दो व्यापारी शहंशाह अकबर के दरबार में आये और बोले…..!
दो व्यापारी बोले शहंशाह अकबर से – आदाब हुजूर…..!
शहंशाह अकबर बोले व्यापारियों से – कहो…. कौन हो तुम लोग और क्या चाहते हो ?
एक व्यापारी बोला अकबर से – जहाँपनाह…….! मेरा नाम गोपाल चन्द है। मैं बाजार में माखन बनाता और बेचता हूँ। करीब महीने भर पहले मैंने चंदू मल को कुछ पैसे उधार दिये और वो अब वापस लौटाने के बजाय ये कहता है कि उसने कभी पैसे लिये ही नहीं….!
शहंशाह अकबर बोले चंदू मल से – हूँ…..! तो चंदू मल तुम्हें क्या कहना है ?
चंदू मल बोला अकबर से – ये आदमी झूठ बोल रहा है। हुजूर….! मैंने इससे कभी उधार नहीं लिया है। ये मेरा नाम खराब कर रहा है। हुजूर…..! ताकि मेरा व्यापार को हानि पहुंचे।
शहंशाह अकबर बोले बीरबल से – बीरबल….! क्या तुम ये मसला सुलझाओगे ?
बीरबल बोला अकबर से – जी… हुजूर….!
बीरबल बोले गोपाल चन्द से – गोपाल चन्द….! अब मुझे ठीक से बताओ, कि क्या हुआ था ?
और गोपाल चन्द बीरबल को अपनी बात बताने लगा…..!
गोपाल चन्द बोला बीरबल से – हुजूर…..! एक शाम करीब महीने भर पहले मैं बस अपनी दुकान बंद करने ही वाला था कि चंदू मल मुझसे वहाँ मिलने आया।
चंदू मल बोला गोपाल चन्द से – राम राम गोपाल चन्द…! और बताओ कैसे हो ?
गोपाल चन्द बोला चंदू मल से – राम राम चंदू मल….! बड़ी खुशी हुई तुम्हें देखकर, तुम कैसे हो ?
चंदू मल बोला गोपाल चन्द से – मैं ठीक हूँ। गोपाल चन्द…! बस तुमसे थोड़ी सी मदद मांगने आया था।
गोपाल चन्द बोला चंदू मल से – बिलकुल…! कहो, क्या कर सकता हूँ। मैं तुम्हारे लिये..?
चंदू मल बोला गोपाल चन्द से – दरअसल, थोडा माखन खरीदना था। घी बनाने के लिये, पर थोड़े पैसे कम पड़ रहे थे। अगर तुम मुझे सौ सोने की अशरफिया उधार दो, तो मैं ये रकम एक महीने में लौटा दुंगा।
गोपाल चन्द बोला चंदू मल से – क्यों नहीं….! आखिर कभी मुझे जरुरत पड़ी तो, तुम ही मेरे काम आओगे।
और गोपाल चन्द ने चंदू मल को सौ सोने की अशरफिया दे दी….!
गोपाल चन्द बोला चंदू मल से – ये लो चंदू मल…..! सौ सोने की अशरफिया जो तुमने मांगी।
चंदू मल बोला गोपाल चन्द से – शुक्रिया….. गोपाल चन्द….! तुम एक सच्चे दोस्त हो।
और चंदू मल गोपाल से सौ सोने की अशरफिया लेकर अपने घर चला गया। गोपाल चन्द शहंशाह अकबर से और बोला…..!
गोपाल चन्द बोला अकबर से – और कल जब मैं अपने पैसे मांगने गया, तो ना ही इसने पैसे देने से इंकार किया, बल्कि कहने लगा कि, उसने कभी मुझ से उधार लिया ही नहीं…..!
बीरबल बोले चंदू मल से – अब तुम बताओ कि बात क्या है ? चंदू मल…..!
चंदू मल अपनी बात बीरबल को बताने लगा और बोला…..!
चंदू मल बोला बीरबल से – हुजूर….! मैं गोपाल चन्द को अच्छा दोस्त समझता था। और गोपाल चन्द अक्सर मेरी दुकान पर आता था।
गोपाल चन्द बोला चंदू मल से – नमस्ते चंदू मल…..! कैसे हो तुम ? और व्यापार कैसा चल है ?
चंदू मल बोला गोपाल चन्द से – नमस्ते दोस्त….! तुम कैसे हो ? भगवान की दया से व्यापार ठीक चल रह है। तुम्हारे व्यापार की क्या ख़बर है ?
गोपाल चन्द बोला चंदू मल से – व्यापार तो अच्छा ही चल रहा है। बल्कि बहुत ही अच्छा….!
चंदू मल बोला शहंशाह अकबर से – और फिर अचानक मेरी दुकान पर आकर मुझसे सौ सोने की अशरफिया मांगने लगा। कहने लगा, मैंने महीने भर पहले उधार लिये थे। ये झूठ बोल रहा है। हुजूर….! मैंने इससे कोई उधार नहीं लिया है। ये मेरा नाम खराब कर रहा है, ताकि मेरे व्यापार को बुरी तरह से हानि पहुंचा सके। हुजूर….!
इसी तरह चंदू मल और गोपाल चन्द दोनों ने शहंशाह अकबर और बीरबल के सामने अपनी बात रखी, तो बीरबल बोले गोपाल चन्द से…..!
बीरबल बोले गोपाल चन्द से – क्या तुम्हारे पास कोई गवाह है ? कि ये साबित कर दे कि, तुमने चंदू मल को पैसे दिये थे। गोपाल चन्द…..!
