मी, महाशय आदि शब्द आत्ताँ, लक्खी, मोशाय जैसे बोले जाते हैं।