गोपाल चन्द बोला बीरबल से – अफ़सोस नहीं हुजूर….! क्योंकि जब मैंने पैसे दिये, तब काफी देर हो चुकी थी। और बाजार में कोई नहीं था।
बीरबल बोला अकबर से – जहाँपनाह…….! मुझे इस बारे में सोचने के लिये वक्त चाहिए। ये तो साफ़ है कि इन दोनों में से एक झूठ बोल रहा है। मुझे पता लगाना है कि, वो कौन है ?
शहंशाह अकबर बोले बीरबल से – ठीक है, बीरबल…..! तुम्हे वक्त दिया जाता है। पर ये मसला तुम्हें सौंपते हैं।
बीरबल बोला अकबर से – शुक्रिया हुजूर….!
और शहंशाह अकबर सभा को बंद करके चले गए और दरबार में मंत्री शहंशाह अकबर जिंदाबाद….! के नारे लगाने लगे……!
और बीरबल अपने घर जाकर गोपाल चन्द और चंदू मल की बात सुनकर घर पर सोचने लगे। और अपने सेवक राम से बोले…..!
बीरबल बोले सेवक राम से – सेवक राम…..!
सेवक राम बोला बीरबल से – जी हुजूर…..!
बीरबल बोले सेवक राम से – सेवक राम….! हम चाहते हैं कि, तुम बाजार जाकर उन दोनों घी वालों के बारे में और जानकारी हासिल करो। चंदू मल और गोपाल चन्द….!
सेवक राम बोला बीरबल से – जैसी आपकी मर्जी हुजूर….!
सेवक राम बाजार जाकर चंदू मल और गोपाल चन्द के बारे में जानकारी लेकर आया। और बोला बीरबल से…..!
सेवक राम बोला बीरबल से – हुजूर….! यूँ तो दोनों गोपाल चन्द और चंदू मल एक ही व्यापार में हैं। लेकिन लोग बाजार में चंदू मल के साथ व्यापार पसंद नहीं करते। जब कि सब गोपाल चन्द को एक शरीफ और ईमानदार समझते हैं।
बीरबल बोले सेवक राम से – बहुत अच्छे… सेवक राम….! अब तुम एक काम और करो।
बीरबल ने दो मटके लिये और दोनों मटकों में घी भर दिया। दोनों घी के मटके में एक-एक सोने का सिक्का डाल दिया और बोले सेवक राम से…..!
बीरबल बोले सेवक राम से – एक घी व्यापारी के वेश में बाजार जाकर, उन दोनों को एक एक मटका घी का बेचोगे। मैंने इन मटकों में एक एक सोने का सिक्का डाल दिया है। तुम आज रात बाजार के सराये में रहकर बिताना और कल मुझे आकर ये बताना कि दोनों में से सोने का सिक्का वापस कौन लौटाता है।
सेवक राम बोला बीरबल से – जैसी आपकी मर्जी हुजूर…..!
और सेवक राम दोनों मटकों को साथ लेकर बाजार गया उन दोनों व्यापारियों के पास, तो बीरबल शहंशाह अकबर के दरबार गए और अकबर बोले…..!
शहंशाह अकबर बोले बीरबल से – तो बीरबल हमें लगता है, तुमने मुजरिम को पहचान लिया है।
बीरबल बोला अकबर से – जी हाँ… बिलकुल जहाँपनाह……! चंदू मल है, जिसने हमसे झूठ बोला था।
शहंशाह अकबर बोले बीरबल से – खैर हमें ये बताओ कि तुम इस नतीजे पर कैसे पहुंचे ? बीरबल….!
बीरबल बोला अकबर से – जहाँपनाह……! मैंने सेवक राम को एक घी व्यापारी के वेश में एक एक मटका घी का, उसमें एक एक सोने का सिक्का डालकर चंदू मल और गोपाल चन्द व्यापारियों के पास सेवक राम को बाजार भेजा और जब सेवक राम मुझे बताया कि गोपाल चन्द ने सोने का सिक्का लौटाया, मुझे पूरा यकीन हो गया कि चंदू मल ही है, जिसने हमसे झूठ बोला था।
चंदू मल बोला शहंशाह अकबर से – हुजूर….! मुझे माफ़ कर दीजिये।
शहंशाह अकबर बोले चंदू मल से – जिस दोस्त ने तुम्हारी मदद की, उसी को तुमने धोखा दिया और अब तुम हमसे माफ़ी चहाते हो। तुम गोपाल चन्द को उसकी सौ सोने की अशर्फिया लौटाओगे और साथ ही सौ अशर्फिया उसे परेशान करने के लिये, बतौर जुर्माना भी दोगे।
गोपाल चन्द बोला शहंशाह अकबर से – शुक्रिया जहाँपनाह……!
शहंशाह अकबर बोले गोपाल चन्द से – शुक्रिया….! अदा करो बीरबल का जिसने इंसाफ किया है।
शहंशाह अकबर बोले बीरबल से – शाबास…. बीरबल शाबास…..!
गोपाल चन्द बोला बीरबल से – शुक्रिया….! राजा बीरबल….!
बीरबल बोले गोपाल से – शुक्रिया….!
बीरबल बोला अकबर – शुक्रिया जहाँपनाह……!
दरबार में अन्य मंत्री बोले….. राजा बीरबल जिंदाबाद……! शहंशाह अकबर जिंदाबाद…..! के नारे लगाने लगे।